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चेन्नई: एमके स्टालिन को द्रमुक विधायक दल का नेता निर्वाचित किया गया। इससे तमिलनाडु विधानसभा में उनके नेता विपक्ष बनने का रास्ता साफ हो गया है। राज्य की 234 सदस्यीय विधानसभा में द्रमुक के 89 सदस्य हैं और वह सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है। उसके विधायकों में पार्टी प्रमुख एम करूणानिधि और स्टालिन भी शामिल हैं। पिछली विधानसभा में द्रमुक के केवल 23 विधायक थे जबकि अन्नाद्रमुक की सहयोगी के तौर पर 29 सीटें जीतने वाली डीएमडीके प्रमुख विपक्षी पार्टी थी और इसके संस्थापक विजयकांत विपक्ष के नेता थे। स्टालिन को द्रमुक विधायकों की बैठक में नेता चुना गया। इस बैठक में करूणानिधि ने भी शिरकत की। वह अपने गृह क्षेत्र तिरूवरूर विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं। अक्सर करूणानिधि के राजनीतिक उत्ताधिकारी बताए जाने वाले स्टालिन 1996 से 2002 के बीच चेन्नई के महापौर का पद संभाल चुके हैं। 2006 में करूणानिधि के कैबिनेट में उन्होंने मंत्री के रूप में शुरूआत की। तब उन्हें ग्रामीण विकास और स्थानीय प्रशासन मंत्रालय दिया गया था। बाद में उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया था। वह युवा इकाई के अध्यक्ष और द्रमुक के कोषाध्यक्ष भी रहे चुके हैं।
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चेन्नई: द्रमुक अध्यक्ष एम करुणानिधि ने सोमवार को तमिलनाडु की मुख्यमंत्री के तौर पर जे जयललिता के शपथ-ग्रहण समारोह में अपने बेटे एम के स्टालिन के बैठने के इंतजाम को लेकर शिकायत करते हुए आरोप लगाया कि उनकी पार्टी का ‘अपमान’ किया गया। उन्होंने कहा कि स्टालिन को ‘भीड़ के बीच’ बिठाया गया जबकि चुनाव हार चुके उम्मीदवार और अन्नाद्रमुक के सहयोगी आर सरथ कुमार को आगे की कतार में बिठाया गया। करुणानिधि ने एक बयान में कहा, ‘द्रमुक की ओर से 89 सीटें हासिल करने के बाद (संभवत) नेता के तौर पर मुख्य विपक्ष की हैसियत रखने वाले स्टालिन को भीड़ में बिठाया गया जबकि सरथ कुमार को आगे की सीट पर बिठाया गया।’ द्रमुक अध्यक्ष ने जयललिता की आलोचना करते हुए कहा कि द्रमुक को सोच-समझकर ‘अपमानित’ किया गया। सफेद कमीज और धोती पहने स्टालिन को शपथ-ग्रहण समारोह के आयोजन स्थल मद्रास यूनिवर्सिटी सेंटेनरी ऑडिटोरियम में 16वीं पंक्ति में बैठे देखा गया। माना जा रहा है कि जयललिता के शपथ-ग्रहण समारोह में हिस्सा लेकर स्टालिन ने प्रतिद्वंद्वियों के कार्यक्रमों में हिस्सा नहीं लेने के चलन को तोड़ा है।
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चेन्नई: अन्नाद्रमुक प्रमुख जे जयललिता ने सोमवार को छठीं बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। राज्य में 32 साल का इतिहास बदलते हुए जयललिता ने लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए आज शपथ ली है। उनके शपथ ग्रहण समारोह में द्रमुक ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जबकि राज्य में अब तक प्रतिद्वन्द्वी के शपथ ग्रहण समारोह से दूर रहने का चलन रहा है। राज्यपाल के रोसैया ने उन्हें तमिलनाडु की मुख्यमंत्री के पद की शपथ दिलाई। जयललिता ने आज मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद छोटे किसानों का फसल ऋण माफ किया और 100 यूनिट बिजली मुफ्त देने का आदेश दिया। जयललिता ने सरकार संचालित शराब की 500 दुकानों को बंद करने और फुटकर दुकानों के समय में दो घंटे की कमी करने का आदेश दिया। 68 वर्षीय जयललिता के साथ उनके 28 अन्य करीबियों ने भी शपथ ली जिनमें ओ पन्नीरसेल्वम शामिल हैं। तमिलनाडु के राज्यपाल के रोसैया ने इन लोगों को शपथ दिलाई और सभी ने ईश्वर के नाम पर तमिल में शपथ ली। अपने मंत्रिमंडल में अन्नाद्रमुक प्रमुख ने पूर्ववर्ती मंत्रिमंडल के 15 चेहरों को बरकरार रखा है और तीन महिलाओं सहित 13 नए चेहरे शामिल किए हैं। शपथ ग्रहण समारोह में केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू, पोन राधाकृष्णन, लोकसभा उपाध्यक्ष और अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ नेता एम थंबीदुरई तथा जयललिता की खास सखी शशिकला मौजूद थे और आगे की पंक्ति में बैठे थे।
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चेन्नई: अन्नाद्रमुक की नेता जे.जयललिता आगामी 23 मई को लगातार दूसरी बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेंगी। कैबिनेट में उनके भरोसमंद ओ पनरीसेलवम सहित कुल 28 मंत्री होंगे। शपथ ग्रहण समारोह मद्रास यूनिवर्सिटी सेनटेनरी ऑडिटोरियम में आयोजित होगा। जयललिता ने शनिवार को तमिलनाडु के राज्यपाल के. रोसैया से मुलाकात की और राज्य में सरकार बनाने का दावा औपचारिक रूप से पेश किया। अन्नाद्रमुक विधायक दल की नेता चुने जाने के एक दिन बाद जयललिता ने रोसैया से मुलाकात की और अपने नेता चुने जाने की एक प्रति सौंपी। राज भवन की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ‘जयललिता ने उन लोगों के नाम दिए हैं जिनको कैबिनेट में शामिल किया जाना है।’ जयललिता अपने पास गृह, अखिल भारतीय सेवा, लोक एवं सामान्य प्रशासन विभाग रखेंगी। पनीरसेलवम को वित्त, कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग दिया जाएगा। पहले भी उनके पास यही विभाग थे। इस बार के विधानासभा चुनाव में जयललिता की पार्टी ने 134 सीटें हासिल करके बहुमत हासिल किया है। साल 1984 के बाद तमिलनाडु में पहली बार हुआ कि किसी पार्टी ने लगातार दो बार चुनाव जीता है।
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