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नई दिल्ली: दिल्ली के रिज क्षेत्र में 1100 पेड़ों को काटने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में लगातार सुनवाई जारी है। इस बीच शीर्ष अदालत ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) को फटकार लगाई है। अदालत ने कहा है कि इस मामले में डीडीए द्वारा बड़े नामों को बचाने की कोशिश की जा रही है, जबकि छोटे अफसरों पर आरोप लगाए जा रहे हैं।

शीर्ष अदालत की डीडीए को फटकार

शीर्ष अदालत ने कहा कि डीडीए ने रिज क्षेत्र में दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना के दौरे को लेकर जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई। अदालत ने आगे कहा कि डीडीए द्वारा इस मामले में बड़े अधिकारियों को बचाया जा रहा है जबकि छोटे अधिकारियों पर आरोप लगाए जा रहे हैं। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की अवकाशकालीन पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। पीठ ने कहा कि इस मामले में डीडीए द्वारा घोर लापरवाही बरती गई है। उपराज्यपाल ने 3 फरवरी को रिज क्षेत्र का दौरा किया था। अदालत का कहना है कि इस बारे में डीडीए द्वारा कोई भी जानकारी नहीं दी गई।

‘डीडीए की तरफ से घोर लापरवाही’

शीर्ष अदालत ने कहा ‘ये घोर डीडीए की तरफ से घोर लापरवाही है। आप एक सामान्य दस्तावेज को ढूंढ नहीं पाए। जिस तरह से घटनाएं घटित हुई हैं, उस पर हमें संदेह है। हमने उस ईमेल के पहले भाग को देखा है, जिसमें उप राज्यपाल के दौरे की बात बताई गई है। क्या डीडीए को इस मामले में कार्रवाई नहीं करनी चाहिए थी? डीडीए का काम सिर्फ बड़े अधिकारियों को बचाना और छोटे अधिकारियों पर आरोप लगाना है।

तमाम दलीलों के बाद अदालत का आदेश

शीर्ष अदालत में दिल्ली के निवासी बिंदु कपूरिया की याचिका पर सुनवाई की जा रही थी। यचिका में आरोप लगाए गए हैं कि अदालत द्वारा अनुमति न मिलने के बाद भी पेड़ों को काटा गया। अदालत में डीडीए की तरफ से वकील के रूप में मनिंदर सिंह पेश हुए। उन्होंने कहा कि अदालत को गलत जानकारी दी गई है। सिंह ने कहा कि दिल्ली के उप राज्यपाल ने रिज क्षेत्र का नहीं बल्कि केंद्रीय सुरक्षा बलों के अस्पताल का दौरा किया था। जब अदालत ने सिंह से पूछा कि उप राज्यपाल के दौरे के दौरान उनके साथ कौन अधिकारी मौजूद था। इसके जवाब में सिंह ने अशोक कुमार गुप्ता का नाम बताया। इसके बाद अदालत ने कहा ‘हम अशोक कुमार गुप्ता को एक हलफनामा दायर करने का निर्देश देते हैं। वह बताएंगे कि उपराज्यपाल की यात्रा के दौरान वास्तव में क्या हुआ था। गुप्ता यह भी बताएंगे कि क्या उपराज्यपाल द्वारा मौखिक रूप से कोई निर्देश जारी किए गए थे।’

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