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संविधान की प्रस्तावना में भी संशोधन कर सकती है संसदः सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली: भारत ने पठानकोट आतंकी हमले के सिलसिले में एनआईए की एक टीम के पाकिस्तान के दौरे पर जाने को लेकर शुक्रवार को कहा कि इसपर ‘सही समय’ पर फैसला लिया जाएगा। भारत ने साथ ही कहा कि भारत-पाक वार्ता निलंबित नहीं की गयी है। भारत ने साथ ही पाकिस्तान से उसकी हिरासत में बंद सभी भारतीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी उपाय करने को कहा। भारत ने ऐसा हाल में पाकिस्तान की एक जेल में हुई भारतीय कैदी किरपाल सिंह की रहस्यमय मौत को देखते हुए खासतौर पर कहा है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सलाहकार सरताज अजीज ने हाल में कहा था कि पाकिस्तान भारत के औपचारिक अनुरोध करने पर एनआईए टीम के दौरे पर विचार कर सकता है। अजीज की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा, ‘पठानकोट वायुसेना स्टेशन हमले की जांच के लिए :पाकिस्तानी: संयुक्त जांच दल का दौरा एक सकारात्मक और सहयोगपूर्ण माहौल में हुआ था।’

नई दिल्ली: उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटाने के हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 अप्रैल तक रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद राज्य में दोबारा राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है। कोर्ट ने केंद्र को जल्द से जल्द हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी जमा करने को कहा है। कोर्ट ने केंद्र को साथ ही निर्देश दिया कि वह इस बीच राष्ट्रपति शासन नहीं हटाएगा। इससे पहले गुरुवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि राज्य में 18 मार्च से पहले की स्थिति बनी रहेगी। ऐसे में हरीश रावत एक बार फिर राज्य के मुख्यमंत्री बन गए थे और उन्हें 29 अप्रैल को विधानसभा में बहुमत साबित करने का आदेश दिया गया था। केंद्र ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जहां मामले की सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने यह आदेश दिया है। इस मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र से अभी के हालात पर सवाल पूछा था। इसके साथ शीर्ष अदालत ने केंद्र से पूछा कि राज्यपाल ने जो संदेश भेजा वह क्या है? राज्यपाल की सिफारिश कहां है? इस पर केंद्र ने कहा कि राज्यपाल की सिफारिश जरूरी नहीं है। राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रति जवाबदेह हैं। इससे पूर्व उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने गुरुवार को फिर सख़्त टिप्पणी की थी।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान ने आज (शुक्रवार) दोष मढ़ा कि भारतीय मीडिया ने शांति प्रक्रिया पर उसके उच्चायुक्त के बयान को बेवजह तूल दिया। उसने कहा कि भारत जब भी तैयार होगा वह उससे बात करने के लिए तैयार है। साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में विदेश कार्यालय के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने गुरुवार को कहा, ‘पाकिस्तान और भारत दो पड़ोसी है जिन्हें शांति और सौहार्द से रहना होगा। अब्दुल बसित की टिप्पणी पर भारतीय मीडिया द्वारा तूल दिये जाने की ना तो गुंजाइश थी ना जरूरत थी।’ वह भारत में पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बसित की टिप्पणी से जुड़े एक सवाल पर जवाब दे रहे थे कि शांति प्रक्रिया निलंबित कर दी गयी है। जकारिया ने कहा, ‘यह सवाल बार बार पूछा जाता है और मैं बस इतना जोडूंगा कि पहले जो कहा गया है कि भारत जब तैयार होगा पाकिस्तान वार्ता के लिए तैयार रहेगा। मैं इस बहस में नहीं पड़ना चाहता कि दोनों पक्षों ने क्या शब्द इस्तेमाल किये।’ पठानकोट आतंकी हमले की जांच के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि संबंधित विभाग भारत का दौरा करने वाली जेआईटी के तथ्यों पर गौर कर रहा है और एक बार जांच पूरी हो जाने तथा रिपोर्ट तैयार होने पर हम साझायोग्य सूचना आपके साथ बांटेंगे। भारतीय एनआईए टीम के पाकिस्तान दौरे पर जकारिया ने कहा, ‘मैं इस संबंध में किसी आधिकारिक अनुरोध से अवगत नहीं हूं।’

नई दिल्ली: केंद्र ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन खारिज करने के उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए आज (शुक्रवार) सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। महाधिवक्ता मुकुल रस्तोगी ने न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा एवं न्यायमूर्ति शिव कीर्ति सिंह की पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र किया। पीठ ने महाधिवक्ता से मामले को आज सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कराने की खातिर रजिस्ट्री से संपर्क करने को कहा। पीठ ने कहा कि रजिस्ट्री याचिका को एक उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिए प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर से अनुमति लेगी। महाधिवक्ता ने शुरूआत में कहा कि विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) आज सुबह दायर कर दी गई है लेकिन ‘हमारे पास फैसले की प्रति नहीं है’’ क्योंकि लिखित फैसला उपलब्ध नहीं है और केवल मौखिक फैसला सुनाया गया था। प्रधान न्यायाधीश राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों एवं न्यायाधीशों के पूर्व निर्धारित सम्मेलन में भाग ले रहे थे। इसलिए प्रधान न्यायाधीश की अदालत में न्यायमूर्ति मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ बैठी थी। इससे पहले गुरुवार को हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश दिया था।

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