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कोलकाता: पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस संक्रमित मरीज की मौत का एक नया मामला सामने आया है। पश्चिम बंगाल हेल्थ सर्विसेज के सहायक निदेशक डॉक्टर बिप्लब कांति दासगुप्ता की रविवार को मौत हो गई। 60 वर्षीय दासगुप्ता कोविड-19 से संक्रमित थे। वह बंगाल के पहले डॉक्टर हैं, जिनकी कोरोना वायरस से चलते मौत हुई है। सात दिन पहले उन्हें कोरोना से संक्रमित पाया गया था, जिसके बाद से उनका अस्पताल में इलाज चल रहा था। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी की पत्नी भी कोरोना संक्रमित पाई गई हैं। राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।

पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों के संगठन वेस्ट बंगाल डॉक्टर्स फोरम ने दास की मौत पर दुख प्रकट करते हुए कहा कि कोरोना से जंग लड़ने वाले स्वास्थ्यकर्मियों के लिए पर्याप्त मात्रा में संसाधन सुनिश्चित करने की मांग की है। डॉक्टरों के फोरम ने कहा है कि राज्य के सभी स्वास्थ्यकर्मियों की कोरोना टेस्टिंग की जाए। इसके अलावा पर्याप्त मात्रा में पीपीई किट की व्यवस्था की जाए। कोरोना से इलाज में आईसीएमआर के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया जाए।

नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच केंद्र सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच ठन गई है। अब भाजपा के नेताओं ने भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया है। हालांकि, कोरोना वायरस के संकट के समय यह प्रदर्शन वीडियो के जरिए से किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री और पश्चिम बंगाल से भाजपा के सांसद बाबुल सुप्रियो, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और बंगाल में पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक कैलाश विजयवर्गीय समेत कई नेता विरोध-प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं।

कैलाश विजयवर्गीय एमपी के इंदौर में स्थित अपने निवास से ममता बनर्जी के खिलाफ धरना दिया। विजयवर्गीय ने कहा, 'आज दो घंटे के भाजपा के धरने का मकसद कोरोना की आड़ में ममता सरकार की राजनीति की तरफ जनता का ध्यान आकर्षित करना है। वह मरीजों के आंकड़े छुपाने के साथ केंद्र द्वारा गरीबों के लिए भेजे गए मुफ्त राशन की भी अफरा-तफरी में लगी हुई हैं।' बता दें कि हाल ही में कोरोना के हालात का जायजा लेने उत्तर बंगाल पहुंची केंद्र की एक टीम ने पश्चिम बंगाल सरकार को पत्र लिख कर उत्तर बंगाल में लॉकडाउन का और सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा था।

कोलकाता: कोरोना संक्रमित मामलों का इलाज कर रहे अस्पतालों को पश्चिम बंगाल की सरकार ने शुक्रवार की रात को 11 निर्देश दिए हैं। राज्य में कोविड-19 को रोकने के लिए किए जा रहे ममता सरकार के प्रयासों की समीक्षा करने के लिए दिल्ली से गई टीमों की तरफ से सवाल उठाए जाने के महज कुछ घंटे बाद ही वहां के अस्पतालों को ये निर्देश दिए गए हैं। शनिवार की शाम तक पश्चिम बंगाल में 38 नए केस आने के बाद कोविड-19 के कुल मामले राज्य में बढ़कर 571 हो गए जबकि 18 लोगों की इस महामारी से मौत हो चुकी है।

राज्य के मुख्य सचिव राजीव सिन्हा और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने शुक्रवार की शाम को मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल्स के प्रिंसिपल और सीनियर डॉक्टरों से मुलाकात की और रात को कई निर्देश जारी किए। इसमें कहा गया है कि कोई भी मरीज को इलाज से नहीं मना किया जाएगा और 12 घंटे में ही कोरोना का टेस्ट आना चाहिए। अभी काफी मात्रा में सैंपल होने के चलते इस प्रक्रिया में 2 से ज्यादा दिन लग रहे हैं। सरकार ने निर्देश दिया है कि अगर किसी मरीज को रेफर किया जाता है तो उसे एंबुलेस की सुविधा दी जानी चाहिए और बिना किसी देरी को मृतक को वॉर्ड से शिफ्ट किया जाना चाहिए।

कोलकाता: कोरोना वायरस पर पश्चिम बंगाल में सियासी तकरार का दौर जारी है। पश्चिम बंगाल की ममता सरकार और राज भवन के बीच तनातनी शुक्रवार को उस वक्त और बढ़ गई जब राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर अल्पसंख्यक समुदाय का 'खुल्लम खुल्ला तुष्टीकरण' करने का आरोप लगाया। राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ममता बनर्जी के गुरुवार को उन्हें लिखे पत्र का जिक्र किया जिसमें मुख्यमंत्री ने राज्यपाल पर सरकार के कामकाज में 'लगातार दखल देने' का आरोप लगाया था।

आपका गुस्सा विफलताओं पर पर्दा डालने की कोशिश

राज्यपाल धनखड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता का गुस्सा राज्य में कोविड-19 वैश्विक महामारी से निपटने में 'बड़ी विफलताओं' पर पर्दा डालने की एक रणनीति है। टीएमसी सुप्रीमो ममता से 'राजनीति और टकराव का रुख' खत्म करने का अनुरोध करते हुए धनखड़ ने कहा कि उनका व्यवहार राज्य के लोगों की परेशानियों को केवल बढ़ा रहा है।

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