(आशु सक्सेना): लोकसभा चुनाव के तीन चरण का मतदान हो चुका है। 545 सीटों वाली लोकसभा की आधी से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद हो चुका है। केंद्र की सत्ता पर पिछले एक दशक से काबिज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पीएम मोदी की गारंटी के नारे पर इस बार चार सौ पार का लक्ष्य निर्धारित किया है। लेकिन तीन चरण की वोटिंग के बाद रूझानों की जो धुंधली सी तस्वीर उभरी है, उसमेंं सत्तारूढ़ बीजेपी को कहीं से भी बढ़त मिलने के संकेत नहीं है। सबसे चौंकाने वाले संकेत अयोध्या, काशी और मथुरा वाले सूबे उत्तर प्रदेश से सुनने को मिल रहे हैं। इस प्रदेश में बीजेपी की हार पीएम मोदी को निश्चिततौर पर सत्ता से बेदखल कर देगी। यही वजह है कि पहले चरण के मतदान के बाद पीएम मोदी ने अपने भाषणों को हिंदु-मुसलिम पर केंद्रित करके चुनाव को सांप्रदायिक रंग देना शुरू कर दिया है।
आपको याद होगा कि पीएम मोदी ने 2017 मेंं यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान शमशान और कब्रिस्तान का मुद्दा उठाकर सपा के विकास के नारे को दबा दिया था।
सांप्रदायिक माहौल बनाकर पीएम मोदी सपा से सत्ता छीनने मेंं सफल रहे थे। अब अदित्यनाथ योगी सूबे में अपनी दूसरी पारी खेल रहे हैं। इसके बावजूद 'जाट लेंड' यानि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में डबल इंजन की दोनों सरकारों के खिलाफ लोगों में गुस्सा साफ नज़र आया। जिसका खामियाजा चुनाव नतीजों में बीजेपी को भुगतना तय माना जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में अब तक 26 सीट पर चुनाव हो चुका है। इनमेंं अधिकांश सीटों पर बीजेपी का कब्जा है। चौथे चरण के मतदान के लिए आज चुनाव प्रचार का शोर थम जाएगा। चौथे चरण मेंं 13 संसदीय क्षेत्रों मेंं वोटिंग होनी है। यानि मतदान के इस चरण के बाद सूबे की 80 में से 39 सीटों पर चुनाव संपन्न हो जाएगा।
दरअसल, तीसरे चरण तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिन 26 लोकसभा सीटों के लिए मतदान हुआ है, उन सीटों पर जाट मतदाता चुनाव नतीजों को प्रभावित करने की स्थिति में हैं। पिछले कई चुनावों में जाटों ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पक्ष में एकजुट होकर मतदान किया है। लेकिन 2024 के चुनाव से पहले किसान बाहुल्य इस क्षेत्र में किसान आंदोलन के दौरान किसानों के दमन को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ काफी नाराज़गी थी। लिहाजा किसानों के गुस्से को शांत करने की रणनीति के तहत पीएम मोदी ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले किसानों के मसीहा माने जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से नवाज़ कर किसानों खासकर जाटों के गुस्से को शांत करने का प्रयास किया था। चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने कर घोषणा के बाद पीएम मोदी बिहार की तर्ज पर विपक्षी 'इंडिया' गठबंधन को तोड़ने में सफल रहे थे। जाटों के मसीहा चौधरी चरण सिंह के मरहूम बेटे चौ. अजित सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) ने इंडिया गठबंधन से नाता तोड़कर पीएम मोदी के संग आने का फैसला किया था। आरएलडी प्रमुख एवं राज्यसभा सांसद जयंत चौधरी ने किसान आंदोलन के सवालों को टालते हुए पत्रकारों से कहा था कि अब किस मूंह से मना कर सकता हूॅं।
इसके बावजूद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तीन चरण के मतदान के दौरान जाटों की नाराज़गी साफ झलकी। जाटों में चौ. चरण सिंह के शिष्य एवं जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल जाट नेता सत्यपाल मलिक और भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) नेता राकेश टिकैत की पीएम मोदी के खिलाफ मतदान की अपील का असर देखने को मिला। जिसका खामियाजा सत्तारूढ़ बीजेपी को भुगतना पड़ सकता है।
जाट लेंड की आखिरी संसदीय सीट आगरा में सात मई को मतदान के दौरान जो तस्वीर उभरी, वह चौंकाने वाली थी। आगरा शहर जाटव बाहुल्य है। यह बीएसपी का वोट बैंक माना जाता है। लेकिन यहां जाटव मतदाताओं का रूझान अप्रत्याशित तौर पर सपा यानि साइकिल की तरफ देखने को मिला। जिसका खामियाजा आगरा की सीट पर भाजपा को भुगतना पड़ सकता है।
आगरा लोकसभा सीट में जाट बाहुल्य दयालबाग और फतेहपुर सिकरी दोनों विधानसभा क्षेत्र थे। लेकिन 2008 में हुए सीमांकन के दौरान छलेसर लोकसभा सीट को खत्म करके फतेहपुर सिकरी लोकसभा सीट बना दी गयी। लिहाजा आगरा से यह क्षेत्र कट गया। इस सीट पर बीजेपी और इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी के बीच मुकाबला काफी नज़दीक माना जा रहा है। जबकि आगरा सीट पर भाजपा की पकड़ बतायी जाती है। लेकिन मतदान के दौरान बसपा के वोट बैंक जाटवों के इंडिया गठबंधन की तरफ जाने से बीजेपी प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल की राह मुश्किल हो गयी है। यहां यह गौर करने की बात है कि एसपी सिंह बघेल जननेता होने के बावजूद कडे मुकाबले में फसते नज़र आ रहे हैं। दरअसल, अगर एसपी सिंह बघेल चुनाव हारे, तो वह हार बघेल की नहीं बल्कि पीएम मोदी की होगी। क्योंकि यह लोकसभा चुनाव मोदी समर्थकों और मोदी विरोधी के बीच हो रहा है और पिछले दो चुनाव की तरह इस बार मोदी विरोधी वोट बंटने की संभावना पहले की अपेक्षा कम हुई है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश यानि जाट लेंड में चौ. चरण सिंह को भारत रत्न से नवाजे जाने का मोदी को कोई फायदा मिलता नज़र नहीं आ रहा है। सूबे में चौथे चरण की जिन 13 सीटों पर मतदान होना है, उन पर सपा की पकड़ मजबूत मानी जाती है। पश्चिमी यूपी की तरह अगर मध्य यूपी में भी बीजेपी और इंडिया गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला हुआ, तो अयोध्या, काशी और मथुरा वाले उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ बीजेपी 63 सीट से सिमट कर 2009 जैसी स्थिति में पहुंच सकती है।