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गुवाहाटी: असम में नागरिकता रजिस्टर पर ममता बनर्जी का विरोध पार्टी पर भारी पड़ रहा है। ममता के रुख़ के विरोध में असम के तृणमूल कांग्रेस कमेटी के प्रमुख द्विपेन पाठक ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया। इसके साथ प्रदीप पचानी और दिगंता सैकिया ने भी ये कहते हुए पार्टी छोड़ दी कि वे उस पार्टी में नहीं बने रहना चाहते हैं जो मूल असमी लोगों की पहचान से समझौता करना चाहती है। दूसरी ओर असम में एनआरसी का आखिरी मसौदा जारी होने के बाद से पड़ोसी राज्यों से अवैध नागरिकों के आने के ख़तरे से मणिपुर सतर्क हो गया है।

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा है कि सरकार हाईअलर्ट पर है और अवैध लोगों को राज्य में दाखिल होने से रोकने के लिए राज्य और ज़िला स्तर पर मॉनिटरिंग कमेटी बनाई गई है। बीरेन सिंह के मुताबिक मणिपुर पर स्थानीय आबादी के मुकाबले बाहरी लोगों की तादाद ज्यादा होने का ख़तरा मंडरा रहा है।

नई दिल्ली: नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) में असम के 40 लाख लोगों को बाहर किए जाने के बाद से मुद्दा और गरमा गया है। असम के सिलचर एयरपोर्ट पर तृणमूल कांग्रेस के आठ नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। इनमें से छह सांसद और दो विधायक शामिल हैं। इसके साथ ही टीएमसी नेताओं का आरोप है कि उनकी पीटा भी गया है। सिलचर में एक सम्मेलन में शामिल होने जा रहा टीएमसी का आठ सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल गुरुवार दोपहर तकरीबन दो बजे एयरपोर्ट पहुंचा था।

बताया जा रहा है कि ये सभी नेता नौगांव और गुवाहाटी भी जाने वाले थे। जिन छह सांसदों को हिरासत में लिया गया है, उनमें सुखेंदू शेखर रे, काकोली घोष, रत्ना दे नाग, नादीमुल हक, अर्पिता घोष और ममता ठाकुर का नाम शामिल है। इसके अलावा बंगाल के शहरी विकास मंत्री फिरहद हकीमत और विधायक महुआ मोइत्रा भी प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं। शेखर रे ने बताया कि जैसे ही हम सिलचर एयरपोर्ट के लॉन्ज में पहुंचे, वैसे ही पुलिस अधिकारियों की टीम ने हमें रोक लिया। एक पुलिस अधिकारी ने मेरे सीने पर मारा भी।

डिब्रुगढ़: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज किया है। यह केस एनआरसी के मसले पर दिए गए उनके गृहयुद्ध और रक्तपात वाले बयान के बाद दर्ज किया गया है। असम के डिब्रुगढ़ में भाजपा युवा मोर्चा के तीन कार्यकर्ताओं ने शिकायत दर्ज कराई है। ममता बनर्जी ने भाजपा पर एनआरसी के मुद्दे पर देश को तोड़ने का आरोप लगाया था।

दिल्ली में इस मुद्दे पर बोलते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि राजनीतिक उद्देश्य से एनआरसी लाया गया है। उन्होंने आगे कहा, 'हम यह नहीं होने देंगे। वे (भाजपा) देश को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। देश में गृहयुद्ध और रक्तपात हो जाएगा।' इसके साथ ही भाजपा पर आरोप लगाया कि पार्टी अपने राजनीतिक फायदे के लिए असम में लाखों लोगों का नाम हटा रही है। इसके बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने प्रेस कांफ्रेंस करते हुए ममता बनर्जी पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी वोट बैंक की राजनीति कर रही हैं। उनकी स्पीच से मैं पूरी तरह स्तब्ध हूं। शाह ने कहा, 'यह कदम भारत के लोगों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए लिया गया है।

गुवाहाटी: असम में कड़ी सुरक्षा के बीच सरकार ने असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के दूसरे एवं अंतिम मसौदा को जारी कर दिया है। ताकि अवैध तौर पर वहां पर रह रहे लोगों का पता लगाया जा सके। इसे कड़ी सुरक्षा के बीच जारी किया गया है। आवेदक अपने नामों को सूची में देख सकते हैं। इसमें आवेदकों का नाम, पता और तस्वीर शामिल होगा। एनआरसी में उन सभी भारतीय नागरिकों के नामों को शामिल किया जाएगा जो 25 मार्च, 1971 से पहले से असम में रह रहे हैं।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बहरहाल, कानून एवं व्यवस्था को बनाए रखने के लिए समूचे राज्य में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। असम एवं पड़ोसी राज्यों में सुरक्षा चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए केंद्र ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की 220 कंपनियों को भेजा है। राज्य सरकार ने कहा कि मसौदा में जिनके नाम उपलब्ध नहीं होंगे उनके दावों की गुंजाइश होगी। उन्हें (महिला/पुरूष) संबंधित सेवा केन्द्रों में निर्दिष्ट फॉर्म को भरना होगा। ये फॉर्म सात अगस्त से 28 सितंबर के बीच उपलब्ध होंगे।

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