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गांधीनगरः केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुजरात के द्वारका में नेशनल एकेडमी ऑफ कॉस्टल पुलिसिंग ;एनएसीपीद्ध के स्थायी परिसर का शिलान्यास किया। इस मौके पर गृह मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने भारतीय नौसेना, इंडियन कोस्ट गार्ड, समुद्री पुलिस, कस्टम्स और मछुआरों के साथ मिलकर सुरक्षा का एक सुदर्शन चक्र बनाया है। उन्होंने कहा कि खुले समंदर में भारतीय नौसेना के जहाज और विमानों द्वारा सुरक्षा की जाती है। मध्यस्तरीय समुद्र में भारतीय नौसेना तथा तटरक्षक बल सुरक्षा और टेरिटोरियल वाटर में बीएसएफ की वाटर विंग इसे अंजाम देता है और गांव में देशभक्त मछुआरे सूचना का माध्यम बनकर देश की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इन सभी आयामों पर भारत सरकार ने एक सुगठित तटीय सुरक्षा नीति अपनाई है और एक इंटीग्रेटेड विचार के साथ बनाई गई नीति और रणनीति के माध्यम से देश के तटों को सुरक्षित करने का काम किया है। गृह मंत्री ने कहा कि हमारे देश ने तटीय सुरक्षा में कोताही के कारण कई दुष्परिणाम भुगते हैं।

अहमदाबादः गुजरात हाई कोर्ट के एक जज ने खुद को राहुल गांधी की सूरत सेशंस कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने से अलग कर लिया है। राहुल गांधी के वकील पीएस चंपानेरी ने न्यायमूर्ति गीता गोपी की अदालत के सामने मोदी सरनेम वाले मामले का उल्लेख किया और तत्काल सुनवाई की मांग की। लेकिन उन्होंने सुनवाई के दौरान ही कहा, “मेरे सामने नहीं।”

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मामले पर राहुल गांधी के वकील चंपानेरी ने कहा कि अदालत ने पहले उन्हें मामले को बुधवार (26 अप्रैल) को प्रेजेंट करने के लिए कहा था। लेकिन जब ये सुनवाई के लिए आया तो अदालत ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। उन्होंने आगे कहा कि अब मामले को किसी अन्य अदालत में रखने के लिए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को एक नोट भेजा जाएगा।

राहुल गांधी के वकील ने आगे कहा, “मामले को न्यायमूर्ति गीता गोपी की अदालत में ले जाने का अनुरोध किया गया था क्योंकि उनकी अदालत आपराधिक पुनरीक्षण के विषय से संबंधित है।” ये घटनाक्रम राहुल गांधी की ओर से हाईकोर्ट में अपील दायर करने के एक दिन बाद सामने आया है।

अहमदाबाद: कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद राहुल गांधी ने मानहानि मामले में सजा माफी के लिए गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्हें सूरत की एक निचली अदालत ने दो साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद उन्हें अपनी लोकसभा की सदस्यता गंवानी पड़ी थी।

राहुल गांधी की ओर से 2019 में मोदी उपनाम को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में 23 मार्च को सूरत की अदालत ने फैसला सुनाया था। कोर्ट ने उन्हें धारा 504 के तहत दो साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, कोर्ट ने फैसले पर अमल के लिए कुछ दिन की मोहलत भी दी थी। इसके साथ ही उन्हें तुरंत जमानत भी दे दी थी। राहुल ने सूरत की कोर्ट में याचिकाएं भी दाखिल की थ्राीं, जिनमें एक को कोर्ट ने खारिज कर दिया था और दूसरी पर तीन मई को सुनवाई होनी है।

दरअसल, 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार की एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था, 'कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है?' इसी को लेकर भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था।

नई दिल्ली: गुजरात के गोधरा में 2002 में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाने वाले 8 दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है। उम्रकैद की सजा काट रहे लोगों को कोर्ट से राहत मिली है। ये सभी दोषी 17 से 20 साल की सजा काट चुके हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने चार दोषियों को फिलहाल जमानत देने से इंकार कर दिया। इनको निचली अदालत ने फांसी की सजा दी थी, लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच ने गोधरा मामले में दोषियों की जमानत मामले पर फैसला किया। कोर्ट ने कहा कि बेल की शर्तें पूरी कर बाकी लोगों को जमानत पर रिहा किया जाए। दोषियों के वकील संजय हेगड़े ने ईद के मद्देनजर इनको जमानत पर रिहा करने की अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में आग लगाकर 59 लोगों को जिंदा जलाए जाने के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे अब्दुल रहमान धंतिया, अब्दुल सत्तार इब्राहिम गद्दी समेत कुल 27 दोषियों की तरफ से दाखिल जमानत याचिका पर सुनवाई की।

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