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संविधान की प्रस्तावना में भी संशोधन कर सकती है संसदः सुप्रीम कोर्ट
संभल हिंसा: सपा सांसद बर्क और पार्टी विधायक के बेटे पर मुकदमा

नई दिल्ली: निर्दलीय सांसद और शराब कारोबारी विजय माल्या को राज्यसभा से निष्कासित किया जाना लगभग तय हो गया है, क्योंकि उन पर 9400 करोड़ रुपये का कथित कर्ज बकाया मामले पर गौर कर रही एक संसदीय समिति ने इस प्रकार की कार्रवाई के लिए एकमत से समर्थन किया। इसी के साथ कांग्रेस नेता कर्ण सिंह की अध्यक्षता वाली राज्यसभा की आचार समिति ने माल्या को उनके आचरण के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है। समिति के सदस्यों का कहना है कि यह कदम एक प्रक्रियागत औपचारिकता है। माल्या के निर्वासन की कार्यवाही की जमीन तैयार करते हुए सरकार ने रविवार को माल्या का पासपोर्ट रद्द कर दिया था। माना जा रहा है कि दो मार्च को भारत छोड़ने के बाद वह ब्रिटेन में हैं। कांग्रेस नेता कर्ण सिंह ने संवाददाताओं से कहा, हमने माल्या मामले से संबंधित पूरे मामले पर गौर किया। हमने बैंकों से जो दस्तावेज मंगवाये थे, वे भी दिये गए। समिति में यह आम राय थी कि उन्हें सदन की सदस्यता से निष्कासित किया जाए। सिंह ने कहा, इसके बावजूद हमने उन्हें एक हफ्ते का समय देने का निर्णय किया, ताकि उन्हें जो कहना हो वह कह सकें। समिति की अगली बैठक की तारीख 3 मई तय की गई है।'

नई दिल्ली: चीन की कड़ी आपत्ति के बाद भारत ने मशहूर उइगर नेता डोलकुन ईसा का वीजा रद्द कर दिया है। ईसा धर्मशाला में आयोजित होने वाली लोकतंत्र समर्थक कांफ्रेंस में शामिल होने वाले थे। गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने सोमवार को कोई ब्यौरा दिए बिना कहा, हमने डोलकुन ईसा को दिया गया वीजा रद्द कर दिया है। ईसा को अमेरिका स्थित इनिशिएटिव्स फॉर चाइना द्वारा आयोजित किए जा रहे सम्मेलन में आमंत्रित किया गया था। भारत के कदम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ईसा ने कहा, 23 अप्रैल को मुझे भारत की तरफ से एक अत्यंत लघु नोट मिला कि मेरा वीजा रद्द कर दिया गया है। इसमें कोई स्पष्टीकरण नहीं था । उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि इसके पीछे असल में क्या कारण है। उन्होंने कहा, यह भारत सरकार पर चीन द्वारा डाले गए दबाव की वजह से हो सकता है। लेकिन उनको भारत की तरफ से कोई कारण नहीं बताया गया। इससे पूर्व जब ईसा को भारत का वीजा मिला था तो चीन ने कड़ी आपत्ति जताई थी। तब ऐसा माना जा रहा था कि भारत ने यह दांव आतंकी मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र से प्रतिबंधित कराने में चीन के रोड़ा अटकाने के बदले में खेला है। चीन ने कहा था कि ईसा एक आतंकवादी है और उसके खिलाफ इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है। इसलिए सभी देशों की जिम्मेदारी है कि उसे कानून के हवाले किया जाए। वर्ल्ड उइगर कांग्रेस (डब्ल्यूयूसी) के नेता डोलकुन ईसा जर्मनी में रहते हैं। चीन का आरोप है कि मुस्लिम बहुल शिनजियांग क्षेत्र में आतंकवादी घटनाओं के पीछे ईसा और उसके साथियों का हाथ है।

नई दिल्ली: संसद के दोनों सदनों में सोमवार को विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने का मुद्दा उठाते हुए केन्द्र पर विपक्ष शासित राज्य सरकारों को अस्थिर करने का आरोप लगाया, हालांकि सरकार ने इसे सिरे से खारिज करते हुए कहा कि इसका राजग सरकार से कुछ लेना देना नहीं है और यह विपक्षी दलों के खुद के अंदरूनी संकट का परिणाम है। लगभग 39 दिन के अवकाश के बाद आज संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण के शुरू होने पर इस मामले पर दोनों सदनों में खासा हंगामा रहा। राज्यसभा इस मुद्दे पर कई बार स्थगित हुई और लोकसभा में पूरे प्रश्नकाल में कांग्रेस की ओर से नारेबाजी होती रही। लोकसभा में शून्यकाल में स्पीकर द्वारा मामला उठाने की अनुमति दिए जाने पर सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया, राजग सरकार विपक्ष शासित राज्यों की सत्ता हड़पने की बहुत ही जल्दबाजी में है। अगर हर विपक्ष शासित राज्यों को अस्थिर करने का यह रवैया चलता रहा तो देश में लोकतंत्र और संविधान नहीं बचेगा। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने हालांकि इसका कड़ा प्रतिवाद करते हुए कहा, उत्तराखंड में जो संकट पैदा हुआ है वह भाजपा या राजग सरकार द्वारा पैदा किया गया नहीं हैं। यह संकट तो इन दलों के आंतरिक संकट का नतीजा है। साथ ही उन्होंने कहा कि यह मामला अदालत में विचाराधीन है इसलिए इस पर सदन में चर्चा नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की अनुदान की मांगों पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा होनी है और उस समय इस मामले में बात रखी जा सकती है। राज्यसभा में सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जानबूझकर विपक्ष को उकसाती है और व्यवधान की स्थिति लाती है ताकि सदन नहीं चले।

नई दिल्ली: संसद के सोमवार से शुरू हो रहे सत्र के हंगामेदार होने की संभावना है और उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर विपक्षी दलों के सरकार को घेरने का अनुमान है। हालांकि सरकार भी इससे निपटने की पूरी तैयारी में है। सरकार ने सत्र के लिए भारी एजेंडा तय किया है जिसमें लोकसभा में 13 विधेयक और राज्यसभा में 11 विधेयक पारित कराना शामिल है। सरकार के नेताओं में इस बात को लेकर आम सहमति है कि शुरुआती कुछ दिनों में जीएसटी जैसे विवादित मुद्दों को आगे बढ़ाना संभव नहीं होगा। वामदल, जदयू और अन्य विपक्षी दलों के समर्थन से कांग्रेस उत्तराखंड और अरूणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर केन्द्र को घेरने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने इसे संघीय ढांचे पर हमला करार दिया। कांग्रेस सरकारों या इसके या अन्य विपक्षी दलों के समर्थन की सरकारों के केन्द्र में सत्ता में होने पर राष्ट्रपति शासन लागू करने की घटनाओं का राजग सरकार द्वारा हवाला देते हुए इस हमले का जवाब देने की संभावना है। सरकारी सूत्रों ने दावा किया कि वर्ष 1951 से देश में 111 बार राष्ट्रपति शासन लागू हुआ है जिसमें से 91 बार राष्ट्रपति शासन तब लागू हुआ है जब भाजपा या राजग सत्ता में नहीं थे। लोकसभा अध्यक्ष ने संसद की सुचारू कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। यह सत्र ऐसे समय शुरू हो रहा है जब उत्तराखंड राजनीतिक संकट को लेकर विवाद पैदा हो गया है और 10 राज्यों में सूखे जैसी स्थितियां हैं।

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