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नई दिल्ली: हाल में हुए विवाद के बाद एनआईटी श्रीनगर को कहीं और स्थापित करने से केंद्र सरकार के इनकार के बाद गैर-कश्मीरी छात्रों ने मंगलवार को मांग की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी संस्थान परिसर का दौरा करें और छात्रों में सुरक्षा की भावना पैदा करने के लिए वहां तिरंगा फहराएं । ईरानी को लिखे गए पत्र में छात्रों ने 19 मांगें रखी हैं जिसमें परिसर में सीआरपीएफ की स्थायी तैनाती, कॉलेज प्रशासन में फेरबदल, छात्र परिषद का गठन, परीक्षा की मार्कशीटों का मूल्यांकन बाहर कराने का विकल्प और संस्थान में राष्ट्रीय पर्व मनाना शामिल है । आज मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारियों को यह पत्र दिया गया। छात्रों ने अपने पत्र में लिखा, ‘हम माननीय मानव संसाधन विकास मंत्री या भारत के प्रधानमंत्री से अनुरोध करते हैं कि आप दोनों में से कोई एक एनआईटी श्रीनगर के छात्रों के साथ आए और परिसर में पूरी उंचाई पर तिरंगा फहराए। इससे छात्रों का अवकाश भी खत्म हो सकेगा और उनमें सुरक्षा की भावना भी पैदा हो सकेगी।’

नई दिल्ली: केन्द्र सरकार ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि कोहिनूर हीरे के संबंध में कुछ समाचार पत्रों में छपी रिपोर्टें तथ्यों पर आधारित नहीं है और सरकार इस बेशकीमती हीरे को वापस लाने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी। एक सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया कि कोहिनूर हीरे के संबंध में प्रेस में आई कुछ खबरें तथ्यों पर आधारित नहीं है। सरकार सौहार्दपूर्ण तरीके से इस हीरे को स्वदेश लाने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए हरसंभव प्रयास किये जाएंगे। विज्ञप्ति में सरकार ने कहा है कि इस संबंध में एक मामला न्यायालय में है। इस बारे में एक जनहित याचिका उच्चतम न्यायालय में दायर की गई है जिसे अभी न्यायालय सुनवाई के लिए स्वीकार नहीं किया है। न्यायालय ने सॉलिसिटर जनरल से इस संबंध में सरकार का पक्ष बताने को कहा था जो अभी बताया जाना है।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार से सूखे से निपटने को लेकर कड़े सवाल किए। कोर्ट ने कहा कि क्या सूखे को लेकर राज्यों को आगाह करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामा दायर नहीं करने को लेकर गुजरात सरकार की भी खिंचाई करते हुए कहा कि ‘आप गुजरात हैं तो इसका यह मतलब नहीं कि जो चाहें वो कर सकते हैं।’  सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इन (सूखा प्रभावित) राज्यों को सूचित और आगाह करे कि कम बारिश होगी।’ न्यायमूर्ति एमबी लोकुड़ और न्यायमूर्ति एन वी रमण की पीठ ने कहा, ‘अगर आपको बताया जाए कि राज्य के किसी इलाके में 96 फीसदी फसल दिखी है, लेकिन आपके पास कम बारिश होने की सूचना है तो उनको सिर्फ यह नहीं कहिए कि सबकुछ ठीक है। यह भी सोचिए कि संभावित सूखे के बारे में बताना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है।’ पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब अतिरिक्त सॉलीशीटर जनरल पीए नरसिम्हा ने कहा कि 10 राज्यों के 256 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी इलाके को सूखाग्रस्त घोषित करने का मतलब यह नहीं है कि इससे उस इलाके की संपूर्ण आबादी प्रभावित है क्योंकि सभी किसान नहीं होते अथवा सभी लोग कृषि से जुड़े नहीं है।

नई दिल्ली: चढ़ते पारे और भीषण गर्मी के बीच सरकार ने सोमवार को कहा कि देश भर के 91 प्रमुख जलाशयों में उनकी क्षमता से 23 प्रतिशत कम पानी भरा हुआ है। जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार, 13 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह में इन जलाशयों में 35.839 अरब क्यूबिक मीटर पानी उपलब्ध है जबकि इनकी कुल क्षमता 157.799 क्यूबिक मीटर की है। मंत्रालय के अनुसार, पिछले वर्ष इस दौरान उपलब्ध पानी के मुकाबले इस वर्ष 33 प्रतिशत कम पानी उपलब्ध है। इसी अवधि में 10 साल की औसत के मुकाबले इस वर्ष 23 प्रतिशत कम पानी उपलब्ध है। हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, राजस्थान, झारखंड, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल ने पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष जलाशयों में कम पानी उपलब्ध होने की बात कही है। सिर्फ दो राज्यों आंध्रप्रदेश और त्रिपुरा ने पिछले वर्ष के मुकाबले बेहतर पानी उपलब्धता की बात कही है।

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