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कोलकाता: पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। राज्य में इस खतरनाक वायरस से हुई मौतों पर सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच जुबानी जंग छिड़ गई है। सोशल मीडिया मंच पर दोनों दल एक-दूसरे की आलोचना करने में लगे हैं। भाजपा सूचना प्रौद्योगिकी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अमित मालवीय ने ममता सरकार पर जानकारी छिपाने का आरोप लगाया। इसका जवाब देते हुए तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें फर्जी खबरें फैलाने में माहिर व्यक्ति बता दिया। तृणमूल ने कहा कि फर्जी खबरों को फैलाने में पीएचडी हासिल कर चुके व्यक्ति को आंकड़ों की प्रमाणिकता पर ट्वीट नहीं करना चाहिए।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अमित मालवीय को लताड़ते हुए कहा कि ऐसे मुश्किल समय में हमें 'घटिया राजनीति' से दूर रहना चाहिए। पश्चिम बंगाल में पिछले 24 घंटे में चार लोगों की मौत हो चुकी है। मगर गैर सरकारी सूत्रों के मुताबिक संक्रमण से अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है। ममता बनर्जी ने सोमवार को बताया था कि राज्य में अब तक कुल 61 मामले सामने आए हैं। इनमें से 55 केस सात परिवार से हैं।

बेरहामपुर: कोरोना वायरस की वजह से देशभर में लागू हुए लॉकडाउन के बाद लोगों को कई तरह के संकटों का सामना करना पड़ रहा है। कई लोगों के रोजगार चले गए तो कईयों को खाने में दिक्कतें आने लगीं। पश्चिम बंगाल में भी लॉकडाउन की वजह से कई लोगों को दो वक्त का भोजन जुटाना मुश्किल हो रहा है। मुर्शिदाबाद जिले की रहने वालीं शायरा बीवी और उनकी बेटी दो सप्ताह पहले तक मिलकर बीड़ी बनाने का काम करती थीं। दोनों मिलकर एक दिन में 152 रुपये कमा लेती थीं। लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं। शायरा बीवी ने कहा कि उन्हें पता नहीं कि वह कैसे अपने परिवार के लिए दो वक्त का खाना उपलब्ध कराएंगी।

लॉकडाउन लागू होने के बाद पश्चिम बंगाल में बीड़ी बनाने का काम करने वाले 15 लाख लोगों के लिए बड़ी समस्या आ गई है। वह अब सरकार और एनजीओ द्वारा दिए जाने वाले भोजन पर ही पूरी तरह से आश्रित हो गए हैं। मोहम्मद जमालुद्दीन नामक एक मजदूर ने कहा कि डेयरी इंडस्ट्री के लोगों की मदद के लिए सरकार ने मिठाई की दुकान को चार घंटों के लिए खोलने की अनुमति दे दी है।

नई दिल्ली: देश में 5 अप्रैल को रात 9 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दीया या मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाने की अपील पर अब नए सिरे से राजनीति शुरू हो गई है। इस मामले पर अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों की तरफ से प्रतिक्रियाएं आने शुरू हो गई हैं। इस कड़ी में अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल हो गई हैं। सीएम ममता ने इस मामले पर कहा है कि वो प्रधानमंत्री मोदी के मामलों में नहीं पड़ना चाहती हैं। उन्होंने कहा, 'अभी मैं राजनीति करूं या फिर कोरोना वायरस महामारी को रोकूं'।

सीएम ममता बनर्जी ने आगे कहा, "क्यों आप एक राजनीतिक जंग की शुरुआत करवाना चाहते हैं?" इस मामले पर अपनी राय रखते हुए ममता बनर्जी ने कहा, "जिसे भी प्रधानमंत्री मोदी की बात सही लगती है वो उनकी बात मानें। अगर मुझे सोना होगा तो मैं सोऊंगी। यह मामला पूरी तरह से निजी है।" दरअसल शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच अप्रैल की रात को नौ बजे लोगों से घर की लाइटें बंद कर घर के दरवाजे या बालकनी में नौ मिनट के लिए एक दीया जलाने की अपील की थी।

कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोविड-19 से लड़ाई में सहयोग हेतु मंगलवार को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष और राज्य आपातकालीन राहत कोष में पांच-पांच लाख रुपये दान किया। बनर्जी ने ट्विटर पर कहा कि यह योगदान उनकी व्यक्तिगत बचत से किया गया है। उन्होंने ट्वीट किया, मैं एक विधायक या मुख्यमंत्री के रूप में कोई वेतन नहीं लेती हूं और सात बार सांसद होने के बावजूद मैंने अपनी सांसद पेंशन को छोड़ दिया है। मैं सीमित साधनों में जीती हूं। मेरी आय का प्राथमिक स्रोत मेरे संगीत और पुस्तकों से मिलने वाली रॉयल्टी है।”

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा, ''मेरे सीमित संसाधनों में से मैं प्रधान मंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में पांच लाख रुपये और पश्चिम बंगाल राज्य आपातकालीन राहत कोष में पांच लाख रुपये का योगदान दे रही हूं, ताकि कोविड-19 से लड़ने में हमारे देश के प्रयासों का समर्थन किया जा सके। पश्चिम बंगाल में अब तक कोविड-19 के 27 मामले दर्ज किए गए हैं। उनमें से तीन व्यक्तियों ने गंभीर सांस की बीमारी के कारण दम तोड़ दिया।

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