नई दिल्ली: कांग्रेस की महासचिव और वायनाड से नवनिर्वाचित सांसद प्रियंका गांधी ने संभल मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि संभल में अचानक उठे विवाद को लेकर राज्य सरकार का रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इतने संवेदनशील मामले में बिना दूसरा पक्ष सुने, बिना दोनों पक्षों को विश्वास में लिए प्रशासन ने जिस तरह हड़बड़ी के साथ कार्रवाई की, वह दिखाता है कि सरकार ने खुद माहौल खराब किया। प्रशासन ने जरूरी प्रक्रिया और कर्तव्य का पालन भी जरूरी नहीं समझा।
प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "सत्ता में बैठकर भेदभाव, अत्याचार और फूट फैलाने का प्रयास करना न जनता के हित में है, न देश के हित में। माननीय सुप्रीम कोर्ट को इस मामले का संज्ञान लेकर न्याय करना चाहिए। प्रदेश की जनता से मेरी अपील है कि हर हाल में शांति बनाएं रखें।"
संभल, उत्तर प्रदेश में अचानक उठे विवाद को लेकर राज्य सरकार का रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने लिखा, इतने संवेदनशील मामले में बिना दूसरा पक्ष सुने, बिना दोनों पक्षों को विश्वास में लिए प्रशासन ने जिस तरह हड़बड़ी के साथ कार्रवाई की, वह दिखाता है कि सरकार ने खुद माहौल खराब किया। प्रशासन ने जरूरी प्रक्रिया और कर्तव्य का पालन भी जरूरी नहीं समझा।
इससे पहले पवन खेड़ा ने भी लगाए थे आरोप
प्रियंका गांधी से पहले कांग्रेस पार्टी के मीडिया और प्रचार विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने भी संभल मुद्दे पर बीजेपी को घेरा था। उन्होंने कहा कि "बटेंगे तो कटेंगे" का नारा देने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासन में उत्तर प्रदेश को सुरक्षित नहीं कहा जा सकता। संभल की घटना में प्रदर्शनकारियों पर सीधी फायरिंग की गई, जिसमें कई लोग घायल हुए हैं। कांग्रेस का आरोप है कि यह भाजपा और आरएसएस की ओर से मिलकर की गई सोची-समझी साजिश है, जिसमें धार्मिक आधार पर समाज में अस्थिरता पैदा करने का प्रयास किया जा रहा है।"
पवन खेड़ा ने आगे कहा कि प्रशासन का काम शांति और सौहार्द्र बनाए रखना है, लेकिन भाजपा और आरएसएस का एजेंडा समाज को बांटना है। संभल की घटना में हुई हिंसा के लिए उन्होंने राज्य सरकार और प्रशासन की आलोचना की है।