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पर्यावरण निधि के दुरुपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

शाहजहांपुर: छात्रा के यौन शोषण के आरोप में जेल में बंद पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद की न्यायिक हिरासत की अवधि गुरूवार को 14 दिनों के लिए बढ़ा दी गइ। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में चिन्मयानंद की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेशी हुई और अदालत ने चिन्मयानंद की पेशी की अगली तारीख 16 अक्टूबर तय की है। चिन्मयानंद के अधिवक्ता ओम सिंह ने बताया कि चिन्मयानंद को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था। आज सीजेएम की अदालत में उनकी पेशी होनी थी परंतु सुरक्षा कारणों के चलते जेल से ही वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उनकी पेशी हुई। अधिवक्ता ने बताया कि सीजेएम ओमवीर सिंह ने चिन्मयानंद की न्यायिक हिरासत 14 दिन के लिए और बढ़ा दी है।

अधिवक्ता पूजा सिंह ने बताया कि स्वामी को मोतियाबिंद है और उनकी नजर तेजी से कम हो रही है क्योंकि मोतियाबिंद के कारण आंख के पास नस में तेज दर्द हो रहा है। पूजा सिंह ने कहा कि उन्होंने अदालत में भी इस बात को रखा है कि स्वामी पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हैं। ऐसे में जेल में उन्हें 'ए' क्लास की सुविधाएं मिलनी चाहिए परंतु उन्हें साधारण बंदियों की तरह भोजन और साधारण बंदियों की तरह फर्श पर लेटना पड़ रहा है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरुवार को कहा कि अगस्त 2017 में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में बड़ी संख्या में इंसेफ्लाइटिस से ग्रस्त बच्चों की मौत के मामले में आरोपी डॉक्टर कफील से सम्बन्धित जांच समिति ने कुछ तथ्यों का संज्ञान नहीं लिया था और खान को कोई क्लीन चिट नहीं दी गयी है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव रजनीश दुबे ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि डॉक्टर कफील के खिलाफ स्टाम्प एवं निबंधन विभाग के प्रमुख सचिव हिमांशु कुमार की जांच रिपोर्ट में कफील के बाल रोग विभाग में 100 बेड के वार्ड का प्रभारी होने के दौरान अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं करने और वार्ड में दी जाने वाली सुविधाओं का ठीक से प्रबन्धन नहीं करने के आरोप सिद्ध नहीं हुए हैं।

दुबे के मुताबिक डॉक्टर कफील ने जांच अधिकारी को बताया था कि घटना के समय वह नहीं बल्कि डॉक्टर भूपेन्द्र शर्मा उस वार्ड के प्रभारी थे। मगर इसके अलावा और बहुत से अभिलेख थे, जिनका जांच अधिकारी ने संज्ञान नहीं लिया। उनका संज्ञान लेकर शासन के स्तर से उसकी जांच की जा रही है।

रामपुर: जौहर यूनिवर्सिटी के लिए जमीन कब्जाने के आरोपों में घिरे सांसद आजम खां बुधवार को फिर एसआईटी के सामने पेश हुए। पुलिस अफसरों ने उनसे घंटा भर तक सवाल-जवाब किए, लेकिन सवालों की लंबी सूची देख आजम खां ने एक सप्ताह की मोहलत मांगी है। इस दौरान राज्यसभा सांसद पत्नी तजीन फात्मा, विधायक पुत्र अब्दुल्ला और पूर्व एमएलसी रूचि वीरा भी साथ रहीं। अजीमनगर थाने में आलियागंज के 27 किसानों ने सांसद आजम खां पर जमीन कब्जाने की रिपोर्ट कराई है। 

इनसे पहले एक रिपोर्ट लेखपाल की ओर से भी कराई गई थी, जिसमें आजम खां भी आरोपी हैं। सभी मामलों की जांच स्थानीय एसआईटी कर रही है। मंगलवार को एसआईटी ने एक बार फिर आजम खां को नोटिस दिया था और बुधवार को बुलाया था। लिहाजा बुधवार को पत्नी तजीन फातमा, पुत्र एवं विधायक अब्दुल्ला और पूर्व विधायक रूचि वीरा के साथ महिला थाने पहुंचे और एसआईटी के सामने पेश हुए, जहां उनसे करीब घंटा भर तक पूछताछ की गई।

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्व की सरकारों पर बुधवार को हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि राज्य में 1977 से 2017 तक इन्सेफेलाइटिस पर रोक लगाने के लिए कुछ नहीं किया गया, नतीजतन पिछले चालीस साल में 50 हजार से ज्यादा बच्चों को अपनी जान गंवानी पड़ी। मुख्यमंत्री ने विधानसभा के विशेष सत्र में कहा कि पहली बार 1977 में इन्सेफेलाइटिस के रोगी का पता चला लेकिन किसी भी सरकार ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के 38 जिलों में जिसमें वीआईपी जिला रायबरेली भी शामिल था, इसकी रोकथाम के लिये कोई भी प्रयास नहीं किया। 1977 से 2017 तक एक साल से लेकर 15 साल तक के करीब पचास हजार बच्चे इस रोग की चपेट में आकर मर गये।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मरने वाले बच्चों में 70 से 90 प्रतिशत बच्चे दलित एवं अल्पसंख्यक समुदाय से थे। जब 1988 में मैं पहली बार सांसद बना तो मैंने यह मुददा उठाया। मुख्यमंत्री ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि 2016 में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिन्ड्रोम (एईएस) के 2,900 मामले सामने आये जिनमें से 491 की मौत हो गई। जबकि 2017 में 3,911 मामले आये और 641 बच्चों की मौत हुई।

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