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संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने आज (शनिवार) कहा कि तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव से दो दिन पहले तीन कंटेनरों से जब्त 570 करोड रुपये प्रथम दृष्टया संदिग्ध नकदी है क्योंकि कोई भी एजेंसी या संगठन उस पर दावा करने के लिए सामने नहीं आया है। चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने यहां कहा कि आयकर विभाग सहित सभी एजेंसियों को एक उचित जांच सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। अधिकारी ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह संदिग्ध नकदी है क्योंकि कोई भी एजेंसी या संगठन उस पर दावा करने के लिए सामने नहीं आया है। अधिकारी ने कहा कि चुनाव आयोग घटनाक्रम पर नजदीकी नजर रख रहा है। चुनाव अधिकारियों ने तमिलनाडु में आज तिरूपुर जिले में जांच के दौरान तीन कंटेनरों से करीब 570 करोड़ रुपये जब्त किए। वाहनों के लोगों का कहना था कि नकदी अंतर बैंक धनराशि अंतरण के लिए थी। अधिकारियों ने कहा कि कंटेनरों के साथ चल रहे लोगों ने उन्हें बताया कि वे 570 करोड़ रुपये का अंतरण कोयंबटूर स्थित भारतीय स्टेट बैंक शाखा से विशाखापत्तनम शाखा में कर रहे हैं लेकिन उनके पास सभी जरूरी दस्तावेज नहीं थे और उनके दावे की सच्चाई का पता लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं। दरअसल, तमिलनाडु में चुनाव अधिकारियों ने शनिवार को तिरूपुर जिले में जांच के दौरान तीन कंटेनरों से करीब 570 करोड़ रुपये जब्त किए। वाहन मालिकों ने दावा किया कि यह राशि अंतर-बैंक धन हस्तांतरण के लिए थी।

नई दिल्ली: कांग्रेस ने शुक्रवार को एनआईए को 'नमो इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी' करार देते हुए आरोप लगाया कि मालेगांव धमाके के मामले में इसका राजनीतिक तौर पर पक्षपातपूर्ण दुरूपयोग हुआ है। पार्टी ने यह हमला तब बोला है जब एनआईए ने इस मामले में अपने पहले के रुख से ‘यू-टर्न’ लेते हुए साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और पांच अन्य के खिलाफ सभी आरोप हटा लिए। कांग्रेस प्रवक्ता गौरव गोगोई ने पत्रकारों को बताया, 'मालेगांव का मामला दिखाता है कि भाजपा से जुड़ाव रखने वालों को छल-कपट या किसी अन्य तरीके से बचाने के लिए एनआईए ‘नमो इंवेस्टिगेटिव एजेंसी’ बन गई है।' कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक अलग बयान में बताया, 'मोदी जी के मातहत एनआईए ‘नमो इंवेस्टिगेटिव एजेंसी’ बन गई है, जिसका एकमात्र मकसद विभिन्न आपराधिक मामलों में भाजपा, आरएसएस से जुड़े नेताओं को क्लीन चिट देना है।' गोगोई ने दावा किया कि 'दिल्ली में नेतृत्व' से जो भी निर्देश आता है, वाला रवैया एनआईए अपना रही है और यह पूर्वाग्रह लोक अभियोजक के बयान से भी साफ हो गया जब उन्होंने कहा कि इस मामले में उन पर दबाव था। गौरव गोगोई ने इस मामले में उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच कराने की पुरजोर मांग की।

नई दिल्ली: अगस्ता वेस्टलैंड मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप के बीच कांग्रेस ने शुक्रवार को मोदी सरकार पर विपक्ष, नौकरशाहों और न्यायाधीशों के फोन टैप करने के लिए ‘ओवरटाइम काम’ करने का आरोप लगाया। पार्टी प्रवक्ता आनंद शर्मा ने संवाददाताओं से कहा, 'भाजपा सरकार में एक गंदी तरकीब विभाग है, जो विपक्ष, सिविल सेवकों और न्यायाधीशों की फोन टैपिंग करने के लिए ओवरटाइम काम कर रहा है।' उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार वरिष्ठ नेताओं और नौकरशाहों को निगरानी में रख रही है, दस्तावेज तैयार कर रही, सरकारी एजेंसियों और मीडिया के आसानी से वश में आ जाने वाले हिस्से का इस्तेमाल कर रही है। राजनीतिक ब्लैकमेल के इस खेल को रोकने के लिए सरकार को आगाह करते हुए उन्होंने कहा कि यह झूठी अफवाह फैला रही है और अपमानित करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने हैरानी जताई कि रक्षा मंत्रालय, सीबीआई, ईडी के गोपनीय दस्तावेज चयनित रूप से कैसे कुछ चैनलों और एजेंसियों को लीक हो गए। उन्होंने कहा कि इसने एक अधूरी तस्वीर बनाई। पूरी तस्वीर लेकर विपक्ष संसद में आया। शर्मा ने कहा कि सरकार को विपक्ष को निशाना बनाने की बजाय अपने वादों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘जब आप अर्थव्यवस्था, रोजगार वृद्धि, गिरते निर्यात और निवेश की दर में कमी पर नजर डालते हैं तो वे बुरी तरह से नाकाम दिखते हैं।’

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सूखे जैसी स्थिति में मनरेगा योजना के तहत काम के बदले भुगतान में देरी के लिए मजदूरों को मुआवजा नहीं देने पर केन्द्र की निंदा की और कहा कि वह ‘कल्याणकारी राज्य के लिए उपयुक्त नहीं’ है क्योंकि ‘सामाजिक न्याय पर आंखें मूंद ली गई हैं।’ शीर्ष अदालत ने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार के पास मजदूरों को मुआवजा देने के लिए कोई प्रावधान नहीं है और यह भी पछतावे वाली बात है कि उसने मामले के लंबित रहने के दौरान 2015-16 के लिए बकाया राशि को मंजूरी दी। न्यायमूर्ति एमबी लोकुड़ और न्यायमूर्ति एनवी रमण की पीठ ने कहा, ‘एक मजदूर बकाया मजदूरी के भुगतान में देरी के लिए 0.05 प्रतिशत प्रति दिन की दर से मुआवजे का हकदार है। हमें यह बताते हुए बहुत दुख है कि भारत सरकार ने वर्ष 2015-16 के लिए 7983 करोड़ रूपये की मजदूरी जारी करते हुए इस मुआवजे के लिए कोई प्रावधान नहीं किया है।’ पीठ ने कहा, ‘यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है और यह निश्चित रूप से किसी भी स्थिति में कल्याणकारी राज्य के रूप में उचित नहीं है, वह भी सूखे की स्थिति में। भारत सरकार ने सामाजिक न्याय पर आंखें मूंद ली हैं।’ केन्द्र ने शीर्ष अदालत के सामने स्वीकार किया कि 31 मार्च 2016 तक मनरेगा योजना के तहत बकाया राशि करीब 7983 करोड़ रूपये थी।

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