न्यूयॉर्क: मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर राणा ने भारत प्रत्यर्पण पर रोक लगाने के अनुरोध वाली याचिका शीर्ष अदालत से खारिज होने के बाद नया दांव चला है। उसने मुख्य न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स के सामने एक नई अर्जी दाखिल की है। पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक (64) राणा वर्तमान में लॉस एंजिल्स के मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद है।
26/11 हमले का आरोपी तहव्वुर राणा ने 27 फरवरी को अमेरिका की शीर्ष अदालत के एसोसिएट जस्टिस और नौवें सर्किट की सर्किट जस्टिस एलेना कागन के सामने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के लंबित मुकदमे पर रोक लगाने के लिए आपात आवेदन प्रस्तुत किया था। शीर्ष कोर्ट की वेबसाइट पर छह मार्च को प्रकाशित एक नोट में कहा गया, 'अर्जी... न्यायमूर्ति कागन ने अस्वीकार की।'
राणा के वकीलों की ओर से गुरुवार को दायर की गई अर्जी के मुताबिक, तहव्वुर राणा ने पहले न्यायमूर्ति कागन के सामने पेश बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के लंबित मुकदमे पर रोक लगाने संबंधी अपनी आपात अर्जी अब नवीनीकृत की है। ऐसे में अनुरोध किया जाता है कि नवीनीकृत अर्जी मुख्य न्यायाधीश रॉबर्ट्स के समक्ष पेश की जाए।
इस दलील के आधार पर आत्मसमर्पण करने पर रोक लगाने की मांग की थी
अपनी पुरानी अर्जी में तहव्वुर राणा ने 13 फरवरी की याचिका के गुण-दोष के आधार पर अपने प्रत्यर्पण और मुकदमा लंबित रहने तक भारत के समक्ष आत्मसमर्पण करने पर रोक लगाने की मांग की थी। याचिका में राणा ने तर्क दिया था कि भारत को उसका प्रत्यर्पण अमेरिकी कानून और यातना के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन का उल्लंघन है, क्योंकि यह मानने के पर्याप्त आधार हैं कि यदि उसे भारत प्रत्यर्पित किया गया तो याचिकाकर्ता को यातना दिए जाने का खतरा होगा।
जनवरी में अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने राणा की याचिका खारिज कर दी थी
याचिका में कहा गया, 'मामले में प्रताड़ित किए जाने की संभावना और भी अधिक है, क्योंकि याचिकाकर्ता मुंबई हमलों में आरोपी पाकिस्तानी मूल का मुस्लिम है।' याचिका में यह भी कहा गया है कि उसकी गंभीर चिकित्सा स्थिति के कारण उसे भारतीय हिरासत केंद्रों में प्रत्यर्पित करना इस मामले में वास्तव में मौत की सजा है। जनवरी में अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने राणा की याचिका खारिज कर दी थी और उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी थी।