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कोलकाता: जाधवपुर विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा मंगलवार को कोलकाता में जेएनयू छात्रों के समर्थन में निकाली गई रैली में संसद हमले के दोषी अफजल गुरु के पक्ष में नारे लगाए गए। बता दें कि जेएनयू के छात्र अपने नेता कन्हैया कुमार को कथित देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के खिलाफ आंदोलनरत हैं। जादवपुर विश्वविद्यालय परिसर से दक्षिणी कोलकाता तक निकाली गई मशाल रैली में विश्वविद्यालय के सभी संकायों के छात्रों ने हिस्सा लिया और उसमें नारे लगाए गए, 'अफजल बोले आजादी', 'गिलानी बोले आजादी।' रैली के दौरान नारे लगाए गए, 'फ्रीडम फ्रॉम आरएसएस, फ्रीडम फ्रॉम मोदी गवर्नमेंट', 'जब कश्मीर ने मांगी आजादी, मणिपुर भी बोले आजादी।'

कोलकाता: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे एवं तृणमूल सांसद अभिषेक बनर्जी की ओर से सार्वजनिक तौर पर कहे जाने के करीब छह माह बाद पश्चिम बंगाल सरकार के एक मंत्री ने भी इस दावे को दोहराया है कि माओवादी नेता मल्लोजुला कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी को वर्ष 2011 में ममता बनर्जी ने मरवाया था। हुगली के बालागढ़ में बुधवार को एक रैली को संबोधित करते हुए राज्य के योजना मंत्री रचपाल सिंह ने कहा, 'टीवी और अखबारों के रिपोर्टर हमेशा किशनजी की बातें करते थे। उसे देखा भी जाता था, लेकिन पकड़ा नहीं जा रहा था।' रचपाल ने कहा, 'जब ममता राज्य की मुख्यमंत्री बनीं तो जानती थीं कि पुलिस अकेले दम पर उसे नहीं पकड़ सकती। इसलिए उन्होंने किशनजी के बारे में खुफिया सूचनाएं इकट्ठा करने की जिम्‍मेदारी अपने ऊपर ली और वह तीन माह में एक मुठभेड़ में मारा गया।'

जलपाईगुड़ी: पश्चिम बंगाल के बैकुंठपुर जंगल इलाके से एक उन्मादी हाथी भटक गया और सिलीगुड़ी शहर में प्रवेश कर वहां की इमारतों और घरों को नुकसान पहुंचाया। पुलिस ने बताया कि सिलिगुड़ी शहर के वार्ड नंबर 30 और 40 के भीतर डाबग्राम, फुलबाड़ी इलाकों में हाथी को पहली बार देखा गया। हाथी को सबसे पहले डाबग्राम, फुलबाड़ी इलाके में देखा गया। लोगों ने डर के कारण इधर-उधर भागना शुरू कर दिया और वनकर्मी हाथी को जंगल की तरफ ले जाने के लिए घटनास्थल पर पहुंचे। पुलिसकर्मियों ने भीड़ को नियंत्रित करने का प्रयास किया और लोगों को दहशत में नहीं आने की सलाह दी है। वन अधिकारियों ने बताया कि हाथी को बेहोश करने की प्रक्रिया शुरू की गयी है ।

कोलकाता: अभिनेता-निर्देशक अमोल पालेकर का कहना है कि हर व्यक्ति को इस बात का अधिकार है कि वह किसी बात से अपनी असहमति जता सके। पालेकर ने इस बात पर ताज्जुब जताया कि असहिष्णुता के खिलाफ पुरस्कार लौटाने वालों के खिलाफ इतनी हायतौबा क्यों मचाई गई। पालेकर ने गुरुवार को कहा, "अगर एक कलाकार को लगता है कि वह अपना पुरस्कार लौटा कर विरोध जता सकता है तो इसमें इतना उत्तेजित होने और परेशान होने वाली कौन सी बात है? अगर मुझे लगता है कि मैं इस तरह से या किसी और तरह से अपना विरोध जता सकता हूं तो इसका सम्मान किया जाना चाहिए।" उन्होंने कहा, "मैंने किसी की भी आवाज दबाने की हमेशा निंदा की है।

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