नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भारत को चीन पर निर्भरता से मुक्त करने के लिए एक रणनीति बनाने का आह्वान भी किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमें ये तय करना होगा कि करदाताओं के पैसे से चीनी कंपनियों को लाभ न पहुंचे।
अडानी समूह के चीनियों को वीजा जारी करने में हिचकिचाहट नहीं करेंगे: जयराम
वहीं सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में जयराम रमेश ने लिखा कि 'नॉन-बायोजिकल' प्रधानमंत्री ने 19 जून, 2020 को गलवान झड़प के बाद देश को यह कहकर बदनाम किया था कि ना कोई हमारी सीमा में घुस आया है, न ही कोई घुसा हुआ है। हालांकि वो अपने टेम्पोवाला दोस्त की मदद के लिए चीनी कामगारों को उदारता से वीजा जारी करने में बिल्कुल भी हिचकिचाहट नहीं दिखाते हैं।
अपने पोस्ट में जयराम रमेश ने उस समाचार पत्र की रिपोर्ट को भी टैग किया है, जिसमें अडानी सोलर की तरफ से केंद्र सरकार से कुछ चीनी इंजीनियरों को लाने के लिए अनुमति मांगी गई है।
पीएम ने चुनाव में 'टेम्पोवाले' का किया था जिक्र
बता दें कि लोकसभा चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए पूछा था कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने लोकसभा चुनाव की रैलियों में अडानी और अबांनी को गालियां देना क्यों बंद कर दिया और क्या टेम्पो भरकर नोट उनके पार्टी के लिए पहुंचे हैं।
30 चीनी मजदूरों के लिए वीजा की मांग
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के माध्यम से सबसे ज्यादा कर (टैक्स) हासिल करने वाले अडानी समूह ने कथित तौर पर अपनी सौर उत्पादन परियोजना में मदद के लिए आठ चीनी कंपनियों का चयन किया है और 30 चीनी मजदूरों के लिए वीजा जारी करने की विशेष अनुमति मांगी है।
चीन से भारत का बढ़ा आयात: रमेश
उन्होंने आगे कहा कि यह काफी बुरा है और ये रियायतें तब दी जा रही हैं, जब चीन पूर्वी लद्दाख में 2 हजार वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा किए हुए है। उन्होंने दावा किया कि चीन से भारत का आयात 2018-19 में 70 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2023-24 में 101 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
'भारत को चीन पर नहीं होना चाहिए निर्भर': जयराम
इस दौरान उन्होंने ने कहा कि भारत को चीन पर निर्भरता से मुक्त करने के लिए उचित रणनीति बनाने का समय आ गया है और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि करदाताओं के धन से चीनी कंपनियों को लाभ न पहुंचे। राष्ट्रीय हित से अधिक अपने मित्रों को प्राथमिकता देना प्रधानमंत्री का स्वभाव हो सकता है, लेकिन इसे राष्ट्रीय नीति नहीं बनने दिया जा सकता।