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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार से सूखे से निपटने को लेकर कड़े सवाल किए। कोर्ट ने कहा कि क्या सूखे को लेकर राज्यों को आगाह करना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामा दायर नहीं करने को लेकर गुजरात सरकार की भी खिंचाई करते हुए कहा कि ‘आप गुजरात हैं तो इसका यह मतलब नहीं कि जो चाहें वो कर सकते हैं।’  सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इन (सूखा प्रभावित) राज्यों को सूचित और आगाह करे कि कम बारिश होगी।’ न्यायमूर्ति एमबी लोकुड़ और न्यायमूर्ति एन वी रमण की पीठ ने कहा, ‘अगर आपको बताया जाए कि राज्य के किसी इलाके में 96 फीसदी फसल दिखी है, लेकिन आपके पास कम बारिश होने की सूचना है तो उनको सिर्फ यह नहीं कहिए कि सबकुछ ठीक है। यह भी सोचिए कि संभावित सूखे के बारे में बताना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है।’ पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब अतिरिक्त सॉलीशीटर जनरल पीए नरसिम्हा ने कहा कि 10 राज्यों के 256 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी इलाके को सूखाग्रस्त घोषित करने का मतलब यह नहीं है कि इससे उस इलाके की संपूर्ण आबादी प्रभावित है क्योंकि सभी किसान नहीं होते अथवा सभी लोग कृषि से जुड़े नहीं है।

 सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र को आकलन की बजाय सूखे के हालात का पता लगाने के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करना चाहिए। उसने केंद्र को निर्देश दिया कि वह इसकी जानकारी दे कि सूखा प्रभावित इलाकों में कितने घरों को मनरेगा के तहत 150 दिनों का रोजगार मिला है।

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