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लखनऊ: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) तथा राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) सब एक ही है। हर भारतीय इसके विरुद्ध है। इनके प्रति देशभर में जो आशंकाएं हैं, इससे लोगों में गहरा असंतोष पनप रहा है। इसके बावजूद भाजपा नेतृत्व सच नहीं बोल रहा है।

अखिलेश ने मंगलवार को जारी बयान में आरोप लगाया कि 19 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन में डेढ़ दर्जन से ज्यादा मौतें हुई। इनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं दी जा रही है। कार्रवाई के नाम पर उत्पीड़न किया जा रहा है। दुकानों और घरों में तोड़फोड़ की जा रही है। निर्दोषों को सताया जा रहा है। रामपुर में उत्पीड़न चरम पर है। कार्रवाई के नाम पर रंग कर्मियों और संस्कृति कर्मियों को पकड़ा जा रहा है। पत्रकारों के साथ भी पुलिस का व्यवहार नितांत अवांछनीय और निंदनीय है।

नई दिल्ली: यमुना एक्सप्रेसवे घोटाला मामले की जांच का जिम्मा अब सीबीआई ने ले लिया है। अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि एजेंसी ने अपनी प्राथमिकी में पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता और 20 अन्य को नामजद किया है। अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने उत्तर प्रदेश सरकार की अनुशंसा के अनुरूप यह कदम उठाया है। सरकार ने यमुना एक्सप्रेसवे परियोजना के लिए मथुरा में बड़ी जमीनों की खरीद में हुई 126 करोड़ रुपये की कथित अनियमितताओं की जांच करने को कहा है।

अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार का आरोप है कि यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने यमुना एक्सप्रेसवे के लिए मथुरा के सात गांवों में 85 करोड़ रुपये में जमीन खरीदी थी। जिससे राज्य सरकार को 126 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी के साथ यूपी राज्य औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआईडीसी) की वित्तीय जांच (ऑडिट) नियंत्रक एवं लेखा महारीक्षक (सीएजी) से कराने का फैसला 2017 में लिया था।

लखनऊ: नागरिक संशोधन कानून के विरोध में हिंसा भड़काने वाले तीन आरोपितों को जेल प्रशासन ने हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा है। इन्हें अलग-अगल बैरकों में रखा गया है। मंगलवार दोपहर बाद तीनों आरोपित वसीम अहमद, अशफाक और नदीम के साथ ही हिंसा में शामिल पहले से जेल में बंद 107 उपद्रवियों की सघन तलाशी ली गई। हालांकि यह उप्रदवी भी अलग-अलग बैरकों में बंद हैं। तलाशी के बाद करीब दर्जन भर उपद्रवियों की बैरकें बदली गईं। जेल प्रशासन इनकी हरकतों पर सीसी कैमरे के जरिए लगातार नजर रख रहा है।

मिलने वालों पर विशेष नजर

जेल में बंद हिंसा भड़काने वाले उपद्रवियों से मिलने जाने वाले लोगों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। मिलने वाले प्रत्येक व्यक्ति का फोटो और आईडी प्रूफ लेने के बाद ही मिलने दिया जा रहा है। मंगलवार को उप्रदवियों से मिलने गए कई लोगों के पास आईडी प्रूफ उपलब्ध न होने की वजह से मिलने नहीं दिया गया। वे लोग बिना मिले ही चले गए।

वाराणसी: बीएचयू के 101वें दीक्षांत समारोह में नागरिकता कानून (सीएए) का विरोध दिखाई दिया। मंगलवार को हिस्ट्री ऑफ आर्ट्स के छात्र रजत सिंह ने नागरिकता कानून के विरोध को लेकर बनारस में हुई गिरफ्तारियों के खिलाफ अपनी डिग्री लेने से मना कर दिया। रजत ने संकाय स्तपर पर आयोजित दीक्षांत समारोह में भाग लिया और मंच पर भी गया लेकिन डिग्री नहीं ली। रजत ने कहा कि आज कई छात्रों को यहां डिग्री लेनी थी लेकिन वह जेल में हैं। गिरफ्तार किए गए सभी लोगों को रिहा किया जाना चाहिए।

रजत ने आरोप लगाया कि बनारस में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे 70 लोगों को पुलिस ने जेल भेज दिया था। इसमें कई बीएचयू के छात्र हैं। बनारस के प्रदर्शन में किसी भी प्रकार की कोई हिंसा नही हुई थी। इसके बावजूद पुलिस ने बीएचयू के छात्रों को डराने के लिए फर्जी मुकदमे लगाए हैं। वहीं, बीएचयू के कई छात्रों ने संकाय स्तर पर आयोजित दीक्षांत में मिली डिग्री को मालवीय जी की प्रतिमा के समीप रखकर प्रदर्शन किया। छात्र नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के दौरान विश्वविद्यालय से गिरफ्तार कर जेल भेजे गए छात्रों को रिहा करने की मांग कर रहे थे।

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