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नई दिल्ली: आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन के खिलाफ एक और धमाकेदार आरोप लगाते हुए भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री को तुरंत बर्खास्त करने की मांग की है। स्वामी ने आरोप लगाया है कि राजन मानसिक तौर पर पूरी तरह भारतीय नहीं है और उन्होंने जानबूझकर अर्थव्यवस्था को ध्वस्त किया है। पिछले सप्ताह संसद सत्र समाप्त होने के बाद राजन के खिलाफ आरोप लगाने के बाद अब स्वामी ने कल प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने राजन की सेवा तुरंत प्रभाव से खत्म करने की मांग की है। उन्होंने कहा, ‘मैं ऐसा सुझाव इसलिए दे रहा हूं कि मैं डॉक्टर राजन के जानबूझ कर भारतीय अर्थव्यवस्था को ध्वस्त करने की कोशिश से स्तब्ध हूं।’ स्वामी ने कहा कि मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दर बढ़ाने की अवधारणा विनाशकारी थी। उन्होंने कहा, ‘साथ ही पिछले दो साल में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए (वसूली न किया जा सकने वाला ऋण) दोगुना होकर 3.5 लाख करोड़ रुपए हो गया।’
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नई दिल्ली: राज्य सभा सदस्य और भाजपा नेता सुब्रहमण्यम स्वामी ने सोमवार को दावा किया कि अयोध्या में राम मंदिर का काम साल के खत्म होने से पहले शुरू हो जाएगा और जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को 2017 के अंत तक रद्द कर दिया जाएगा। स्वामी ने मोदी के दो साल पूरा होने पर एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में कहा, ‘इस साल के आखिर तक हम राम मंदिर का काम शुरू कर देंगे। हम और अन्य दावेदार जुलाई से उच्चतम न्यायालय द्वारा मामले की रोजाना सुनवाई किए जाने के पक्ष में हैं।’ उन्होंने कहा कि यदि ऐसा होता है तो अदालत का फैसला कुछ महीनों के अंदर आ जाएगा जिससे आगे चलकर राम मंदिर का काम शुरू करना संभव हो जाएगा। हालांकि, कार्यक्रम में मौजूदा मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलिमीन के नेता असददुद्दीन ओवैसी ने स्वामी की दलील का जवाब देते हुए कहा, ‘यह संभव नहीं है क्योंकि अदालती दस्तावेज के अनुवाद में ही छह महीना लग जाएगा।’ उन्होंने कहा, ‘राम मंदिर घोषणापत्र का हिस्सा है। अदालत फैसला करेगी। सवाल यह है कि जहां मंदिर था क्या वहां मस्जिद बनाई गई थी। इस मामले को जीतने को लेकर आश्वस्त हूं।
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नई दिल्ली: स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने आज (सोमवार) कहा कि सरकार राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) के मुद्दे पर राज्यों से और सलाह-मशविरा करेगी। नड्डा का बयान इन खबरों के बीच आया है जिसमें कहा गया था कि मेडिकल पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए परीक्षा को अनिवार्य बनाने के लिए उच्चतम न्यायालय के फैसले को दरकिनार करने को सरकार अध्यादेश ला सकती है। उन्होंने एम्स में राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ सलाह-मशविरा किया। इसमें साझा मेडिकल प्रवेश परीक्षा को लेकर राज्य जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं उसपर चर्चा की गई। नड्डा ने कहा, ‘हमें नीट के मुद्दे पर राज्य सरकारों के साथ और चर्चा की आवश्यकता होगी। आज हमने भाषा, पाठ्यक्रम और मेडिकल प्रवेश परीक्षा को लेकर राज्य सरकारों की चिंताओं पर चर्चा की।’ उन्होंने कहा, ‘पूरे देश में नीट आयोजित किए जाने से पहले हमें राज्यों की सभी समस्याओं का समाधान करना है।’ स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि उच्चतम न्यायालय को निष्कर्ष पर पहुंचने के बाद नीट को लेकर राज्य सरकारों की आशंकाओं से अवगत करा दिया जाएगा। नड्डा ने अपने ट्वीट में कहा, ‘राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों से आज मिला। उन्होंने इस साल नीट आयोजित करने पर अपनी राय साझा की।’
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नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज फिर कहा कि अदालतों को सरकार और राजनीतिक दलों के कामकाज में दखल नहीं देना चाहिए। इंडियन वीमेंस प्रेस कोर के एक कार्यक्रम में उन्होंने आरबीआई गवर्नर से सरकार के टकराव की खबर को भी गलत बताया। "कोर्ट कार्यपालिका का विकल्प नहीं हो सकती। कोर्ट उसकी ताकत का इस्तेमाल नहीं कर सकती। सभी संस्थाओं को लक्ष्मण रेखा खींचना होगी।" वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को दिल्ली में पत्रकार वार्ता में यह बात कही। कानून के जानकार वित्त मंत्री ने बहुत सतर्क होकर ये साफ किया कि अदालत और सरकार के कामकाज के दायरे अलग हैं। अदालतों को अपनी लक्ष्मणरेखा खींचनी होगी। वित्त मंत्री की इस सलाह के पीछे हाल के कई मसले हैं। उत्तराखंड पर राष्ट्रपति शासन के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने दखल दिया; आधार को वित्त विधेयक बनाने का मामला अदालत में है; दिल्ली में डीज़ल गाड़ियों पर बैन लगाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से भी सरकार निराश है और ताज़ा मामला मेडिकल एंट्रेंस को लेकर एनईईटी का है। जेटली ने कहा, "मेरी नज़र में मेडिकल संस्थाओं में दाखिले का मामला कार्यपालिका के अधीन आता है।" लेकिन संवैधानिक संस्थाओं पर दबाव बनाने के इल्ज़ाम को लेकर जेटली किनारा कर गए।
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