ताज़ा खबरें
एलजी ने सीएम आतिशी को केजरीवाल से ‘हजार गुना बेहतर’ बताया
कैशकांड पर विनोद तावड़े ने राहुल-खड़गे-श्रीनेत को भेजा कानूनी नोटिस

गुवाहाटी: असम विधानसभा में शुक्रवार को बुजुर्ग लोगों से जुड़ा एक बेहद अहम बिल पास किया गया है। इस बिल के मुताबिक, सरकारी कर्मचारियों के लिए ये जरूरी होगा कि वो अपने माता-पिता और दिव्यांग भाई-बहनों की सही तरीके से देखभाल करें। बिल के मुताबित अगर किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा ऐसा नहीं किया जाता है, तो राज्य सरकार उसके वेतन में से हर महीने एक तय रकम काट लेगी। काटा हुआ पैसा उस कर्मचारी के माता-पिता या दिव्यांग भाई-बहनों पर खर्च किया जाएगा। खास बात ये है कि असम देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां इस तरह का कानून बनाया गया है। इस कानून पर शुक्रवार को विधानसभा में चर्चा हुई और इस दौरान राज्य के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा ने कहा कि हमारी सरकार को ये मंजूर नहीं कि कोई भी शख्स अपने बुजुर्ग मां-बाप को वृद्धाश्रम में छोड़कर जाए। ठीक इसी तरह दिव्यांग भाई-बहनों के मामले में भी हम यही चाहते हैं। शर्मा के मुताबिक, शुरुआत में इस कानून के दायरे में सिर्फ सरकारी कर्मचारियों को रखा गया है। लेकिन जल्द ही प्राईवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों को भी इसमें शामिल किया जाएगा।

दिसपुर: असम राज्य में बतद्रोवा विधानसभा सीट से एमएलए और नार्थ ईस्ट की फिल्म इंडस्ट्री की मशहूर एक्ट्रेस रहीं अंगूरलता डेका इन दिनों अपनी एक मांग को लेकर खासी चर्चा बटोर रही हैं। उन्होंने असम विधानसभा की इमारत में ब्रेस्ट फीडिंग रुम की मांग की है। दरअसल अंगूरलता अगस्त के पहले हफ्ते में ही मां बनी हैं। उन्होने 4 सितंबर को शुरु हुए विधानसभा सत्र में ये मांग उठाई है क्योंकि उन्हें हर घंटे अपने बच्चे को दूध पिलाने के लिए सत्र की कार्रवाई को बीच में ही छोड़कर घर जाना पड़ रहा है। अंगूरलता चाहती हैं कि सरकार, सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के दफ्तरों में भी महिलाओं के लिए स्पेशल रूम बनाया जाए। आपको बता दें कि अंगूरलता भाजपा ज्वाइन करने से पहले एक मशहूर एक्ट्रैस भी रह चुकी हैं। बाद में साल 2015 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत भी गईं। इससे पहले वो कई बंगाली और असमिया फिल्मों में काम कर चुकी हैं। असम के थिएटर के लिए वो बेनजीर भूट्टो का किरदार भी निभा चुकी हैं।

काजीरंगा: इस मानसून में आई दूसरे दौर की बाढ़ ने असम में जनजीवन बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। 481 वर्ग किलोमीटर में फैले काजीरंगा नेशनल पार्क का लगभग 80 फीसदी हिस्सा जलमग्न हो चुका है। बाढ़ से अब तक सात गैंडों समेत 140 जानवरों की मौत हो चुकी है। काजीरंगा नेशनल पार्क की डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफिसर रोहिणी बल्लाब सैकिया ने बताया कि 10 अगस्त तक सात गैंडे, 122 हिरण, दो हाथी की मौत हुई। तीन सांबर हिरण, तीन जंगली सुअर, दो हॉग हिरण, एक भैंस और एक साही भी मारे गए हैं। अब भी हर रोज जानवरों के शव मिल रहे हैं। सात में से छह गैंडों की मौत डूबने से हुई है। जबकि एक की मौत प्राकृतिक हुई है। सैकिया के मुताबिक यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल काजीरंगा पार्क में 10 अगस्त को डिफ्लू नदी के जरिए ब्रह्मपुत्र नदी का पानी घुस गया था, जिससे यह तबाही मची। पार्क के गॉर्ड, एनजीओ कार्यकर्ता और वन विभाग के कर्मचारी पेट्रोलिंग करके पार्क में फंसे जानवरों को बचा रहे हैं। पानी भरने के कारण खाने की खोज में जानवर पार्क के दोनों ओर मौजूद राष्ट्रीय राजमार्ग 37 पर और चाय के बागानों में पहुंच रहे हैं।

गुवाहाटी: असम में बाढ़ से एक और व्यक्ति के मरने और राज्य के 21 जिलों में 10 लाख से अधिक लोगों के इससे प्रभावित होने की रिपोर्ट के बीच जलस्तर थोड़ा नीचे आने से बाढ़ की स्थिति में मामूली सुधार देखा गया। असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एएसडीएमए) की रिपोर्ट के अनुसार मोरीगांव जिले में एक व्यक्ति की मौत हो जाने से इस साल बाढ़ जनित घटनाओं में मरने वालों की संख्या बढ़कर 60 हो गई है। बाढ़ से प्रभावित होने के बाद अकेले राज्य के गुवाहाटी में ही आठ लोगों की मौत हुई है। एएसडीएमए ने बताया कि फिलहाल राज्य के धेमाजी, लखीमपुर, बिस्वनाथ, दरांग, नलबाड़ी, बारपेटा, बोंगईगांव, चिरांग, कोकराझार, धुबरी, दक्षिण सल्मारा, ग्वालपाड़ा, मोरीगांव, नगांव, काबीर् आंगलांग, गोलााट, जोरहाट, माजुली, शिवसागर, करीमगंज और कछार जिलों में 10 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में 38 प्रतिशत हिस्सा जलमग्न हो गया है, जिसके कारण कुछ पशु भी मारे गए हैं और कुछ पास में उंचाई वाले स्थान पर चले गए हैं। एएसडीएमए ने बताया कि 1,512 गांव जलमग्न हैं और बरीक 50,000 हेक्टेयर में लगी फसल जलमग्न हो गयी है।एएसडीएमए ने बताया कि सरकार बाढ़ पीडि़तों के बीच चावल, दाल, नमक और सरसों तेल वितरित कर रही है।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख