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(पुष्परंजन): सोमवार, 20 जनवरी यानि आज ट्रंप अपने दूसरे टर्म की शपथ लेंगे। अंततः पीएम मोदी को इस शपथ समारोह से व्हाइट हॉउस ने दूर रखा। निमंत्रण यदि चीनी राष्ट्रपति शी को भेजा, तो पीएम मोदी को भी भेजा जाना चाहिए था। ख़बरों को खोद-खोदकर निकलने वाले वाशिंगटन पोस्ट तक को जानकारी नहीं है कि नरेंद्र मोदी को न्योता भेजने से मना क्यों किया गया? अब सोमवार के शपथ समारोह में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर उपस्थित होंगे। उनके मंत्रालय ने कहा, "यात्रा के दौरान विदेश मंत्री ट्रम्प प्रशासन के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करेंगे।"

ट्रंप 2.0 कैबिनेट में भारतीय मूल के अब तक पांच लोग नामित

क्या भारतीय विदेश मंत्री हरमीत कौर से भी मिलेंगे, जो अमेरिका की सहायक अटार्नी की ज़िम्मेदारी सम्हालने वाली हैं? हरमीत कौर ढिल्लों के नाम की घोषणा के साथ ही, ट्रंप 2.0 कैबिनेट में नामित भारतीय मूल के लोगों की संख्या पांच हो गई है। इससे पहले ट्रंप, विवेक रामास्वामी, जय भट्टाचार्य, तुलसी गबार्ड और काश पटेल को अपने शासन में अहम् ज़िम्मेदारी देने का एलान कर चुके हैं।

हरमीत कौर ढिल्लों वही हैं, जिन्होंने खालिस्तान समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश वाले इश्यू के हवाले से एक्स पोस्ट पर कहा था, “किसी दूसरे देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भारत के लिए इतनी परेशान करने वाली है, कि वह मौत के दस्ते भेज देता है।”

हरमीत कौर ढिल्लों का जन्म चंडीगढ़ में हुआ था। दो साल की उम्र में हरमीत, अपने माता-पिता के साथ अमेरिका चली आईं। उनकी परवरिश और वकालत की पढ़ाई वहीं हुई। हरमीत ने भारत में किसान आंदोलन को कुचलने के खिलाफ़ भी आवाज़ उठाई थी। ट्रंप ने अपने वक्तव्य में चुनावी अखंडता को बचाने, संवैधानिक और नागरिक अधिकारों की रक्षा करने के प्रति हरमीत कौर ढिल्लों के समर्पण का विशेष उल्लेख किया था। ट्रंप ने किस रणनीति के तहत हरमीत कौर ढिल्लों को अपनी टीम में रखा है, इसका खुलासा चंद महीनों में हो जायेगा। मगर, हरमीत कौर ढिल्लों की मौजूदगी नई दिल्ली को असहज रखेगी।

ट्रम्प जीते, तो मोदी ने फोन किया था। वो बधाई केवल दर्ज़ हुई, मगर सीधा संवाद नहीं हुआ। किन शिखर नेताओं से ट्रम्प सीधा संवाद करेंगे, यह सब उन दिनों एलन मस्क तय कर रहे थे। एलन मस्क आम चुनाव से कुछ हफ्ते पहले, भारत आना चाहते थे, वो टल गया था। उनकी कंपनी टेस्ला का ग्रैंड वेलकम जिस तरह से भारत में होना था, वो फच्चरबाज़ी का शिकार हो गई थी। सिक्स-जी स्पेक्ट्रम में एलन मस्क को जिस तरह बाधा दौड़ का सामना करना पड़ा, वो भी उनकी नाखुशी का कारण बनी, जिसकी प्रतिक्रिया में उन्होंने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठा दिया था। क्या ये सारी वजहें हैं? लेकिन, ट्रम्प से मोदी ने लगातार चार वर्षों से जो दूरियाँ बनाये रखीं, वो सबसे बड़ा कारण लगता है, जिसके डैमेज कंट्रोल में मोदी समर्थक इंडिया लॉबी विफल रही है।

संघ और मोदी को पसंद करने वाले इंडो-अमेरिकन समूह ने 2003 में फ़िलाडेफिया में 'हिन्दू अमेरिकन फाउंडेशन' की बुनियाद रखी थी। एचएएफ, अमेरिका में भारतीय सत्ता पक्ष के लिए लॉबी करनेवाले अग्रणी संगठनों में से एक है, जिसके शीर्ष सदस्य ट्रम्प दरबार से मोदी के लिए न्योता दिलाने में विफल रहे। ‘एचएएफ’ के लॉबिंग प्रयासों से अलग, इंडियन अमेरिकन का दूसरा समूह वहां एक्टिव है, जिसके बरास्ते विवेक रामास्वामी, जय भट्टाचार्य, तुलसी गबार्ड और काश पटेल जैसे लोग ट्रम्प से जुड़े। अमेरिका में भारतीय डायसफोरा ‘प्रो’ और ‘एंटी मोदी’ के आधार पर बँट चुका है, यह तो सुनिश्चित मानिये।

