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वड़ोदरा: बसपा प्रमुख मायावती ने समाज के कमजोर तबकों के वोटों के लिए बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर के नाम का इस्तेमाल करने का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर शनिवार को आरोप लगाया और कहा कि भाजपा के ओबीसी एवं दलित नेता के 'पीएम' या 'सीएम' बन जान के बाद भी वे हमेशा ही आरएसएस के बंधुआ मजदूर बने रहेंगे।

मायावती ने मोदी के गृह राज्य में चुनावी बिगुल फूंकते हुए आरोप लगाया कि भाजपा आज भी जातिगत भेदभाव में यकीन रखती है। बसपा प्रमुख ने यह चेतावनी भी दी कि यदि हिंदू धार्मिक नेता दलितों के प्रति अपना रवैया नहीं बदलेंगे, तो वह और उनके समर्थक बौद्ध धर्म अपना लेंगे।

उन्होंने कहा कि यहां तक कि यदि भाजपा एक दलित या ओबीसी नेता को पार्टी प्रमुख या मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बना देती है, तो भी वे हमेशा ही जातिवादी और सांप्रदायिक आरएसएस के बंधुआ मजदूर बने रहेंगे। साथ ही पिछड़े वर्गों के लिए ज्यादा कुछ कर पाने में सक्षम नहीं होंगे। मायावती ने कहा, "यदि हिंदू संतों और शंकराचार्यों ने दलितों के प्रति अपना व्यवहार और रवैया नहीं बदला, तो मैं और मेरे समर्थक बौद्ध धर्म अपना लेंगे।"

सूरत: मध्यप्रदेश के नीमच में रहने वाले करोड़पति कारोबारी सुमित राठौर और उनकी पत्नी अनामिका ने पिछले दिनों अपनी 3 साल की मासूम बेटी और संपत्ति को त्यागकर सन्यास लेने का फैसला किया था परंतु भारी विरोध के कारण अनामिका की दीक्षा नहीं हो पाई। केवल सुमित राठौर को दीक्षा दी गई।

बता दें कि 3 वर्षीय बेटी की जिम्मेदारियां त्यागने के कारण दंपत्ति के इस फैसले का विरोध हो रहा था। देश भर में सोशल मीडिया के अलावा कुछ सामाजिक कार्यकर्ता इस पहल को कानूनी चुनौती भी देने वाले थे। इस दीक्षा को रोकने के लिए मानवाधिकार आयोग को भी चिट्ठी लिखी गई थी।

दीक्षा कार्यक्रम सूरत में हुआ। दीक्षा लेने वाले सुमित करोड़ों की संपत्ति के मालिक नाहरसिंह राठौर के पोते है। सुमित और उनकी पत्नी अनामिका ने एक साथ सन्यास लेने का फैसला किया था। उन्होंने अपनी सारी संपत्ति और 3 साल की बेटी इभ्या को त्याग देने का ऐलान किया था।

धार्मिक रीति-रिवाज के साथ 23 सितंबर को श्री साधुमार्गी जैन आचार्य रामलालजी के सान्निध्य में सुमित ने दीक्षा ली। साधुमार्गी जैन श्रीसंघ सूरत के महामंत्री सुभाष पगारिया ने बताया कि शनिवार सुबह करीब 7.15 बजे दीक्षा की शुरुआत हुई।

अहमदाबाद: बागी कांग्रेस नेता शंकर सिंह वाघेला ने मंगलवार को गुजरात में एक तीसरे मोर्चे के गठन की घोषणा की। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करेत हुए वाघेला ने कहा, “यह कहना मिथक है कि गुजरात में कोई वैकल्पिक राजनीतिक बल काम नहीं कर सकता।” हालांकि उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वह स्वयं चुनाव नहीं लडेंगे। पिछले महीने कांग्रेस के खिलाफ विद्रोह करने वाले वाघेला ने कहा कि लोग भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस से उकता गए हैं और एक विकल्प के लिए बेताब हैं।

उन्होंने जनविकल्प अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव प्रणाली जैसा सीधी जनभागीदारी का प्रयोग होगा। उन्होंने कहा कि देश के प्रत्येक राज्य में तीसरा मोर्चे है और जनविकल्प गुजरात में ऐसी भूमिका निभाएगी। गत 21 जुलाई को अपने 77 वें जन्मदिवस पर कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष पद छोड़ने तथा पार्टी से नाता तोडने वाले वाघेला ने मंगलवार को कहा कि वह 21 सितंबर को नवरात्रि के पहले दिन से चुनाव अभियान की शुरुआत अंबाजी से करेंगे।

कांग्रेस चुनाव नहीं जीतने वाली और 20 साल के भाजपा के शासन के प्रति भी लोगों में नाराजगी है।

अहमदाबाद: भाजपा अध्यक्ष अमित शाह साल 2002 में नरौदा गाम में हुए दंगा मामले में गुजरात की पूर्व मंत्री एवं भाजापा नेता माया कोडनानी की ओर से बचाव पक्ष के गवाह के रूप में आज {सोमवार ) विशेष एसआईटी अदालत में पेश हुए। शाह ने न्यायाधीश पी. बी. देसाई के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया।

देसाई ने पिछले मंगलवार को कोडनानी के एक आवेदन पर शाह को समन किया था। अदालत ने इस वर्ष अप्रैल में कोडनानी के, अपने बचाव में शाह एवं कुछ अन्य गवाहों को बुलाये जाने के आवेदन को मंजूरी दी थी। माया कोडनानी ने कहा है कि अहमदाबाद के निकट नरौदा गाम में हुए दंगों के दौरान वह विधानसभा के सत्र में भाग लेने के बाद सोला सिविल अस्पताल गयी थीं। माया के मुताबिक, वह उस स्थान पर थी ही नहीं, जहां हिंसा हुई थी।

उन्होंने कहा था कि तत्कालीन विधायक अमित शाह भी उस वक्त सोला सिविल अस्पताल में मौजूद थे। साबरमती ट्रेन की बोगी में आग लगाने की घटना में मारे गए कारसेवकों के शव गोधरा से सोला सिविल अस्पताल लाये गये थे। शाह की गवाही उनके ‘‘बयान’’ की पुष्टि करेगी कि वह अपराध के वक्त कहीं और उपस्थित थीं।

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