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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): पक्षपात और वोटर लिस्ट में हेरफेर के आरोपों के बीच चुनाव आयोग ने अपनी चुनाव मशीनरी को निर्देश दिया कि वे राजनीतिक दलों के साथ नियमित बैठकें करें। बता दें कि कांग्रेस ने चुनाव जीतने को लेकर भारतीय जनता पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस ने दावा किया है कि भगवा पार्टी चुनाव आयोग के साथ मिलीभगत कर पहले मतदाता सूची में हेरफेर करती है और फिर चुनाव जीतती है।

इसी बीच निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को राज्यों में अपनी चुनाव मशीनरी को निर्देश दिया कि वे राजनीतिक दलों के साथ नियमित बैठकें करें और प्रक्रिया के अनुसार मुद्दों को हल करें। यह निर्देश राज्य चुनाव अधिकारियों के एक सम्मेलन में ऐसे समय दिया गया जब तृणमूल कांग्रेस ने यह आरोप लगाया कि विभिन्न राज्यों में बड़ी संख्या में मतदाताओं के पास समान मतदाता कार्ड संख्या है। राज्य चुनाव अधिकारियों को 31 मार्च तक मुद्दा-वार कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा गया। ज्ञानेश कुमार के मुख्य चुनाव आयुक्त का पदभार संभालने के बाद यह इस तरह का पहला सम्मेलन है।

अधिकारियों को राजनीतिक दलों के प्रति सुलभ और उत्तरदायी होने का निर्देश

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने अपने संबोधन में अधिकारियों से पारदर्शिता से काम करने और सभी वैधानिक दायित्वों को लगन से तथा मौजूदा कानूनी ढांचे के अनुसार पूरा करने का आह्वान किया। उन्होंने अधिकारियों को राजनीतिक दलों के प्रति सुलभ और उत्तरदायी होने का निर्देश दिया।

कुमार ने कहा कि संबंधित सक्षम प्राधिकारी द्वारा मौजूदा वैधानिक ढांचे के भीतर किसी भी मुद्दे को हल करने के लिए वैधानिक स्तर पर सभी दलों की बैठकें नियमित रूप से आयोजित की जानी चाहिए।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सभी मुख्य निर्वाचन अधिकारियों, जिला निर्वाचन अधिकारियों, निर्वाचन अधिकारियों और निर्वाचक पंजीकरण अधिकारियों को अपनी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों का उसी तरह अक्षर: पालन करना चाहिए, जैसा कानून और चुनाव आयोग के निर्देशों में स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है।

गौरतलब है कि, कांग्रेस का कहना है कि वह इसका समाधान कानूनी, राजनीतिक एवं अन्य तरीकों से निकालने की कोशिश करेगी। वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के एक समूह ने सोमवार को एक ही पहचान संख्या वाले कई मतदाताओं पर निर्वाचन आयोग (ईसी) की चुप्पी पर सवाल उठाया और कहा कि पार्टी इस मुद्दे को ऐसे ही जाने नहीं देगी क्योंकि इससे देश के चुनावी लोकतंत्र को गंभीर खतरा है।

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