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लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि सीएए और एनआरसी पर देशभर में जनाक्रोश से भाजपा नेतृत्व घबड़ा गया है। लखनऊ रैली के फ्लाप होने से केंद्रीय गृहमंत्री की हताशा साफ दिख रही है। उसे छिपाने के लिए वह अहंकार की भाषा बोल रहे हैं। पर विपक्ष उनकी धमकियों से डरने वाला नहीं है। अखिलेश यादव ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि भाजपा नेता लोकतंत्र की मूलभावना से खिलवाड़ कर रहे हैं। भाजपा कह रही है कि हर हाल में हम सीएए, एनआरसी, एनपीआर को लागू करेंगे। उनकी यह मंशा अपने बहुमत के रोडरोलर से जनता को कुचलने का तानाशाही कदम उठाने की है।

अखिलेश ने कहा कि समाजवादी पार्टी की सलाह है कि भाजपा नेतृत्व लोकलाज न छोड़े, जनता की आवाज को पहचाने, धमकियों और अहंकार की भाषा से विपक्ष दबने वाला नहीं। दूसरों को नसीहतें देने वाले पहले खुद इतिहास पढ़ लें कि जनता के विरोध की आंधी के सामने कोई नहीं टिक पाया है। भाजपा-आरएसएस का यह एजेण्डा चलने वाला नहीं है।

अखिलेश यादव ने कहा कि वास्तविकता यह है कि दुबारा सत्ता में आने पर भाजपा नेतृत्व को जरूरत से ज्यादा घमण्ड हो गया है। लोकतंत्र में केवल बहुमत नहीं लोकमत की भी अहम भूमिका होती है। लोकमत की अनदेखी से सत्ता की साख नहीं रहती है। 

उन्होंने कहा, सच तो यह है कि देश की अर्थव्यवस्था गम्भीर संकट के दौर से गुजर रही है। मंदी की छाया गहरी होती जा रही है। नोटबंदी-जीएसटी ने उद्योग धंधे चैपट कर दिए हैं। एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि एक साल पहले की तुलना में 16 लाख नौकरियां कम होने जा रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो बताता है कि सन् 2018 में हर दिन औसतन 35 बेरोजगार और 36 स्वरोजगार वालों ने आत्महत्याएं की। इन दोनों श्रेणियों के 26,085 लोगों ने अपनी जाने गंवाई। देश में कुल 1,34,516 लोगों ने फांसी लगाई है। इनमें कृषि क्षेत्र से 10,349 लोगों ने आत्महत्या की।

स्पष्ट है कि देश के सामने जो गम्भीर चुनौतियां हैं उनका हल निकालने में भाजपा की न तो रूचि है और नहीं नीति है। वह जनता को मूल समस्याओं से भटकाने के लिए ही सीएए, एनआरसी, एनपीआर जैसे मामले उछालकर सत्ता में अपनी मनमानी कायम रखना चाहती है। भाजपा की सरकार और नेतृत्व की बदनीयती को जनता भलीभांति समझ गई है। इसलिए भाजपा की काठ की हांडी अब दुबारा चढ़ने वाली नहीं है।

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