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कोलकाता: लॉकडाउन के दौरान कोरोना संक्रमण के प्रसार कम करने के लिए राज्यों की तरफ से उठाए गए कदमों का आकलन करने को केन्द्र की तरफ से पश्चिम बंगाल भेजे जा रहे केन्द्रीय दल के फैसले पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कड़ी आपत्ति जताई है। ममता बनर्जी ने सोमवार को पूछा कि राज्यों में लॉकडाउन मानदंडों के क्रियान्वयन का आकलन करने के लिए किस आधार पर छह अंतर-मंत्रालयी केन्द्रीय दलों (आईएमसीटी) का गठन किया गया है। लॉकडाउन के नियमों के उल्लंघन की रिपोर्ट्स के बीच सेंट्रल इंटर- मिनिस्टीरियल टीमें (केन्द्रीय अंतर मंत्रालयी दलें) कोलकाता समेत सात जिलों का दौरा करेंगी।
एक ट्वीट में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि बिना स्पष्टीकरण के वह इस पर आगे बढ़ने में असमर्थ हैं। ममता ने सोमवार को ट्वीट करते हुए कहा- “कोविड-19 संकट के दौरान हम सभी सकारात्मक समर्थन और सुझाव खासकर केन्द्र का स्वागत करते हैं। हालांकि, किस आधार पर केन्द्र ने अंतर-मंत्रालयी केन्द्रीय दलों (आईएमसीटी) भारत के कुछ निश्चित जिलों में भेजने का फैसला किया है, वह अस्पष्ट है।”
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कोलकाता: कोविड-19 ने जहां पूरे भारत और विश्व में तबाही मचाना जारी रखा हुआ है वहीं पश्चिम बंगाल में इसे लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है जहां कई चिकित्सीय समुदाय और विपक्षी पार्टी दावा कर रही हैं कि राज्य बहुत कम मामलों की जानकारी दे रहा है क्योंकि संक्रमण के लिए बहुत कम आबादी की जांच की जा रही है। शनिवार (18 अप्रैल) तक, राज्य में कोविड-19 के 233 मामले सामने आए हैं और 12 लोगों की मौत हुई है जो महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों से बहुत कम है।
राज्य में जो मौत हुई हैं वे कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के चलते हुई हैं या पहले से जारी किसी गंभीर बीमारी के कारण हुई हैं, यह जांचने के लिए उनका इलाज करने वाले चिकित्सकों की बजाए विशेषज्ञ ऑडिट समिति का गठन करना राज्य सरकार के डेटा की विश्वसनीयता के बारे में संदेह पैदा करता है। कोलकाता में कोविड-19 जांच के लिए आईसीएमआर के प्रमुख केंद्र, राष्ट्रीय कॉलरा और आंत्र रोग संस्थान (एनआईसीईडी) ने हाल में कहा था कि राज्य सरकार जांच के लिए पर्याप्त नमूने नहीं भेज रही है।
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कोलकाता: कोरोना वायरस के कहर के बीच पश्चिम बंगाल जिले के बांकुड़ा से भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुभाष सरकार के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया है। पुलिस ने भाजपा सांसद सुभाष सरकार के खिलाफ अफवाह फैलाने के आरोप में भारतीय दंड संहिता और आपदा प्रबंधन अधिनियम (डीएमए), 2005 की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। सुभाष सरकार पर सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए दो शवों के दाह संस्कार को लेकर अफवाह फैलाने का आरोप है। वहीं, एक अन्य सांसद अलीपुरद्वार के जॉन बारला ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि जिला प्रशासन द्वारा उन्हें 'हाउस अरेस्ट' के तहत रखा गया है।
सुभाष सरकार के खिलाफ पुलिस की यह कार्रवाई मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की 15 अप्रैल की चेतावनी के बाद सामने आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि कोविड-19 को लेकर गलत सूचना फैलाने वाले लोगों को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। भाजपा सांसद सरकार के खिलाफ राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम के सेक्शन 54 और आइपीसी की धारा 505 (1)/188 के तहत मामला दायर किया गया है। यह मामला बांकुड़ा पुलिस स्टेशन में 14 अप्रैल को दर्ज करवाया गया।
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कोलकाता: पश्चिम बंगाल में लॉकडाउन सही तरीके से लागू नहीं होने से नाखुश राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा कि पुलिस और प्रशासन के जो अधिकारी प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहे हैं उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि राज्य में लॉकडाउन लागू कराने के लिए केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को तैनात करने पर विचार होना चाहिए। उन्होंने ट्वीट किया, ''कोरोना वायरस से निपटने के लिए लॉकडाउन के प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन करना होगा। राज्य सरकार के अधीन पुलिस और प्रशासन के जो अधिकारी शत-प्रतिशत तरीके से सामाजिक दूरी कायम रखने या धार्मिक समागमों पर रोक लगाने में विफल रहे हैं, उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि लॉकडाउन सफल होना चाहिए और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की जरूरत पर विचार होना चाहिए। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी राज्य के कुछ हिस्सों में लॉकडाउन ढिलाई पर चिंता जताई थी। इनमें से ज्यादातर स्थान अल्पसंख्यक बहुल हैं और भाजपा की प्रदेश इकाई ने कई बार आरोप लगाया है कि इन इलाकों में लॉकडाउन का ठीक से क्रियान्वयन नहीं हो रहा है।
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