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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने आपातकाल पर करारा हमला बोला। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान बीते दशकों में हर चनौती और हर कसौटी पर खरा उतरा है। जब यह बन रहा था, तब भी दुनिया में ऐसी ताकतें थी, जो इसके असफल होने की कामना कर रही थीं। देश में संविधान लागू होने के बाद भी इसपर अनेक बार हमले हुए। आज 27 जून है। 25 जून 1975 को लागू किया गया आपातकाल संविधान पर बीते हमले का सबसे बड़ा और काला अध्याय था। तब पूरे देश में हाहाकार मच गया था, लेकिन तब भी देश ने ऐसी असंवैधानिक ताकतों पर विजय प्राप्त कर के दिखाया, क्योंकि भारत के मूल में गणतंत्र की परंपराएं रही हैं। राष्ट्रपति के ऐसा बोलते ही पीएम मोदी ने मेज थपथपाकर उनकी इस बात का समर्थन किया।

राष्ट्रपति ने कहा कि दो साल तक देश में आपातकाल लागू रहा, इस दौरान लोगों के सभी अधिकार छीन लिए गए थे। उन्होंने कहा कि हम सभी संविधान की रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। उनके इतना बोलते ही सदन में विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। विपक्ष का हंगामा मंगलवार को भी देखने को मिला था।

जब स्पीकर ओम बिरला ने आपातकाल का जिक्र किया। तब भी विपक्ष ने खूब हंगामा किया था। दरअसल, मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष चुने जाने के बाद ओम बिरला ने अपने संबोधन में भी आपात काल का ज़िक्र किया था। आज नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात करके इस पर अपनी आपत्ति करवा दी है। 

विपक्ष ने मोदी सरकार के दस साल बताए अघोषित आपातकाल

इससे पहले मंगलवार को विपक्ष ने आपातकाल के ज़िक्र पर पलटवार करते हुए मोदी सरकार के पिछले दस सालों को अघोषित आपातकाल बताया था। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत अन्य नेताओं ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट करके मोदी सरकार के पिछले दस सालों के शासन को अघोषित आपातकाल बताया।

खड़गे ने एक्स पर पोस्ट किया,"नरेन्द्र मोदी जी, देश भविष्य की ओर देख रहा है, आप अपनी कमियां छिपाने के लिए अतीत को ही कुरेदते रहते हैं। पिछले 10 वर्षों में 140 करोड़ भारतीयों को आपने जो ''अघोषित आपातकाल'' का आभास करवाया उसने लोकतंत्र और संविधान को गहरा आघात पहुंचाया है।"

खड़गे ने आगे कहा,"पार्टियों को तोड़ना, चोर दरवाजे से चुनी हुई सरकारों को गिरना, 95 प्रतिशत विपक्षी नेताओं पर ईडी, सीबीआई का दुरुपयोग कर मुख्यमंत्रियों तक को जेल में डालना, और चुनाव के पहले सत्ता का इस्तेमाल करके सबको समान अवसर या लेवल प्लेईंग फिल्ड को बिगाड़ना क्या 'अघोषित आपातकाल' नहीं है?"

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने सांसदों के निलंबन पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि मोदी जी आम सहमति और सहयोग की बात करते हैं। लेकिन उनके काम इसके विपरीत हैं। खड़गे ने पूछा, जब 146 विपक्षी सांसदों को संसद से निलंबित कर अपराधिक न्याय प्रणाली को बदलने के लिए तीन कानून- भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, भारतीय न्याय संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023, पारित किए गए तब ये आम सहमति शब्द कहां था?

सांसद के प्रांगण से प्रतिमाएं क्यों हटाई गई: खड़गे

खड़गे ने आगे कहा कि जब संसद के प्रांगण से छत्रपति शिवाजी महाराज जी, महात्मा गांधी जी और बाबासाहेब डॉ. आंबेडकर जैसी महान विभूतियों की प्रतिमाओं को बिना विपक्ष से पूछे एक कोने में स्थानांतरित कर दिया गया, तब ये आम सहमति शब्द कहां था? जब 15 करोड़ किसान परिवारों पर तीन काले कानून थोपे गए और उनको अपने ही देश में महीनों सड़कों पर बैठने पर विवश किया गया, उनपर अत्याचार किया गया, तब आम सहमति शब्द कहां था?

नोटबंदी हो, आनन-फानन में लागू किया लॉकडाउन हो, या चुनावी बांड का कानून हो, ऐसे सैकड़ों उदहारण है, जिसपर मोदी सरकार ने आम सहमति और सहयोग का प्रयोग बिलकुल नहीं किया। विपक्ष को क्या, अपने ही नेताओं को अंधेरे में रखा। खड़गे ने दावा किया कि 17वीं लोकसभा में इतिहास में सबसे कम- केवल 16 प्रतिशत विधेयक संसदीय स्थायी समितियों को भेजे गए।

ओम बिरला ने भी आपातकाल को कहा था काला अध्याय

बता दें कि स्पीकर बनते ही ओम बिरला ने भी अपनी पहली ही स्पीच में 1975 में कांग्रेस सरकार की तरफ से लगाए गए आपातकाल का जिक्र किया। उन्होंने भी इसे लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय करार दिया था। उन्होंने इसके लिए कांग्रेस को जमकर घेरा। आज एक बार फिर से संसद में कुछ वैसा ही नजारा राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान देखने को मिला। आपातकाल का जिक्र होते ही विपक्ष हंगामा करने लगा।

आज राष्ट्रपति ने इमरजेंसी का जिक्र कर कांग्रेस को  दिखाया आईना

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि आज लोकतंत्र पर हमले किए जा रहे हैं। इसे लांछित करने वाले आरोप लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ईवीएम जनता की कसौटी पर खरा उतरने में सफल रही है। उन्होंने कहा कि कुछ दशक पहले तो मतदान के दौरान बैलेट पेपर ही लूट लिए जाते थे। इस तरह से राष्ट्रपति के अभिभाषण के जरिए सरकार ने विपक्ष को संविधान के मुद्दे पर आईना दिखाने की कोशिश की।

राष्ट्रपति के अभिभाषण में और भी बहुत कुछ

उन्होंने कहा कि मैं 18वीं लोक सभा के सभी नव निर्वाचित सदस्यों को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देती हूं। आप सभी यहां देश के मतदाताओं का विश्वास जीतकर आए हैं। देशसेवा और जनसेवा का ये सौभाग्य बहुत कम लोगों को मिलता है। मुझे पूरा विश्वास है कि आप राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ अपना दायित्व निभाएंगे।140 करोड़ देशवासियों की आकांक्षाओं की पूर्ति का माध्यम बनेंगे।

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