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नई दिल्ली: अमेरिका के एक प्रमुख सीनेटर बेन कार्डिन ने कथित मानवाधिकार उल्लंघनों, न्यायेतर हत्याओं और धार्मिक असहिष्णुता के मामलों में भारत की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि भारत के सामने ये राष्ट्रीय चुनौतियां हैं। सीनेट विदेश संबंध समिति के सदस्य सीनेटर कार्डिन ने भारत सरकार से इन मुद्दों पर ध्यान देने को कहा है। उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इन मुद्दों को उठाएंगे, जिनके लिए वह अगले सप्ताह वाशिंगटन में एक स्वागत समारोह की मेजबानी कर रहे हैं। उन्होंने भारत के धर्मांतरण रोधी कानूनों का भी विशेष रूप से उल्लेख करते हुए कहा कि ये काफी पहले बनाए गए थे, लेकिन भारत के कुछ हिस्सों में धार्मिक आजादी के लोगों के अधिकारों पर अतिक्रमण के लिए इनका इस्तेमाल किया जा रहा है। कार्डिन ने आरोप लगाया कि भारत के विभिन्न हिस्सों में न्यायेतर हत्याएं होती हैं, जिन्हें जारी नहीं रहने दिया जा सकता। उन्होंने भारत में भ्रष्टाचार, महिलाओं के खिलाफ अपराध और मानव तस्करी के बारे में भी बात की और कहा कि सरकार को इन चुनौतियों पर ध्यान देना चाहिए। सीनेटर 'अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सुशासन की भूमिका' पर संबोधन दे रहे थे। भारत में 'धार्मिक असहिष्णुता' के बारे में बात रखते हुए उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में इस समस्या के अलग-अलग आयाम हैं और इस पर ध्यान देने की तत्काल जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत को मानवाधिकार उल्लंघनों, धार्मिक असहिष्णुता, तस्करी की चुनौती पर ध्यान देना चाहिए। कार्डिन ने कहा कि भारत का संघीय ढांचा सुशासन के लिए अनेक राष्ट्रीय नीतियों के प्रभाव क्षमता में अवरोध पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा, 'भारत की संघीय व्यवस्था सुशासन को चुनौती देती है। हम संघवाद में भरोसा करते हैं। यह सही तरह की नीतियों के साथ देश की मदद कर सकता है।' कार्डिन ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध किसी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि मोदी को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में अमेरिकी कांग्रेस में संबोधन के लिए आमंत्रित किया गया है।
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को आपदा प्रबंधन के लिए पहली बार राष्ट्रीय योजना को जारी किया। इसके तहत देश को आपदाओं से निबटने में सक्षम बनाने तथा इनसे होने वाली जानमाल की हानि को कम करने के लिए एक रूपरेखा तैयार की गयी है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (एनडीएमपी) में आपदा प्रबंधन चक्र के सभी चरणों में एहतियात कम करने, प्रतिक्रिया एवं बचाव के मकसद से सरकारी एजेंसियों के लिए एक रूपरेखा एवं निर्देश तैयार किये गये हैं। गृह मंत्रालय के यहां जारी एक बयान के अनुसार एनडीएमपी इस लिहाज से एक जीवंत दस्तावेज है कि आपदा प्रबंधन के मामले में उभरने वाले सर्वोत्तम चलन एवं ज्ञान के आधार पर इसे समय समय पर बेहतर बनाया जाएगा। प्रधानमंत्री ने आपदाओं से निबटने के लिए समुदायों को तैयार करने को कहा है। योजना में सूचना, शिक्षा एवं संवाद गतिविधियों की अधिक आवश्यकता पर बल दिया गया है। उन्होंने कहा, ‘एनडीएमपी में एक क्षेत्रीय रूख अपनाया गया है जिससे विकास नियोजन एवं आपदा प्रबंधन में मदद मिलती है।’
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नई दिल्ली: केन्द्र ने करीब 50 साल पुराने एक कानून में संशोधन करने के लिए तीसरी बार एक अध्यादेश जारी किया है। इस अध्यादेश में युद्ध के बाद पाकिस्तान एवं चीन चले गये लोगों की संपत्तियों पर उत्तराधिकार के दावों या उनके स्थानांतरण को रोकने के लिए प्रावधान किये गये हैं। शत्रु संपत्ति से किसी ऐसी संपत्ति का उल्लेख किया जाता है जो किसी शत्रु, किसी शत्रु विषयक या शत्रु फर्म की ओर से प्रबंधित होती या रखी जाती है। सरकार ने इन संपत्तियों को भारत के लिए शत्रु संपत्ति संरक्षक के तहत रखा है जो केन्द्र सरकार के तहत गठित एक कार्यालय है। भारत पाकिस्तान युद्ध 1965 के बाद शत्रु संपत्ति कानून 1968 का गठन किया गया जो इस प्रकार की संपत्ति का नियमन करता है तथा इसमें संरक्षक की शक्तियों का ब्यौरा है। एक सरकारी सूचना के अनुसार राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ‘शत्रु संपत्ति (संशोधन एवं विधिमान्यीकरण) तृतीय अध्यादेश 2016’ को मंजूरी दे दी है। इसे मंगलवार को अधिसूचित किया गया है।
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नई दिल्ली: भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) ने तीन बार तलाक कहने को बैन करने के लिए एक अभियान शुरू किया है। इसके तहत एक याचिका तैयार की गई है, जिसपर 50 हजार मुस्लिमों ने हस्ताक्षर किए हैं। तीन बार तलाक कहकर विवाह संबध खत्म करने की व्यवस्था के खिलाफ देश के पचास हजार से ज्यादा मुस्लिमों ने राष्ट्रीय महिला आयोग को पत्र लिखा है। भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) की संयोजक नूरजहां साफिया नियाज ने बुधवार को कहा कि भविष्य में लाखों लोग इस अभियान से जुड़ेंगे। बीएमएमए की याचिका में जिस पर गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, केरल, उत्तर प्रदेश के मुसलमानों ने हस्ताक्षर किए हैं। महिला आयोग की अध्यक्ष ललिता कुमारमंगलम को भेजे पत्र में लिखा है कि कुरान में तलाक की ऐसी किसी व्यवस्था का कोई जिक्र नहीं है। इसके मुताबिक, मुसलमान महिलाओं को भी संविधान में अधिकार मिले हैं, अगर कोई कानून समानता और न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है तो उस पर रोक लगनी चाहिए। ठीक उसी तरह जैसे दूसरे समुदायों में होता है। पत्र में यह भी लिखा गया है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ को पूरी तरह से बदलने में समय लगेगा, लेकिन तब तक ‘ट्रिपल तलाक’ पर प्रतिबंध लगाने से लाखों मुस्लिम महिलाओं को राहत मिलेगी। कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इस कदम का विरोध किया है क्योंकि वे ‘तलाक’को अल्लाह के कानून का हिस्सा मानते हैं।
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