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लखनऊ: यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने महाराष्ट्र की राजनीति के सहारे भाजपा पर तंज किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि आज संविधान दिवस पर संविधान को मानने वालों की जीत हुई और नकारने वालों की करारी हार। उन्होंने आगे ये भी लिखा कि विशेष सांविधानिक शक्ति के दुरुपयोग के लिए नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए किसी और को भी इस्तीफा दे देना चाहिए, जिनकी ‘भोर की भूल’ ने आज देश को सारे विश्व के सामने शर्मिंदा किया है।

बता दें कि महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस को बुधवार शाम 5 बजे बहुमत साबित करने का आदेश दिया। कोर्ट के फैसले के बाद 23 नवंबर को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले अजित पवार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जिसके कुछ देर बात ही देवेंद्र फडणवीस ने भी बहुमत साबित न करने की बात कहते हुए राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया।

लखनऊ: संविधान दिवस पर विधानमंडल के बुलाए गए विशेष सत्र को संबोधित करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान अंगीकार किया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान की मूल भावना न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व इन चार शब्दों में समाई हुई है। संविधान हमें अधिकार देता है तो कर्तव्यों का पालन करने के लिए भी कहता है। यही एक कारण है कि हम सभी अलग-अलग पृष्ठभूमि का होने के बावजूद एक सदन में बैठे हुए हैं।

योगी ने कहा कि देश संविधान की भावना के अनुरूप चले इसमें देश की संवैधानिक संस्थाओं की बड़ी भूमिका होती है। आज संविधान लागू हुए 70 साल हो गए ये देश के लिए बड़ी उपलब्धि है क्योंकि इन वर्षों में देश का लोकतंत्र मजबूत हुआ है। इसके पहले, विशेष सत्र में प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोधित किया। उन्होंने संविधान की उपलब्धियां गिनाने के साथ ही संविधान प्रदत्त मौलिक कर्तव्यों की भी याद दिलाई। उन्होंने कहा कि जब हम मौलिक अधिकारों की बात करते हैं तो कर्तव्यों को कैसे भूल सकते हैं। अधिकार व कर्तव्य सदैव सहगामी होते हैं। कर्तव्य विहीन अधिकार निरंकुशता को जन्म देता है।

लखनऊ: सुन्नी वक्फ बोर्ड ने फैसला किया है कि वह अयोध्या भूमि विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करेगा। बोर्ड के सदस्यों की आज लखनऊ में हुई बैठक के बाद अध्यक्ष ज़फर फारूकी ने यह जानकारी दी। फारूक़ी ने कहा कि बोर्ड के आठ में से सात सदस्यों ने मस्जिद के लिये ज़मीन स्वीकार करने के बारे में अभी फैसला नहीं किया है।

उन्होंने कहा कि सदस्यों का मानना है कि उन्हें इस मामले में निर्णय लेने के लिये और समय चाहिये और ज़मीन भी शरीयत के अनुसार उपयुक्त होनी चाहिये।

लखनऊ: विधानमंडल के विशेष सत्र के दौरान मंगलवार को मुख्यमंत्री व मंत्रियों के वेतन पर सरकारी खजाने से आयकर अदा करने की वर्षों पुरानी व्यवस्था समाप्त करने संबंधी अध्यादेश को सदन के पटल पर रखा गया। बीते 6 नवंबर को यह अध्यादेश जारी किया गया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सितंबर में सरकारी खजाने से सीएम व मंत्रियों के वेतन पर आयकर जमा करने की 35 वर्ष से अधिक पुरानी व्यवस्था समाप्त करने का एलान किया था। उस समय राज्य विधानमंडल सत्र में नहीं था, इसलिए सरकार ने इस व्यवस्था को जल्द से जल्द लागू करने के लिए यूपी मंत्री (वेतन, भत्ता और प्रकीर्ण उपबंध) अधिनियम 1981 (यथासंशोधित) में संशोधन संबंधी अध्यादेश लाने का फैसला किया।

प्रदेश कैबिनेट ने 24 सितंबर को अधिनियम में संशोधन संबंधी अध्यादेश के मसौदे को मंजूरी दी थी। राज्यपाल की मंजूरी के बाद 6 नवंबर को यह अध्यादेश लागू हो गया था। सत्र शुरू होने पर सरकार ने इस विधेयक को सदन के पटल पर रख दिया। विधानमंडल के आगामी नियमित सत्र में विधेयक लाए जाने की संभावना है।

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