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(आशु सक्सेना): दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दलों की तरफ से तैयारी जारी है। अगले साल 2025 मेंं सबसे पहले संभवत: मार्च तक दिल्ली विधानसभा का चुनाव होना है। पिछले एक दशक से दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी (आप) ने सभी 70 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ए​लान कर दिया है। कांग्रेस ने भी दो लिस्ट में 47 प्रत्याशियों के नाम घोषित किए हैं।

वहीं पिछले एक दशक से केंद्र की सत्ता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सत्तारूढ़ बीजेपी की तरफ से अभी तक किसी उम्मीदवार के नाम का एलान नहीं किया गया है। 2020 के विधानसभा चुनाव तक दिल्ली में बीजेपी ने अपने बूते पर चुनाव लड़ा है। लेकिन इस बार सूत्रों से यह ख़बर बाहर आ रही है कि इस बार बीजेपी दूसरी बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपने एनडीए घटक दलों के साथ चुनाव मैदान में उतरने का मन बना चुकी है। दिल्ली विधानसभा के पुर्नगठन के बाद यानि 1993 से लेकर अबतक पहली बार को छोड़कर अबतक बीजेपी को सिर्फ एक बार सफलता मिली है। इसबार दिल्ली में चौथी बार बीजेपी का आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल से मुकाबला है।

संभवत: यही वजह है कि इस बार पीएम मोदी एनडीए के बूते जातिगत समीकरण दुरूस्त करते हुए हुए पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चुनौती देने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। उन्हें इस में सफलता मिली या निराशा यह तो दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद ही तय होगा। सूत्रों से आ रही ख़बर के मुताबिक, एनडीए की ताक़त दिखाने की रणनीति पर बीजेपी काम कर रही है। जिसके तहत सीट बंटवारे से लेकर न्यूनतम साझा कार्यक्रम और साझा चुनाव प्रचार की रणनीति पर काम कर रही है।

सूत्रों का कहना है कि बीजेपी कुछ सीटें अपने सहयोगी दल नीतीश कुमार के जनतादल यू और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की पार्टी लोजपा रामबिलास को कुछ सीट देने का प्रस्ताव दे चुकी है। इसके अलावा बिहार के एक अन्य सहयोगी जीतन राम मांझी की 'हम' की तरफ से भी दिल्ली में सीटों की मांग की गयी है। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने दो सीटें जेडीयू और एक सीट लोक जनशक्ति पार्टी को दी थी।

एनडीए की बैठक में दिल्ली चुनाव की हुई चर्चा

बुधवार को एनडीए की बैठक में दिल्ली विधानसभा चुनाव की रणनीति पर भी चर्चा हुई। जहां हरियाणा और महाराष्ट्र की जीत के लिए बधाई भी दी गई, वहीं झारखंड का भी जिक्र हुआ, जहां एनडीए के घटक दलों ने मिल कर चुनाव लड़ा था। हालांकि एनडीए को हार का सामना करना पड़ा था। बीजेपी ने सहयोगी दलों के शीर्ष नेताओं को दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए आमंत्रित किया है। सूत्रों के अनुसार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू, महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे, केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी और चिराग पासवान आदि दिल्ली में एनडीए के लिए प्रचार के लिए आमंत्रित किये गये हैं।

मोदी तीसरी बार "मिनी इंडिया" यानि दिल्ली चुनाव का सामना करेंगे

दिल्ली में बड़ी संख्या में पूर्वांचली वोटर जिन्हें पाले में लाने के लिए एनडीए के बिहार के नेता जोर लगाएंगे। दिल्ली में पूर्वांचली वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है। बिहार, पूर्वी यूपी और झारखंड मूल के करीब 25 प्रतिशत मतदाता दिल्ली में हैं। दरअसल दिल्ली विधानसभा चुनाव में 'मिनी इंडिया' का नज़ारा देखने को मिलता है। दिल्ली में देश के हर राज्य का मतदाता मिल जाएगा। संभव तय इसीलिए 2015 में राष्ट्रपति शासन के दौरान हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने कहा था कि दिल्ली :मिनी इंडिया' है, यहां के चुनाव नतीज़ों का संदेश पूरे देश में जाता है। इत्तफाक से उस चुनाव में बीजेपी 32 सीट वाली सबसे पार्टी से तीन सीट पर सिमट गयी थी और सदन में नेता प्रतिपक्ष के पद की दावेदारी करने की स्थिति में भी नहीं थी। यह बात दीगर है कि उस दौरान पीएम मोदी अपने हर भाषण में लोकसभा चुनाव में अपनी जीत का ज़िक्र करते हुए यह कहना नहीं भूलते थे कि 60 से केंद्र की सत्ता पर काबिज कांग्रेस सदन मेंं नेता प्रतिपक्ष की दावेदारी करने की स्थिति में भी नहीं है। दरअसल यह वह दौर था, जब पीएम मोदी कांग्रेस मुक्त भारत के नारे को साकार करने की दिशा में काम कर रहे थे।

दिल्ली में बीजेपी की क्षेत्रीय मतदाताओं को लुभाने की ये है रणनीति?

लगातार दूसरी बार बीजेपी एनडीए को एकजुट कर दिल्ली में आम आदमी पार्टी को कड़ी टक्कर देना चाहती है। पूर्वांचली वोटर्स का दिल्ली की 20 सीटों पर अच्छी पकड़ रही है। बीजेपी चिराग पासवान, नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी को चुनाव प्रचार में उतारने का आमंत्रण दे चुकी सहै। दक्षिण भारतीय और मराठी वोटर्स को साधने के लिए एकनाथ शिंदे और चंद्रबाबू नायडु भी प्रचार कर सकते हैं। बिहार, पूर्वी यूपी और झारखंड मूल के करीब 25 प्रतिशत मतदाता दिल्ली में हैं। दिल्ली में करीब 30 लाख दक्षिण भारतीय रहते हैं। इनमें करीब 8-9 लाख तेलुगु भाषी हैं। इसके अलावा बंगला के मतदाता भी अच्छी खासी तादाद में हैं।

पूर्वांचली वोटर्स का करीब 20 सीटों पर दबदबा

पूर्वांचली वोटर्स का दिल्ली की 20 सीटों पर अच्छी पकड़ मानी जाती है। गोकलपुर, मटियाला, द्वारका, नांगलोई, करावल नगर, जनकपुरी, त्रिलोकपुरी, बुराड़ी, उत्तम नगर, संगम विहार, जनकपुरी, त्रिलोकपुरी, किराड़ी, विकासपुरी व समयपुर बादली जैसी सीटें शामिल हैं।

 

 

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