अतीत के खुशनुमा दिनों पर कूटनीतिक कड़वाहट की ज़हरीली घास उग आई है। वो दिन याद कीजिये, जब सितंबर 2014 में न्यूयार्क के मेडिसन स्क्वायर गार्डन के विशाल स्टेडियम में 20 हज़ार दर्शकों के बीच मोदी के स्वागत का अद्भुत, अविस्मरणीय इतिहास रचा गया था। उसके अगले साल सितंबर 2015 में सिलिकोन वैली के सैप सेंटर में पीएम मोदी के विराट स्वरूप को कुछ उसी तरह प्रस्तुत किया गया था। "हाउडी मोदी" के कार्यक्रम को लोग आज भी भूलते नहीं। व्हाइट हाउस के रोज़ गार्डन में बयान देते समय ट्रंप ने कहा था, “ भारत, व्हाइट हाउस का सच्चा दोस्त है, यह दिख रहा है।“ तब ट्रंप ने मोदी पर चुटकी ली थी, ‘सोशल मीडिया पर हम दोनों ‘वर्ल्ड लीडर’ हैं।’ आज वही मोदी, डोनाल्ड ट्रम्प के ज़ीरो-टू शपथ समारोह से दूर कर दिये गए।

यों, इस शपथ समारोह का नाम, इनोग्रेशन (उद्घाटन) रखा गया है. संयुक्त कांग्रेस समिति (जेसीसीआइसी) उद्घाटन कार्यक्रम का आयोजन करती है, जो हर चार साल पर होता है। ‘इनोग्रेशन’ में निवर्तमान प्रशासन, नए प्रशासन को कार्यभार सौंपता है। राष्ट्रपति पद की शुरुआत के लिए कई सार्वजनिक और निजी कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। चार दिवसीय उद्घाटन समारोह की शुरुआत शनिवार, 18 जनवरी को वर्जीनिया में ट्रम्प नेशनल गोल्फ़ क्लब में आतिशबाजी से हो चुकी है।

रविवार को ट्रम्प वाशिंगटन में "मेक अमेरिका-ग्रेट अगेन" नाम से विजय रैली करेंगे। अपने समर्थकों, शैदाइयों के साथ कैंडिल-लाईट डिनर के लिए जाने से पहले अर्लिंग्टन नेशनल सेमेट्री में अज्ञात सैनिकों की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे। सोमवार को ट्रंप राजधानी के सेंट जॉन्स चर्च में मॉर्निंग सर्विस में भाग लेंगे। दोपहर में, ट्रम्प और उनके उपराष्ट्रपति जेडी वेंस दोनों के लिए औपचारिक शपथ ग्रहण का समारोह आयोजित होगा। इसके बाद, ट्रम्प उद्घाटन भाषण देंगे। बाद में वह सैनिकों की समीक्षा करेंगे, जिसे "पास इन रिव्यू" के रूप में जाना जाता है। उद्घाटन कार्यक्रम का समापन मंगलवार, 21 जनवरी 2025 को राष्ट्रीय प्रार्थना सेवा के साथ संपन्न होगा।

डोनाल्ड ट्रंप ट्रंप रविवार को शपथ लेने से बच गए। संयुक्त राज्य अमेरिका के नव निर्वाचित, या पुनः निर्वाचित राष्ट्रपति, चुनाव के बाद जनवरी के बीसवें दिन दोपहर में अपने चार साल के कार्यकाल की शुरुआत करते हैं। लेकिन यदि 20 जनवरी को रविवार होता, तो नव निर्वाचित राष्ट्रपति उस दिन निजी तौर पर शपथ लेंगे, फिर अगले दिन एक सार्वजनिक समारोह में उन्हें शपथ लेना होता है। 1937 से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 मार्च को शुरू होता था।

ट्रंप के लिए इसबार कुछ ज़्यादा ही तामझाम होने वाला है। उद्घाटन समारोह की थीम है, "हमारा स्थायी लोकतंत्र: एक संवैधानिक वादा", जिसके बारे में उद्घाटन समिति ने कहा, कि यह हमारी लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली की निरंतरता और स्थिरता को बनाए रखने के लिए, अमेरिकियों की भावी पीढ़ियों के प्रति संस्थापकों की प्रतिबद्धता को मान्यता देता है। चार दिनों के तामझाम में कोशिश होगी, कि लोग ट्रंप अपराधों को याद न करें. उद्घाटन समारोह में गीत-संगीत के वास्ते पूर्व अमेरिकन आइडल विजेता कैरी अंडरवुड भी शामिल हैं, जो ट्रम्प के शपथ ग्रहण से पहले "अमेरिका द ब्यूटीफुल" गीत प्रस्तुत करेंगी।

जैसा कि प्रथा है, उसके अनुरूप सभी जीवित पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति- जो बाइडेन, बराक ओबामा, जॉर्ज डब्ल्यू बुश, और बिल क्लिंटन शपथ समारोह में भाग लेंगे। मगर, देश की प्रथम महिलाओं में मिशेल ओबामा नहीं आएँगी, जिन्होंने अज्ञात कारणों से नाम वापस ले लिया है। ट्रंप के शपथ समारोह में इस बार टेक दिग्गजों का अच्छा प्रतिनिधित्व होगा, उसकी वजह चुनावों में इन दिग्गजों की अहम् भूमिका बताई गई है। दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क इनोग्रेशन में लीड रोल में रहेंगे, जिन्होंने रिपब्लिकन के चुनाव अभियान को पर्याप्त वित्तीय मदद दी थी और मीडिया को मैनेज करने में उनकी अहम् भूमिका रही थी। अमेज़ॅन और वाशिंगटन पोस्ट के मालिक जेफ बेजोस, और मेटा के संस्थापक, चेयरमैन-सीईओ मार्क जुकरबर्ग भी उपस्थित रहेंगे। मत भूलिए कि ट्रम्प पर न्योछावर, ‘वाशिंगटन पोस्ट’, मोदी पर आक्रामक रहा है।

ट्रम्प ने जो उद्घाटन समिति बनाई है, उस समिति के द्वारा कई शासन प्रमुखों को भी आमंत्रित किया गया है, जिनमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी शामिल थे। हालांकि, शी ने पहले स्पष्ट कर दिया था, कि वो नहीं आ रहे हैं। शी ने ऐसा करके चीनी कूटनीति को भारी-भरकम बना दिया है. यह परोक्ष सन्देश भी है, कि हम उनमें से नहीं, कि एक समिति न्योता भेजे, और हम दौड़े चले आएं. इसे चीनी डिप्लोमेसी की जीत कह सकते हैं कि निमंत्रण ठुकराने के बावजूद ट्रंप, प्रेसिडेंट शी को फोन करते हैं। सौहार्द्र का संकल्प करते हैं, और एक्स पर पोस्ट करते हैं, "राष्ट्रपति शी, और मैं दुनिया को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। हमने व्यापार, फेंटेनाइल, टिकटॉक और कई अन्य विषयों पर संतुलन बनाने पर चर्चा की. हम समस्याओं का शांतिपूर्ण समाधान तुरंत करेंगे।"

मौजूदा हालात में चीन और अमेरिका के साझा हित कम नहीं हुए हैं, बल्कि बढ़े हैं। 2024 में, चीन में एलन मस्क की कंपनी टेस्ला की बिक्री 657,000 इकाइयों से अधिक हो गई, जो साल-दर-साल 8.8 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। एलन मस्क क्यों चाहेंगे कि ट्रंप और शी में भिड़ंत हो? इनके अलावा, स्टारबक्स ने पिछले साल की चौथी तिमाही में चीनी मुख्य भूमि में 290 नए स्टोर जोड़े, 78 काउंटी-स्तरीय बाजारों में प्रवेश किया। 2024 तक, चीन में 73,000 से अधिक अमेरिकी उद्यम स्थापित हो चुके हैं, जिनका कुल निवेश 1.2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है, जो इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोटिव विनिर्माण, उपभोक्ता वस्तुओं और वित्तीय सेवाओं जैसे विभिन्न क्षेत्रों को कवर करता है। अगर वाशिंगटन "चीन के साथ प्रतिस्पर्धा" के अपने जुनून को छोड़ सकता है, तो दोनों देशों के बीच सहयोग की संभावना और भी अधिक हो सकती है। ट्रंप, संभवतः पुतिन का प्रभामंडल कम करना चाहते हैं. शी को सर आँखों पर रखने का एक मक़सद यह भी है।

मोदी, कब होंगे ट्रम्प के 'हम प्याला-हम निवाला'  इस पर रहेंगी निगाहें 

शी के अलावा जो शासन प्रमुख शपथ समारोह में निमंत्रित हैं, उनमें हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान, इतालवी की शासन प्रमुख जियोर्जिया मेलोनी जैसे यूरोपीय दक्षिणपंथी नेता हैं. हालाँकि, इन लोकलुभावन नेताओं ने समारोह में अपनी उपस्थिति की पुष्टि नहीं की है। यों, नवंबर के चुनाव के बाद से दोनों ने ट्रम्प से उनके फ्लोरिडा स्थित घर पर मुलाकात की थी। इनके साथ-साथ अर्जेंटीना के राष्ट्रपति खाबियर माइली, जिन्होंने चुनाव जीतने के बाद ट्रम्प से मुलाकात की थी, उनके भी मौजूद रहने की उम्मीद है। सोमवार को सार्वजानिक शपथ ग्रहण के बाद, डोनाल्ड और मेलानिया ट्रम्प व्हाइट हाउस में चले जाएंगे और नया प्रशासन अपने काम पर लग जाएगा। मगर, मोदी, कब ट्रम्प के हम प्याला-हम निवाला होते हैं, इस पर सबकी निगाहें रहेंगी!

फोटो: सोशल मीडिया से साभार

(फेसबुक पर साझा किये गये लेखक पुष्परंजन का दैनिक पूर्वोदय में प्रकाशित आलेख साभार)

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