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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर तमिलनाडु की जयललिता सरकार को फटकार लगाई है। तमिलनाडु में राजनीतिक विरोधियों पर मानहानि केस दर्ज कराने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री जयललिता को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि आप (तमिलनाडु सरकार) पब्लिक फिगर हैं इसलिए आपको आलोचना सहने के लिए तैयार रहना चाहिए। ऐसे मामलों में सरकारी तंत्र का इस्तेमाल करने की बजाय आमने-सामने की लड़ाई लड़नी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विरोधियों की आवाज को आपराधिक अवमानना के जरिए नहीं दबाया जा सकता। कोर्ट ने अपनी कड़ी टिप्पणी में कहा कि सार्वजानिक पदों पर बैठे लोगों को आलोचना से नहीं डरना चाहिए और हर आलोचकों के खिलाफ अवमानना का मुकदमा नहीं दर्ज किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने जया सरकार को कहा कि मानहानि के मुकदमों के लिए राज्य की मशीनरी का दुरुपयोग किया जाना गलत है। जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि एक स्वस्थ लोकतंत्र इस तरह से नहीं चल सकता। सरकार किसी भी आलोचना करने वाले के खिलाफ इस तरह अवमानना का मुकदमा चलाने की इजाजत कैसे दे सकती है? सुप्रीम कोर्ट ने जयाललिता को दोबारा नोटिस जारी कर इस मामले पर जवाब मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी। बुधवार को तमिलनाडु सरकार ने कोर्ट में बताया कि DMDK के खिलाफ 48 केस हैं, जिसमें से 28 पार्टी के मुखिया कैप्टन विजयकांत पर हैं। डीएमके के खिलाफ 85 केस, सुब्रमण्यम स्वामी के खिलाफ 5 केस, कांग्रेस पर 7 केस और मीडिया के खिलाफ 55 केस दर्ज कराए गए हैं।

चेन्नई: तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने सोमवार को कहा कि आर्थिक आजादी ही वास्तविक आजादी है और तमिलनाडु सरकार इसके लिए विभिन्न प्रयत्न कर रही है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर फोर्ट सेंट जॉर्ज पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद जयललिता ने कहा, "इस दिन हम उन्हें सलाम करते हैं, जिन्होंने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। स्वतंत्रता का मतलब केवल बोलने और लिखने की आजादी नहीं है। सच्ची स्वतंत्रता आर्थिक स्वतंत्रता पर टिकी हुई है।" अपनी सरकार द्वारा शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में लागू की गई विभिन्न योजनाओं के बारे में बताते हुए जयललिता ने स्वतंत्रता सेनानियों और उनके परिवारों के पेंशन भुगतान में वृद्धि की घोषणा की। जयललिता ने कहा कि उनकी सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं और तमिलनाडु में करीब 1,30,000 टन का रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन दर्ज किया गया है।

नई दिल्ली: तमिलनाडु के कुडनकुलम स्थित परमाणु बिजली संयंत्र को आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने देश को समर्पित किया। इस मौके पर दोनों ही देशों के राष्ट्राध्यक्ष ऑनलाइन वीडियो कांफ्रेंसिंग पर मौजूद थे। इसके अलावा तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता भी मौजूद थीं। इस मौके पर मोदी ने कहा कि देश में स्वच्छ उर्जा उत्पादन बढ़ाने के लिये किये जा रहे निरंतर प्रयास में कुडनकुलम-एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। गौरतलब हो कि रूसी तकनीक से बना यह प्लांट वर्ष 2014 से कार्यरत है। इसमें 1,000 मेगावॉट बिजली पैदा होती है, जिसमें आधी तमिलनाडु को दी जा रही है। तमिलनाडु में तिरुनेलवेली जिले के कुडनकुलम में भारत की आणविक ऊर्जा प्लांट संचालक न्यूक्लियर पॉवर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया 1,000 मेगावॉट के दो रूसी रिएक्टर स्थापित कर रही है। कुडनकुलम में इन रिएक्टरों की स्थापना भारतीय परमाणु ऊर्जा कॉरपोरेशन और रूस की आणविक नियामक संस्था रोसाटॉम की एक सहायक इकाई संयुक्त रूप से कर रहे हैं। इस समझौते पर 1988 में भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी तथा तत्कालीन सोवियत संघ के राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचोव ने हस्ताक्षर किए थे, लेकिन सोवियत संघ के विघटन के बाद उत्पन्न हुए हालात की वजह से यहां निर्माण कार्य वर्ष 1999 में शुरू हो पाया। कुडनकुलम परियोजना से तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश तथा केरल सहित कई राज्यों को बिजली आपूर्ति किए जाने की संभावना है।

चेन्नई: मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि पट्टाली मक्कल काची पार्टी की मान्यता रद्द करने का ईसीआई को निर्देश देने की मांग करने वाले एक याचिकाकर्ता की आपत्ति पर कार्रवाई करना भारत निर्वाचन आयोग का काम है। मुख्य न्यायाधीश संजय किशन कौल एवं न्यायमूर्ति आर महादेवन की प्रथम पीठ ने वाराकी की जनहित याचिका का निपटान करते हुए कहा, ‘जहां तक राजनीतिक पार्टियों को मान्यता देने या उनकी मान्यता रद्द करने की बात है, जहां तक किस परिस्थिति में और क्या करने की बात है, तो उच्चतम न्यायालय ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई) बनाम इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल वेलफेयर मामले में अपने निर्णय में पहले ही इस बारे में बताया जा चुका है।’ पीठ ने कहा, ‘ईसीआई को अपनी शक्तियों की सीमाओं को ध्यान में रखते हुए, आदेश मिलने के अधिकतम तीन महीने के भीतर निर्णय लेना होगा और इस बारे में याचिकाकर्ता को बताना होगा।’ याचिकाकर्ता ने ईसीआई को पीएमके की मान्यता रद्द करने का निर्देश देने की मांग करते हुए कहा था कि 25 अप्रैल 2013 को पीएमके की ओर से कथित रूप से आयोजित एक समारोह में हिंसा भड़क गई थी और तीन सरकारी बसों एवं कुछ दलित बस्तियों को आग लगा दी गई थी। इस हिंसा में 24 पुलिस कांस्टेबल घायल हुए थे।

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