नई दिल्ली: वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ कोलकाता के रामलीला मैदान में एक विशाल विरोध प्रदर्शन हुआ। इस दौरान पश्चिम बंगाल के मंत्री और जमीयत-ए-उलेमा हिंद के प्रदेश अध्यक्ष सिद्दीकुल्लाह चौधरी ने घोषणा की कि कानून को निरस्त करने की मांग करते हुए “एक करोड़ हस्ताक्षरों” वाला एक ज्ञापन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंपा जाएगा।
जमीयत की प्रदेश इकाई द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन में मुस्लिम समुदाय के लोगों की भीड़ उमड़ी और ईसाइयों और सिखों ने भी इसमें भाग लिया।
पीएम को ज्ञापन भेजेगा जमीयत-ए-उलेमा हिंद
सिद्दीकुल्लाह चौधरी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा, “2014 में सरकार बनाने के बाद, बीजेपी ने 1,159 अधिनियमों को निरस्त कर दिया। इसलिए, वक्फ (संशोधन) अधिनियम को रद्द करना पूरी तरह से संभव है।” उन्होंने कहा कि संगठन पूरे राज्य से “एक करोड़ हस्ताक्षर” एकत्र करेगा और जन-आंदोलन अभियान के तहत उन्हें प्रधानमंत्री को सौंपेगा।
चौधरी ने कहा, "हम जिले-दर-जिले, शहर-दर-शहर जाएंगे और हस्ताक्षर एकत्र करेंगे और उन्हें प्रधानमंत्री मोदी को सौंपेंगे। जन आंदोलनों के माध्यम से पहले भी कानूनों को निरस्त किया गया है और हमें विश्वास है कि यह कानून भी निरस्त हो जाएगा।"
उन्होंने यह घोषणा भी की कि जमीयत इस अधिनियम के खिलाफ कानूनी लड़ाई में मदद के लिए चंदा अभियान शुरू करेगी।
राजस्थान में वक्फ कानून के खिलाफ जागरूकता अभियान
दूसरी ओर राजस्थान के प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के खिलाफ ‘ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी)’ के राष्ट्रव्यापी जागरूकता अभियान को पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की है। संगठनों के अनुसार 10 अप्रैल से सात जुलाई तक चलने वाले इस अभियान का उद्देश्य जागरूकता फैलाना है।
एक प्रेसवार्ता में राज्य के विभिन्न मुस्लिम संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था ‘राजस्थान मुस्लिम फोरम’ ने इस अभियान में अपनी भागीदारी की घोषणा की।
जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के प्रदेश उपाध्यक्ष हाफिज मंजूर ने कहा कि फोरम की योजना सभी धर्मों के धार्मिक नेताओं, नागरिक संस्थाओं और राजनीतिक दलों तक पहुंचने की है तथा उसका लक्ष्य गलत सूचनाओं को दूर करना और कानून के खिलाफ समर्थन जुटाना है।
अजमेर दरगाह में अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने अधिनियम की कड़ी निंदा की और इसे मुस्लिम वक्फ संपत्तियों को कानूनी आवरण की आड़ में हड़पने का “संगठित प्रयास” बताया।
चिश्ती ने कहा, “वक्फ संपत्तियां राजनीतिक संपत्ति नहीं हैं- वे पवित्र ट्रस्ट हैं। हमारे पूर्वजों द्वारा 700-800 साल पहले दिए गए दान हैं। यह संशोधन राज्य प्रायोजित भूमि हड़पने से कम नहीं है।”
उन्होंने मोदी सरकार, भाजपा और हिंदू संगठनों पर देश भर में मुसलमानों को हाशिए पर रखने के लिए एक व्यापक एजेंडा चलाने का आरोप लगाया।
अट्ठाईस मुस्लिम संगठनों के निकाय इस फोरम ने राजस्थान में उन लोगों का बहिष्कार करने की भी घोषणा की, जिन्होंने सार्वजनिक रूप से अधिनियम का समर्थन किया है।