ताज़ा खबरें
अमेरिका ने 26% टैरिफ लगा दिया, लेकिन संसद में चर्चा नहीं हुई: खड़गे
राम रहीम को फिर मिली फरलो, इस बार 21 दिन सलाखों से रहेगा बाहर
भारत समेत कई देशों पर ट्रंप का नया टैरिफ लागू, चीन पर 104% शुल्क
देश में लागू हुआ नया वक्फ कानून, अगले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
देश में लागू हुआ वक्फ कानून, केंद्र सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन

नई दिल्ली: अमेरिका के जवाबी शुल्क को लेकर चिंता के बीच सोमवार को भारत समेत दुनिया भर के बाजारों में बड़ी गिरावट आई। स्थानीय शेयर बाजार में बीएसई सेंसेक्स 2,226.79 अंक का गोता लगा गया, जबकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 743 अंक लुढ़क गया। दस माह में यह शेयर बाजार में सबसे बड़ी गिरावट है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शुल्क बढ़ाये जाने और चीन के जवाबी कदम से आर्थिक नरमी की आशंका के बीच बाजार में गिरावट आई है।

तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स में लगातार तीसरे कारोबारी सत्र में गिरावट रही और यह 2,226.79 अंक यानी 2.95 प्रतिशत के नुकसान के साथ 73,137.90 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 3,939.68 अंक यानी 5.22 प्रतिशत तक लुढ़क गया था।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 742.85 अंक यानी 3.24 प्रतिशत टूटकर 22,161.60 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय निफ्टी 1,160.8 अंक तक लुढ़क गया था।

हिंदुस्तान यूनिलीवर को छोड़कर सेंसेक्स में शामिल सभी शेयर नुकसान में रहे। टाटा स्टील में सबसे ज्यादा 7.33 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि लार्सन एंड टुब्रो 5.78 प्रतिशत के नुकसान में रहा।

इसके अलावा टाटा मोटर्स, कोटक महिंद्रा बैंक, महिंद्रा एंड महिंद्रा, इन्फोसिस, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एचसीएल टेक्नोलॉजीज और एचडीएफसी बैंक के शेयर भी नीचे आए।

हिंदुस्तान यूनिलीवर मामूली बढ़त के साथ बंद हुआ।

जियोजीत इन्वेस्टमेंट लि. के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘बाजार में गिरावट का कारण उच्च अमेरिकी शुल्क और अन्य देशों के जवाबी शुल्क के कारण व्यापार युद्ध शुरू होने की आशंका है। सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और धातु जैसे क्षेत्र नुकसान में रहे। इसका कारण धीमी वृद्धि के साथ उच्च मुद्रास्फीति का जोखिम है, जिससे अमेरिका में मंदी की आशंका है।’’

बीएसई में 3,515 शेयरों में गिरावट रही जबकि 570 लाभ में रहे। 140 के भाव में कोई बदलाव नहीं हुआ। कुल 775 शेयर 52 सप्ताह के निचले स्तर पर जबकि 59 कंपनियों के शेयर 52 सप्ताह के उच्च स्तर पर रहे।

मेहता इक्विटीज लि. के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) प्रशांत तापसे ने कहा, ‘‘अमेरिकी बाजार में शुक्रवार को आई गिरावट के बाद यह तय था कि वैश्विक शेयर बाजारों में गिरावट आएगी और वैसा ही हुआ। इस गिरावट का कारण यह है कि जवाबी शुल्क को लेकर ट्रंप की नीतियों से अमेरिका में आने वाले समय में मंदी आने और महंगाई बढ़ने की आशंका है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कच्चे तेल और कई धातुओं के दाम में गिरावट जारी है। यह संकेत है कि अगर मौजूदा स्थिति बनी रहती है तो मांग नरम पड़ सकती है।’’

एशिया के अन्य बाजारों में, हांगकांग का हैंगसेंग 13 प्रतिशत से अधिक गिर गया, जापान का निक्की 225 लगभग आठ प्रतिशत टूटा, शंघाई एसएसई कम्पोजिट सात प्रतिशत और दक्षिण कोरिया का कॉस्पी पांच प्रतिशत से अधिक नुकसान में रहा।

यूरोप के प्रमुख बाजारों में भी भारी बिकवाली का दबाव रहा है और दोपहर के कारोबार में इसमें छह प्रतिशत तक की गिरावट रही।

अमेरिकी बाजार में शुक्रवार को तेज गिरावट आई। एसएंडपी-500, 5.97 प्रतिशत नीचे आया जबकि नासदैक कम्पोजिट 5.82 प्रतिशत और डाऊ 5.50 प्रतिशत नुकसान में रहे।

इससे पहले, चार जून को सेंसेक्स 4,389.73 अंक यानी 5.74 प्रतिशत का गोता लगाते हुए 72,079.05 अंक पर बंद हुआ था। उस दिन कारोबार के दौरान सेंसेक्स 6,234.35 अंक तक लुढ़क गया था।

वहीं एनएसई निफ्टी चार जून को 1,379.40 अंक यानी 5.93 प्रतिशत टूटकर 21,884.50 अंक पर बंद हुआ था। कारोबार के दौरान यह 1,982.45 अंक तक लुढ़क गया था।

इससे पहले, 23 मार्च, 2020 को लॉकडाउन लगाये जाने के दिन सेंसेक्स और निफ्टी 13 प्रतिशत से अधिक टूटे थे।

सोमवार को बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक 4.13 प्रतिशत के नुकसान में रहा, जबकि मिडकैप में 3.46 प्रतिशत की गिरावट आई।

नायर ने कहा, ‘‘हालांकि, अन्य देशों के मुकाबले भारत पर प्रभाव सीमित होगा, लेकिन निवेशकों को इस दौरान सतर्क रहने की सलाह दी जाती है।’’

शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने शुक्रवार को 3,483.98 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे।

वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 3.61 प्रतिशत की गिरावट के साथ 63.21 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया। पिछले सप्ताह, बीएसई सेंसेक्स 2,050.23 अंक यानी 2.64 प्रतिशत नुकसान में रहा था जबकि एनएसई निफ्टी में 614.8 अंक यानी 2.61 प्रतिशत की गिरावट आई थी।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख