नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। इसे लेकर कांग्रेस ईडी दफ्तरों के बाहर विरोध प्रदर्शन करेगी।
कांग्रेस महासचिव संगठन केसी वेणुगोपाल ने कहा, "पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह सरकार की विपक्ष के खिलाफ बदले की भावना की कोई सीमा नहीं है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ राजनीति से प्रेरित और मनगढ़ंत नेशनल हेराल्ड मामले का इस्तेमाल कर कार्रवाई की जा रही है ताकि विपक्ष की आवाज को चुप कराया जा सके। यह प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की हताशा को दर्शाता है, जो लोगों की चिंताओं को दूर करने में विफल रहे हैं और लगातार ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।"
कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा, "ऐसा लगता है कि वे (बीजेपी) भूल गए हैं कि यह एक ऐसा परिवार है जिसने देश के लिए अपना खून बहाया है। उनकी ये छोटी चालें और एजेंसियों का इस्तेमाल करने, हमें रोकने वाला नहीं है, बल्कि इससे विनाशकारी शासन के खिलाफ हमारे संकल्प और मजबूत होंगे।"
कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा, "हम बुधवार (16 अप्रैल 2025) को देशभर में ईडी दफ्तरों के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे और इस तरह की प्रतिशोध और धमकी की राजनीति के खिलाफ अपना कड़ा विरोध दर्ज कराएंगे।"
आरोप-पत्र में कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा और सुमन दुबे के नाम भी आरोपी के तौर पर शामिल हैं। ईडी के विशेष लोक अभियोजक एन के मट्टा ने धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा-तीन (धनशोधन) और चार (धनशोधन के लिए दंड) के तहत आरोप पत्र दाखिल किया।
राहुल-सोनिया पर ईडी ने लगाया आरोप
एजेएल नेशनल हेराल्ड समाचार प्लेटफॉर्म (समाचार पत्र और वेब पोर्टल) का प्रकाशक है, जिसका स्वामित्व यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के पास है। कांग्रेस नेता सोनिया और राहुल गांधी यंग इंडियन के बहुलांश वाले शेयरधारक हैं, जिनमें से प्रत्येक के पास 38 फीसदी शेयर हैं। कुछ साल पहले इस मामले में ईडी ने उनसे घंटों पूछताछ की थी।
ईडी ने जांच में पाया कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के लाभकारी स्वामित्व वाली एक निजी कंपनी यंग इंडियन ने मात्र 50 लाख रुपये में 2,000 करोड़ रुपये की एजेएल संपत्ति खरीदी, जो इसकी कीमत से काफी कम है। ईडी ने आरोप लगाया, ‘‘यंग इंडियन और एजेएल की संपत्तियों का इस्तेमाल 18 करोड़ रुपये के फर्जी दान, 38 करोड़ रुपये के फर्जी अग्रिम किराये और 29 करोड़ रुपये के फर्जी विज्ञापनों के रूप में अपराध की आय अर्जित करने के लिए किया गया।