ताज़ा खबरें
देश के करदाताओं के पैसे से चीनी कंपनियों को न पहुंचे लाभ: जयराम
जदयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बने संजय झा, कार्यकारिणी का फैसला
सीबीआई कोर्ट ने केजरीवाल को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा
हकीकत है कि नीट घोटाले में बीजेपी से जुड़े नेता शामिल हैं:जयराम रमेश
'मेरे ऊपर झूठे आरोप लगाकर जेल में बंद कर दिया गया': हेमंत सोरेन

नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): साल 2027 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव होने हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में अपनी जीत से गदगद समाजवादी पार्टी के सांसदों को विश्वास है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में आईएनडीआईए (इंडिया) गठबंधन के यूपी में प्रमुख घटक समाजवादी पार्टी एक बार फिर कमाल करेगी और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बनेंगे। इसी क्रम में सपा सांसदों ने वो फॉर्मूला भी बताया, जिसके तहत अखिलेश मुख्यमंत्री बनेंगे।

लोकसभा चुनाव 2024 में पीडीए फॉर्मूला हुआ कामयाब: सपा सांसद

सांसदों का कहना है, "पीडीए फार्मूले से ही अखिलेश यादव को 2027 में सीएम बनाया जाएगा।" संविधान लेकर संसद पहुंचे समाजवादी पार्टी के पीडीए वर्ग के सांसद बेहद ही उत्साहित नजर आए। आंवला से सपा सांसद नीरज मौर्य और एटा से सांसद देवेश शाक्य ने संसद भवन में मीडिया से बात करते हुए कहा, "पीडीए ही हमारी नींव है, पीडीए फार्मूला के जरिए अखिलेश यादव को 2027 में मुख्यमंत्री बनाया जाएगा।" इसी महीने संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव का पीडीए फॉर्मूला हिट साबित हुआ। उन्होंने टिकट बंटवारा इसी फॉर्मूले के तहत किया था।

समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता और अखिलेश यादव उम्मीद कर रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव जो 2027 में होने वाले हैं, उसमें भी ये फॉर्मूला हिट साबित होगा और इसी के तहत अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बनेंगे।

क्या है पीडीए फॉर्मूला?

इस फॉर्मूले के तहत पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) को साथ लाने की कोशिश की गई। यूपी की 80 में से 37 सीटें समाजवादी पार्टी इसी पीडीए फॉर्मूले के तहत जीत पाई। अब सपा इसे और मजबूती देने के लिए गांव-गांव पीडीए पंचायत कराने की फिराक में है। इसके पीछे पार्टी की मंशा है कि यूपी के आने वाले चुनाव में पिछले 10 सालों से सत्ता से दूर सपा फिर से वापसी कर सके।

पीडीए पंचायत के माध्यम से समाजवादी पार्टी पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों को उनके अधिकारों और संविधान के बारे में जानकारी देगी और उनको इसके बारे में शिक्षित किया जाएगा। संसद सत्र खत्म होने के बाद इस कार्यक्रम को विस्तृत रूप दिया जाएगा। दरअसल, अखिलेश यादव पिछले चुनाव में इस बात को समझ गए थे कि पिछड़ी जातियों को इकट्ठा किए बिना पार पाना मुश्किल है।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख