शिमला: हिमाचल हाईकोर्ट ने सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार को बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने चीफ पार्लियामेंटरी सेक्रेटरी (सीपीएस) एक्ट 2006 को निरस्त कर दिया है। साथ ही सरकार की ओर से लगाए गए 6 सीपीएस को हटाने और तुरंत सुविधाएं वापस लेने के आदेश दिए हैं। हिमाचल सरकार ने 6 सीपीएस की नियुक्ति जनवरी 2023 में की थी। सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने आशीष बुटेल, किशोरीलाल, मोहन लाल बरागटा, संजय अवस्थी, राम कुमार और सुंदर ठाकुर को सीपीएस नियुक्त किया था। सरकार इन्हें गाड़ी के साथ-साथ दफ्तर, स्टाफ और मंत्रियों के समान सैलरी दे रही थी।
हाईकोर्ट ने हटाए 6 मुख्य संसदीय चीफ
सरकार ने इन सीपीएस की नियुक्ति पर सीपीएस एक्ट 2006 का हवाला दिया था। इस पर लंबी बहस के बाद हिमाचल हाईकोर्ट के जस्टिस बीसी नेगी और जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर की डबल बेंच ने ये फैसला सुनाया। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि सीपीएस एक्ट 2006 को रद्द किया जाता है। सीपीएस को हटाने के साथ तुरंत प्रभाव से इनकी सुविधाए भी वापस ली जाए।
वहीं, याचिकाकार्ता बीजेपी विधायक के एडवोकेट वीर बहादुर ने कहा, "याचिका में आरोप लगाया गया था कि सीपीएस बनाए गए सभी 6 कांग्रेस विधायक लाभ के पदों पर तैनात हैं। इन्हें हर महीने 2 लाख 20 हजार रुपये वेतन और बाकी भत्ते मिलते थे। ये सीपीएस राज्य के मंत्रियों के बराबर सुविधाएं भी पाते थे।"
हिमाचल सरकार के एडवोकेट जनरल अनूप रत्न ने दलील दी कि हिमाचल का एक्ट असम के एक्ट से अलग था। हम इस मामले में जल्द ही सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। अनूप रत्न ने कहा, "हिमाचल प्रदेश में सीपीएस एक्ट असम एक्ट से अलग था। असम एक्ट में मंत्री के समान शक्तियां और सुविधाएं सीपीएस को मिल रही थीं, लेकिन हिमाचल में सीपीएस को इस तरह की शक्तियां नहीं थी।"