नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (रविवार) 19वीं मन की बात में सबसे पहले सूखे की गंभीर स्थिति पर चिंता जताई साथ ही देशवासियों से अपील की कि वे आने वाले मानसून में वर्षा का पानी रोकने का भरपूर प्रयास करें। मोदी ने कहा, किसानों का धन्यवाद, उन्होंने पानी बचाने के लिए फसलों को बदल दिया। गन्ना बहुत पानी लेता है, इसलिए कई किसानों ने फसल ही बदल दिया। उन्होंने फलों की खेती शुरू कर दी। पानी की कमी पर बोलते हुए मोदी ने कहा, अहमदनगर में सराहनीय कदम उठाया गया। उन्होंने कहा कई नागरिक इस क्षेत्र में सराहनीय प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने लातूर में भारतीय रेल द्वारा पानी पहुंचाने की भी जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के देवास गांव में लोग छोटे छोटे तालाब बनाकर पानी का संचय कर रहे हैं। हमें गांव गांव पानी बचाने के लिए अभी से अभियान चलाना होगा। उन्होंने कहा कि इस बार पानी 106-110 मिलीलीटर वर्षा होने की उम्मीद है। जब वर्षा शुरू होगी तो अगर हम सभी पानी रोकने का संकल्प उठाएं तो पानी के भीषण संकट से बच सकते हैं। मोदी ने कहा कि धार्मिक आस्था के लोगों के लिए गंगा मोक्षदायिनी है पर मेरी नजर में ये जीवन दायिनी है। ये देश को गति देती है। हमें इस गंगा को बचाने के लिए करोड़ों भागीरथी की जरूरत है।
गंगा तट पर बसे राज्यों और शहरों से सहयोग लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था को लोकतांत्रिक व्यवस्था की अहम कड़ी है। 14 अप्रैल से 24 अप्रैल तक ग्रामोदय से भारत उदय अभियान चलाया गया। आज मैं झारखंड में जहां आदिवासी भाई बहन रहते हैं, जा रहा हूं। सभी पंचायती प्रतिनिधियों से मैं सीधे बात करूंगा। मोदी ने कहा कि पिछले कई चुनावों में ये चर्चा होती थी कि कौन पार्टी कितने गैस सिलेंडर देगी। मैं देशवासियों को हिसाब देते हुए अच्छा मससूस कर रहा हूं कि मैंने तीसरा रास्ता चुना। मैंने जनता पर भरोसा करते हुए यूं ही कहा था कि आप गैस सब्सिडी क्यों नहीं छोड़ देते। आज मुझे नाज हो रहा है कि करीब 1 करोड़ परिवारों ने गैस सिलेंडर सब्सिडी छोड़ दी। इसमें कई निम्न मध्यम वर्गीय परिवार भी हैं। 80प्रतिशत लोग ऐसे थे जिन्होंने एजेंसी पर जाकर लाइन लगाकर गैस सब्सिडी छोड़ने का फार्म भरा। शर्मिला धारपुरे ने मुंबई से हैं, पीएम मोदी से सीधे सवाल किया कि एजुकेशन सिस्टम में हम दुनिया में पीछे होते जा रहे हैं, आप क्या कर रहे हैं इस दिशा में। मोदी ने उनकी इस चिंता को सही बताया। उन्होंने कहा, हमारे देश में सभी सरकारों ने शिक्षा की दिशा में काफी काम किया। अब शिक्षा के विस्तार का जितना महत्व है, उससे ज्यादा जरूरी क्वालिटी एजुकेशन पर फोकस करना होगा। अब हमें योग्य शिक्षा पर बल देना होगा। हमने बजट में भी इसी पर ध्यान दिया है। अभी सफर काफी लंबा है। देश के 10 टॉप यूनिवर्सिटी को खुले तौर पर आह्वान दिया गया है कि वो बताएं कि आप दुनिया के टॉप इंस्टीट्यूट बनने के लिए क्या चाहते हैं।