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लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि सीएए और एनआरसी पर देशभर में जनाक्रोश से भाजपा नेतृत्व घबड़ा गया है। लखनऊ रैली के फ्लाप होने से केंद्रीय गृहमंत्री की हताशा साफ दिख रही है। उसे छिपाने के लिए वह अहंकार की भाषा बोल रहे हैं। पर विपक्ष उनकी धमकियों से डरने वाला नहीं है। अखिलेश यादव ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि भाजपा नेता लोकतंत्र की मूलभावना से खिलवाड़ कर रहे हैं। भाजपा कह रही है कि हर हाल में हम सीएए, एनआरसी, एनपीआर को लागू करेंगे। उनकी यह मंशा अपने बहुमत के रोडरोलर से जनता को कुचलने का तानाशाही कदम उठाने की है।

अखिलेश ने कहा कि समाजवादी पार्टी की सलाह है कि भाजपा नेतृत्व लोकलाज न छोड़े, जनता की आवाज को पहचाने, धमकियों और अहंकार की भाषा से विपक्ष दबने वाला नहीं। दूसरों को नसीहतें देने वाले पहले खुद इतिहास पढ़ लें कि जनता के विरोध की आंधी के सामने कोई नहीं टिक पाया है। भाजपा-आरएसएस का यह एजेण्डा चलने वाला नहीं है।

लखनऊ: लखनऊ में नागरिकता कानून (सीएए) के समर्थन में आयोजित रैली को संबोधित करते हुए गृहमंत्री अमित शाह कहा कि इस बिल को लेकर कांग्रेस, टीएमसी, मायावती, सपा और कम्युनिस्ट कांव-कांव चिल्ला रहे हैं। मैंने इस बिल को संसद में पेश किया है मैं चुनौती देता हूं कि इस बिल में की किसी भी धारा में अगर किसी शख्स की नागरिकता छीनने की बात है तो दिखाएं।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार हो रहा है। अफगानिस्तान में बुद्ध की प्रतिमाएं तोड़ी गईं। लेकिन राहुल बाबा आपकी पार्टी पाप के कारण धर्म के आधार पर देश का विभाजन स्वीकार कर लिया गया। जब विभाजन हुआ तो पूर्वी पाकिस्तान यानी आज बांग्लादेश में 30 फीसदी और पाकिस्तान में 23 फीसदी अल्पसंख्यक थे। लेकिन आज वह कहां गए? या तो उन्हें मार दिया गया या फिर धर्म परिवर्तन करा दिया गया। इन आंख के अंधों और कान बहरों को न सुनाई देता है और न दिखाई देता है। अमित शाह ने कहा, 'मैं मानवाधिकार के लोगों से पूछना चाहता हूं कि उस समय कहां चले गए थे, जब कश्मीर से पंडितों को भगा दिया गया।

लखनऊ: लखनऊ के मशहूर घंटाघर पर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरुद्ध शुक्रवार रात से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे दर्जनों लोगों की पहचान कर लखनऊ पुलिस ने उनके खिलाफ 'दंगा करने' और 'गैरकानूनी ढंग से एकत्र होने' के तीन केस दर्ज किए हैं। जिन लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुए हैं, उनमें ज़्यादातर महिलाएं हैं, जिनमें उर्दू के जाने-माने शायर मुनव्वर राणा की बेटियां सुमैया राणा और फौज़िया राणा भी शामिल हैं।

शुक्रवार रात को लगभग 50 महिलाओं ने घंटाघर पर धरना देना शुरू किया था, लेकिन जल्द ही भीड़ बढ़ती गई और ढेरों महिलाएं और बच्चे उनके साथ आकर बैठते गए। पुलिस की शिकायतों में 100 से ज़्यादा अनाम प्रदर्शनकारियों पर भी 'सरकारी अधिकारी द्वारा उचित तरीके से जारी किए गए आदेश की अवज्ञा करने', 'सरकारी अधिकारी पर हमला कर अथवा बलप्रयोग द्वारा अपने कर्तव्य का पालन करने से रोकने' का आरोप लगाया गया है। जिस घटना को इन आपराधिक मामलों का आधार माना जा रहा है, वह दरअसल एक महिला कॉन्स्टेबल द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत है, जिसमें उसने आरोप लगाया है कि प्रदर्शनकारियों ने उसके साथ हाथापाई की।

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लखनऊ में धारा-144 लगाने पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि राज्य सरकार बिना धारा-144 के सहारे एक कदम नहीं चल पा रही है। यह सब तब हो रहा है जब सुप्रीम कोर्ट इस पर टिप्पणियां कर चुका है। राज्यपाल को इस पर सरकार से जवाब-तलब करना चाहिए।

अखिलेश यादव ने रविवार को जारी बयान में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अभी पिछले दिनों ही यह टिप्पणी की थी कि अनावश्यक तौर पर धारा-144 लागू करना नागरिक स्वतंत्रता पर प्रहार करना है। विरोधी सुरों को बेमियादी समय तक दबाने के लिए इसका इस्तेमाल नहीं हो सकता है। लेकिन उत्तर प्रदेश की सरकार है कि वह लगातार धारा-144 लागू कर नागरिक स्वतंत्रता का हनन करने पर तुली है। यह माननीय सुप्रीम कोर्ट और संविधान दोनों की उपेक्षा है।

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