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संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

नई दिल्ली: राज्यसभा में 53 सदस्यों को विदाई देते हुए शुक्रवार को विभिन्न दलों के नेताओं ने विधायिका के अधिकारों में न्यायापालिका द्वारा कथित ‘अतिक्रमण’ पर चिंता जतायी तथा सदन के नेता एवं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी माना कि देर सबेर इस मुद्दे पर विचार जरूरी होगा। सेवानिवृत्त होने जा रहे सदस्यों को शुभकामनाएं देते हुए समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि न्यायपालिका द्वारा विधायिका के अधिकारों का अतिक्रमण को लेकर सांसद चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि संसद ने विधायिका को कानून बनाने एवं बजट पारित करने का अधिकार दिया है। उन्होंने सरकार से मानसून सत्र में इस मुद्दे पर चर्चा करवाये जाने का सुझाव देते हुए कहा कि यदि न्यायपालिका यह करेगी तो हमारी प्रासंगिकता क्या रह जाएगी। यादव ने कहा कि संसदीय सम्मान, सर्वोच्चता एवं क्षमता को बरकरार रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि संविधान ने स्पष्ट सीमाएं खींची हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग राज्यसभा को दूसरा सदन नहीं बताकर दूसरे दर्जे का सदन बताते हैं किन्तु वास्तविकता यह नहीं है। इस सदन की विधायिका में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सपा नेता की बात का समर्थन करते हुए बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि हमें मिलकर काम करना चाहिए विशेषकर महत्वपूर्ण मुद्दों पर तथा राजनीतिक विचारधारा से ऊपर उठना चाहिए।

मायावती ने कहा कि हमें अपने भीतर देखना चाहिए कि न्यायपालिका क्यों फायदा उठा रही है। जेटली ने कहा कि कानून बनाने और बजट तैयार करने का काम संसद का है और इस अधिकार के यहां से निकल जाने पर लोकतंत्र प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर अभी नहीं तो आगे चलकर विचार करने की जरूरत पड़ेगी। सदस्यों को विदाई देते हुए कांग्रेस के उप.नेता आनंद शर्मा ने चर्चा के स्तर को उंचा उठाने एवं प्रमुख विधेयकों की विसंगतियों को दुरुस्‍त करने में उच्च सदन की ओर से निभायी गयी महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि बाहर यह गलत छवि बनायी गयी कि राज्यसभा में कोई काम नहीं होता। उन्होंने कहा कि अड़चन उत्पन्न करना तथा नीतियों एवं कार्यक्रमों पर अपनी आपत्तियां व्यक्त करना लोकतंत्र का हिस्सा है। सभापति हामिद अंसारी ने मौजूदा सत्र एवं अगले सत्र के बीच की अवधि में सेवानिवृत्त होने जा रहे सदस्यों को शुभकामनाएं देते हुए सदन में उनके द्वारा दिये गये योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि उनके अनुभवों से सदन के कामकाम में काफी मदद मिली। अंसारी ने सेवानिवृत्त होने जा रहे सदस्यों के प्रति उम्मीद जतायी कि वे सदन से जाने के बाद सार्वजनिक जीवन में सक्रिय योगदान देते रहेंगे। उपसभापति पी जे कुरियन ने भी सेवानिवृत्त होने जा रहे सदस्यों के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि निश्चित तौर पर इस सदन में आने के बाद उनके अनुभवों का विस्तार हुआ होगा। कुरियन ने कहा कि कई बार सदन को सुचारू रूप से चलाने के लिए आसन पर रहते हुए उन्हें कुछ कठोर टिप्पणी करनी पडती है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि उनकी इन टिप्पणियों को अन्यथा नहीं लिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सेवानिवृत्त होने जा रहे सदस्यों को शुभकामनाएं देने के साथ ही परोक्ष करों में महत्वपूर्ण सुधारों के प्रावधानों वाले जीएसटी विधेयक के संसद के मौजूदा सत्र में पारित नहीं होने पर प्रदेशों के हितों के प्रभावित होने पर चिंता जतायी। उन्होंने कहा कि इसके पारित होने से ‘राज्यों को सीधे सीधे लाभ पहुंचता।’ उन्होंने सेवानिवृत्त होने जा रहे सदस्यों से कहा कि आपके योगदान, हस्तक्षेप से वर्तमान सत्र में सुधार के महत्वपूर्ण निर्णय हुए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि दो चीजों का गिला शिकवा आपको जरूर रहेगा। यदि राज्य के रूप में देखें तो अच्छा होता कि आपके रहते, आपकी मौजूदगी में दो ऐसे निर्णय होते तो जिस राज्य का आप प्रतिनिधि करते हैं, वह राज्य हमेशा हमेशा के लिए गर्व का अनुभव करते। उन्होंने कहा कि जीएसटी से बिहार का भरपूर लाभ होने वाला है, उत्तर प्रदेश का भरपूर लाभ होने वाला था। उन्होंने कहा कि एक दो राज्यों को छोड़कर शेष राज्यों को भरपूर लाभ होने वाला था। किंतु अब सेवानिवृत्त हो रहे सदस्यों को इसमें योगदान देने का मौका नहीं मिलेगा। उन्होंने उम्मीद जतायी कि आने वाले सत्र में जीएसटी विधेयक पारित हो जाएगा। उन्होंने कहा कि आप में से जो वापस आएंगे, मुझे विश्वास है कि उनके हाथों से ही उनके राज्य के हित के लिए महत्वपूर्ण काम होगा। उल्लेखनीय है कि वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है। किन्तु यह राज्यसभा में लम्बित है। प्रधानमंत्री मोदी ने संसद के मौजूदा सत्र में राष्ट्रीय मुआवजा वनीकरण कोष प्रबंधन एवं नियोजन प्राधिकरण (काम्पा) गठित करने संबंधित विधेयक भी पारित नहीं होने पर चिंता जतायी। उन्होंने कहा कि दूसरा महत्वपूर्ण काम काम्पा का है। उन्होंने कहा कि इस बार यदि हमने निर्णय किया होता तो राज्यों को 42,000 करोड़ रूपए मिलते। एक एक राज्य को करीब करीब दो.तीन हजार करोड़ रूपए मिलते। यह रकम कम नहीं होती। मोदी ने कहा कि यह पैसा वनीकरण के लिए मिलने वाला था। यह पैसा वर्षा के सीजन में सर्वाधिक काम आ सकता था। उन्होंने कहा कि यदि यह विधेयक पारित हो जाता तो ‘यह अच्छा निर्णय होता जो इस बार नहीं हो पाया। चार पांच माह का और इंतजार करना होगा। तब तक वष्रा का सीजन चला जाएगा।’

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