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भुवनेश्वर: ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने आज (बुधवार) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से रिजर्व बैंक को यह निर्देश देने का अनुरोध किया कि वह जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों को पुराने नोटों को बदलने की अनुमति नहीं देने के अपने निर्णय की समीक्षा करे। पटनायक ने कहा कि उनकी सरकार आम आदमी के लाभ के लिए भ्रष्टाचार-निरोधक हर उपाय के साथ खडी रहने के लिए प्रतिबद्ध है। पटनायक ने मोदी को लिखे पत्र में कहा, ‘मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि आप इस मामले में निजी तौर पर दखल दें और आरबीआई को अपने निर्णय की समीक्षा करने का निर्देश दे ताकि जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक इस योजना के क्रियान्वयन में हिस्सा ले सकें।’

भुवनेश्वर: ओड़िशा में भुवनेश्वर के समीप खुर्दा में ग्राहकों की भीड़ के बीच जाली नोट जमा करने की कोशिश कर रहे एक युवक को पुलिस ने धर दबोचा। ये सभी लोग पुराने बड़े नोटों का चलन बंद होने के बाद उन्हें बदलवाने पहुंचे थे। यहां से करीब 25 किलोमीटर दूर खुर्दा में केंद्रपाड़ा जिले का सुमित कुमार टुडू 2.5 लाख रुपये जमा कराने की कोशिश कर रहा था। खुर्दा एसबीआई के प्रभारी देब प्रसाद कन्हार ने कहा, ‘‘हमें बंडल में 47 हजार रुपये मूल्य के जाली नोट मिले।’’ उन्होंने बताया कि बैंक अधिकारियों ने इस घटना की सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने बताया कि टुडू 1000-1000 रुपये के 42 नोट और 500-500 रुपये मूल्य के 10 नोट जमा करा रहा था। टुडु ने खुद को एक बैंक अधिकारी का बेटा बताया और कहा कि यह पैसा उसके पिता का है जिन्होंने उनके खाते में उसे जमा करने को कहा था।

भुवनेश्वर: भुवनेश्वर के एक निजी अस्पताल में सोमवार को लगी भयावह आग की घटना को लेकर आलोचनाओं से घिरे ओडिशा के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री अतनु सव्यसाची नायक ने शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया, वहीं विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से भी नैतिक आधार पर इस्तीफा देने को कहा। अस्पताल में आग लगने से 23 लोगों की मौत हो गयी। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने संवाददाताओं से कहा, ‘श्रीमान अतनु सव्यसाची नायक ने अपना त्यागपत्र मुझे भेजा है। उन्होंने नैतिक आधार पर इस्तीफा दिया है। मैंने इसे स्वीकार कर लिया है और राज्यपाल को भेज दिया है।’ सूचना और जनसंपर्क विभाग का प्रभार भी संभाल रहे नायक ने ऐसे समय में इस्तीफा दिया है जब पुलिस ने मामले में गिरफ्तार सम अस्पताल के मालिक मनोज रंजन नायक से पूछताछ शुरू की है। मनोज नायक को कल गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। पुलिस ने आज उन्हें दो दिन की रिमांड पर लिया। सूत्रों ने कहा कि पुलिस द्वारा मनोज रंजन नायक से पूछताछ शुरू करने के कुछ घंटे बाद ही मंत्री का इस्तीफा आया है। विपक्ष ने स्वास्थ्य मंत्री पर सम अस्पताल के मालिक को बचाने का आरोप लगाया था। विपक्षी दलों ने यह आरोप भी लगाया कि मनोज नायक के स्वामित्व वाले शिक्षा ओ अनुसंधान संस्थान में अतनु की पत्नी कर्मचारी हैं।

भुवनेश्वर: सम अस्पताल चलाने वाले शिक्षा ओ अनुसंधान चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष मनोज रंजन नायक ने आज पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। सम अस्पताल में आग लग जाने पर 21 लोग मारे गए थे। नायक की गिरफ्तारी के साथ इस आग त्रासदी के मामले में गिरफ्तार लोगों की संख्या पांच हो गई है। पुलिस आयुक्त वाई बी खुरानिया ने संवाददाताओं से कहा, ‘मनोज नायक ने खांडागिरी पुलिस चौकी में आत्मसमर्पण किया। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है और पूछताछ की जा रही है।’ सूत्रों ने कहा कि नायक ने तड़के लगभग साढ़े तीन बजे खांडागिरी पुलिस चौकी में आत्मसमर्पण किया। उन्हें एक अज्ञात स्थान पर ले जाया गया, जहां पुलिस अधिकारियों ने उनसे पूछताछ की। कल शाम को पुलिस आयुक्तालय ने नायक और शाश्वती दास के नाम पर लुक आउट सकरुलर जारी किया था। ये दोनों ही चैरिटेबल ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं। खुरानिया ने कहा कि पुलिस ने सभी हवाईअड्डों और रेलवे स्टेशनों को सूचित करते हुए यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि नायक और उनकी पत्नी शाश्वती भुवनेश्वर से भागने न पाएं। गृहमंत्रालय को भी पुलिस की ओर से की गई कार्रवाई की सूचना दे दी गई है। उन्होंने कहा , ‘जांच के दौरान हम और अधिक लोगों को भी गिरफ्तार कर सकते हैं।’ पुलिस ने लुक आउट सकरुलर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा के यह स्पष्ट करने के बाद जारी किया था कि आग त्रासदी के लिए जिम्मेदार लोगों को बक्शा नहीं जाना चाहिए। दो दिन पहले पुलिस ने सम अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक पुष्पराज सामंतसिंघार समेत चार वरिष्ठ अधिकारियों को गिरफ्तार किया था। इन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 304, 308, 285 और 34 के तहत नामजद किया गया था। चार अधिकारियों को राज्य सरकार के दमकल विभाग की ओर से दायर प्राथमिकी के आधार पर गिरफ्तार किया गया था। राज्य सरकार की ओर से अस्पताल को उसकी अग्निशमन प्रणाली सुधारने के लिए वर्ष 2013 में एक परामर्श जारी किया था। इस परामर्श को नजरअंदाज करने के मामले में सम अस्पताल के अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। अस्पताल के पास अग्नि सुरक्षा प्रमाणपत्र नहीं था।

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