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अहमदाबाद: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने विकास के गुजरात मॉडल के नाम पर लोगों को 'पप्पू' बनाया और यह मॉडल पूरी तरह 'नाकाम' रहा है। दिग्विजय ने गुजरात विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस छोड़ने और पिछले महीने हुए राज्यसभा चुनावों में पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के खिलाफ वोट करने पर पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला की भी आलोचना की। द्वारका रवाना होने से पहले तटीय पोरबंदर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मुखातिब दिग्विजय ने कहा, 'जिस तरह नरेंद्र मोदी जी और अमित शाह जी ने हमें बेवकूफ बनाया और हमें 'पप्पू' बनाया, वह अभूतपूर्व है।' 'विकास के गुजरात मॉडल' पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि सामाजिक विकास के संकेतकों पर गुजरात अन्य राज्यों से पिछड़ा हुआ है और 'वाइब्रेंट गुजरात समिट के दौरान जिन सहमति-पत्रों पर दस्तखत हुए, उन पर अमल नहीं हो सका।' मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'कहां है गुजरात मॉडल? सामाजिक विकास के संकेतकों पर राज्य का 13वां या 14वां स्थान है और वाइब्रेंट गुजरात में सहमति-पत्रों पर दस्तखत तो हुए लेकिन कारखानों की स्थापना नहीं हुई गुजरात किसी भी स्तर पर नंबर एक राज्य नहीं है।'

अहमदाबाद (जनादेश ब्यूरो): कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इस साल के आखिर में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है। पार्टी की तैयारियों का जायज़ा लेने अहमदाबाद पहुंचे राहुल गांधी ने साबरमती के किनारे पार्टी कार्यकर्ताओं के जनसमूह को संबोधित करते कहा कि जल्द ही टिकट की घोषणा की जाएगी। उन्होंने कहा कि जो कार्यकर्ता ज़मीन से लड़ते हैं, जो भाजपा और आरएसएस से लड़ते हैं, उन्हें टिकट देंगे। बाहर से जो भी कांग्रेस में आएंगे उन्हें टिकट नहीं देंगे। राहुल ने जोर देकर कहा कि जो लोग जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं, उन्हें ही टिकट दिया जाएगा। राहुल ने एक बार फिर नोटबंदी को लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला और कहा इससे गरीबों को नुकसान हुआ है और विकास भी रुका है। राहुल ने दावा किया कि सरकार की नीतियों की वजह से गुजरात के युवाओं, कारोबारियों, छोटे और मंझोले कारोबारियों और पाटीदारों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर मित्र पूंजीवाद (क्रोनी कैपिटलिज्म) को बढ़ावा देने का आरोप लगाया और कहा कि इसकी भारी कीमत छोटे और मझोले उद्यमों को चुकानी पड़ रही है।

नई दिल्ली: 2002 के गुजरात दंगों में धार्मिक स्थलों को हुए नुकसान की भरपाई मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के एक फैसले को पलट दिया है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि किसी धार्मिक स्थल के निर्माण या मरम्मत के लिए सरकार करदाता के पैसे को खर्च नहीं कर सकती है। अगर सरकार मुआवजा देना भी चाहती है तो उसे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च आदि को उसे भवन मानकर उसकी क्षतिपूर्ति की जा सकती है। गुजरात सरकार ने योजना बनाई थी कि क्षतिग्रस्त इमारतों को ज्यादा से ज्यादा 50 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। सरकार के मुताबिक धार्मिक स्थल या मस्जिद को धर्म के नाम पर नहीं बल्कि इमारत के तौर पर मुआवजा दिया जाएगा। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में गुजरात सरकार के जवाब को रिकॉर्ड पर लेते हुए इस्लामिक रिलीफ कमेटी ऑफ गुजरात को एक मई तक अपना लिखित जवाब देने के लिए कहा था। पीठ ने स्पष्ट किया था कि जवाब में सांप्रदायिकता की बू नहीं आनी चाहिए। अदालत गुजरात सरकार की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 2012 के हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी।

नई दिल्ली: गुरमीत राम रहीम के बाद अब बारी आसाराम की है। नाबालिग से रेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के गांधी नगर में चल रही आसाराम के खिलाफ धीमी सुनवाई पर सवाल उठाए और गुजरात सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से पूछा कि मामले की सुनवाई में देरी क्यों हो रही है? सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि अभी तक पीड़ित के बयान क्यों नही दर्ज किए। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को कहा है कि हलफनामा दायर कर केस की प्रगति के बारे में बताएं। मामले की सुनवाई दीवाली के बाद होगी। दरअसल नाबालिग से रेप का मामले में 12 अप्रैल 2017 को सु्प्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से कहा था कि आसाराम के खिलाफ ट्रायल को लटकाए ना रखे। इस मामले में प्रैक्टिकली संभव हो सके, गवाहों के बयान दर्ज कराएं जाएं क्योंकि आसाराम लंबे वक्त से जेल में है। गुजरात सरकार की ओर से कहा गया था कि इस मामले में गवाहों को लेकर तेजी से कारवाई चल रही है। 29 गवाहों के बयान दर्ज हो चुके हैं और 46 के बयान दर्ज होना बाकी है। इस बीच दो गवाहों की हत्या कर दी गई और कई जख्मी हुए हैं। वहीं आसाराम की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट सरकार को आदेश दे कि गवाहों के बयान दर्ज कराने की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए।

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