ताज़ा खबरें
पंजाब सीएम के साथ बैठक रही बेनतीजा, किसान विरोध प्रदर्शन पर अड़े
मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को बीएसपी से किया निष्कासित
पूर्व सीएम राबड़ी ने सस्ती गैस समेत कई मांगों को लेकर किया प्रदर्शन

पटना: बिहार में इसी साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। उससे पहले चर्चा हो रही है कि बिहार का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? इसको लेकर सी-वोटर का नया सर्वे सामने आया है, जिसमें चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।

सी-वोटर के सर्वे में सामने आया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लोकप्रियता में भारी गिरावट आई है, जबकि आरजेडी नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है।

बिहार में प्रशांत किशोर की लोकप्रियता भी बढ़ी

सर्वे के आंकड़े बताते कि 41 फीसदी लोग तेजस्वी यादव को बिहार का अगला मुख्यमंत्री बनता हुआ देखना चाहते हैं, जबकि केवल 18 फीसदी लोग ही हैं, जो नीतीश कुमार को फिर से सीएम के पद पर देखना चाहते हैं। इसके अलावा इस सर्वे में जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर, बीजेपी नेता सम्राट चौधरी और चिराग पासवान को लेकर भी सवाल पूछे गए थे। बिहार के 15 फीसदी लोग प्रशांत किशोर को सीएम बनता हुआ देखना चाहते हैं, इस सर्वे में पीके बीजेपी के सम्राट चौधरी से आगे हैं।

सम्राट चौधरी को 8 फीसदी लोग ही सीएम की पोस्ट पर देखना चाहते हैं। इसके अलावा 4 प्रतिशत लोगों की पसंद केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान हैं।

50 फीसदी लोग नीतीश सरकार से नाराज

इस सर्वे के मुताबिक, बिहार के 50 फीसदी लोग नीतीश-बीजेपी सरकार से नाराज हैं। वहीं 22 फीसदी लोग सरकार से नाराज तो हैं, जबकि बदलाव नहीं चाहते। 25 प्रतिशत लोगों ने साफ कहा कि वे न तो नाराज हैं और न ही सरकार बदलने के पक्ष में हैं।

बिहार में चुनावी मुद्दा क्या है?

इस बार के चुनावों में बिहार में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा बनकर उभरा है। सर्वे के मुताबिक, 45 प्रतिशत लोगों ने बेरोजगारी को अपनी प्राथमिकता बताया। इसके बाद 11 प्रतिशत लोगों ने महंगाई को सबसे अहम मुद्दा माना जबकि 10 प्रतिशत लोगों के लिए बिजली, पानी और सड़कें मुद्दा हैं। केवल 4 प्रतिशत लोगों ने कृषि से जुड़े मुद्दों और भ्रष्टाचार पर वोट देने की बात कही।

पिछले चुनाव में आरजेडी बनी थी सबसे बड़ी पार्टी

पिछले विधानसभा चुनावों में आरजेडी ने 75 सीटें जीती थीं और सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, जबकि बीजेपी ने 74 सीटें और जेडीयू ने 43 सीटें जीती थीं। इसके अलावा चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी-आर एक भी सीट पर नहीं जीत पाई थी।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख