(नरेन्द्र भल्ला) इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के कारनामे अकसर दुनिया को हैरान कर देते हैं। दुश्मन को उसके ही घर में घुसकर मारने से लेकर सालों बाद तक अपना टारगेट याद रखने के लिए मोसाद को जाना जाता है। इजरायल,लेबनान के बाद सीरिया में भी घुसकर हिजबुल्लाह और हमास के शीर्ष कमांडरों को लगातार निशाना बना रहा है। बीते दिनों उसने हिजबुल्लाह के शीर्ष कमांडर सैयद हसन नसरल्लाह को मार गिराया था।
लेबनान में पेजर और वॉकी-टॉकी ब्लास्ट के बाद इजरायल की यह खुफिया एजेंसी एकाएक सुर्खियों में आ गई। मोसाद को दुनिया की सबसे ताकतवर व खूंखार खुफ़िया एजेंसी माना जाता है। हालांकि मोसाद का इतिहास इजरायल से भी पुराना है। जब इजरायल नहीं बना था और यहूदी एक अलग देश के लिए संघर्ष कर रहे थे, तब भी उनका एक खुफिया संगठन था। जिसे ‘हग्गाना’ के नाम से बुलाते थे। बाद में,इजरायल बनने के बाद साल 1949 में आधिकारिक तौर पर मोसाद की नींव रखी गई। मोसाद एक हिब्रू शब्द है जिसका मतलब होता है संस्था या इंस्टीट्यूशन।
हिब्रू में मोसाद का पूरा नाम ‘मोसाद मेरकाजी ले-मोदिन-उले तफकीदीम मेय्यूहादिम’ है। अंग्रेजी में इसका अर्थ है- सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलिजेंस एंड ऑपरेशंस। दिसंबर 1949 में जब मोसाद बना, तब इसका नाम सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर कोऑर्डिनेशन हुआ करता था। बाद में,एजेंसी का नाम बदलकर मोसाद रखा गया,जिसका हेडक्वार्टर तेल अवीव में है।
मोसाद के कितने एजेंट
रिपोर्ट्स के मुताबिक मोसाद के करीब 7000 एजेंट हैं,जो अपने मुल्क की रक्षा करने के साथ ही दुश्मन देशों की निगरानी में चौबीसों घंटे सक्रिय रहते हैं। इस जासूसी एजेंसी का सालाना बजट तीन बिलियन डॉलर के आसपास है,जो रुपये के हिसाब से 250 अरब से भी ज्यादा है। मोसाद के सबसे टॉप रैंक के अफसर इसके डायरेक्टर होते हैं,जो एजेंसी को लीड करते हैं। फ़िलहाल अभी डेविड बार्निया मोसाद के डायरेक्टर हैं,जो जून 2021 से इस पद पर हैं। बार्निया की गिनती इजरायल के टॉप एजेंट्स में होती है।
पीएम करते हैं नियुक्त, उन्हीं को सीधे रिपोर्टिंग
मोसाद चीफ की नियुक्ति इजरायल के प्रधानमंत्री करते हैं। इसके लिए न तो संसद से अनुमति की जरूरत पड़ती है और न ही किसी और बॉडी से। मोसाद के चीफ सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं और सिर्फ और सिर्फ पीएम के प्रति जवाबदेह होते हैं। इजरायल साल 1996 तक मोसाद के चीफ का नाम नहीं बताता था। 1996 में पहली बार मोसाद के डायरेक्टर का नाम सार्वजनिक तौर पर घोषित किया गया। उसके बाद से हर बार नए डायरेक्टर का नाम सार्वजनिक किया जाता है.
कैसे काम करता है मोसाद?
मोसाद यूं ही नहीं हैरतअंगेज ऑपरेशन के लिए पूरी दुनिया में चर्चित है। मोसाद के कुल 6 डिपार्टमेंट हैं। पहला है कलेक्शन डिपार्टमेंट जो जासूसी कार्रवाइयों को अंजाम देता है। दूसरा है पॉलिटिकल एक्शन एंड लाइजन डिपार्टमेंट जो राजनीतिक गतिविधियों को अंजाम देता है और दूसरे देशों की सरकारों से डील करता है। तीसरा है ‘स्पेशल ऑपरेशंस डिवीजन’। यही डिपार्टमेंट मोसाद के लिए खतरनाक ऑपरेशंस को अंजाम देता है। चौथा है एलएपी डिपार्टमेंट जो साइकोलॉजिकल वॉरफेयर और प्रोपेगेंडा ऑपरेशन करता है। पांचवां है टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट, जो मोसाद के लिए नए हथियार, गैजेट्स जैसी चीजें डेवलप करते हैं। छठवां है रिसर्च डिपार्टमेंट, जो बैकग्राउंड से लेकर दूसरी चीजों की जानकारी एजेंसी को देता है.
मोसाद कैसे घुसा ईरान में?
ईरान के पूर्व राष्ट्रपति अहमदीनेजाद ने बीते दिनों ही दावा किया है कि ईरान के खुफिया विभाग में शीर्ष स्तर के भी कुछ लोग इजरायल के साथ जा मिले थे। उनका कहना है कि करीब ऐसे 20 लोग हैं, जो ईरान के लिए काम करने के दौरान इजरायल की मदद करते रहे। ये लोग एक तरह से डबल एजेंट बनकर ईरान को चकमा दे रहे थे। यही नहीं,इनकी मदद से इजरायल को ईरान के सारे परमाणु ठिकानों के बारे में पता चल चुका है। इसके अलावा मोसाद ने इन लोगों की ही मदद से हमास के पॉलिटिकल कमांडर इस्माइल हानियेह को तेहरान में घुसकर मार डाला था। यह घटना ईरान के लिए सबसे बड़ा सदमा थी।