नई दिल्ली: भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) ने तीन बार तलाक कहने को बैन करने के लिए एक अभियान शुरू किया है। इसके तहत एक याचिका तैयार की गई है, जिसपर 50 हजार मुस्लिमों ने हस्ताक्षर किए हैं। तीन बार तलाक कहकर विवाह संबध खत्म करने की व्यवस्था के खिलाफ देश के पचास हजार से ज्यादा मुस्लिमों ने राष्ट्रीय महिला आयोग को पत्र लिखा है। भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) की संयोजक नूरजहां साफिया नियाज ने बुधवार को कहा कि भविष्य में लाखों लोग इस अभियान से जुड़ेंगे। बीएमएमए की याचिका में जिस पर गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, केरल, उत्तर प्रदेश के मुसलमानों ने हस्ताक्षर किए हैं। महिला आयोग की अध्यक्ष ललिता कुमारमंगलम को भेजे पत्र में लिखा है कि कुरान में तलाक की ऐसी किसी व्यवस्था का कोई जिक्र नहीं है। इसके मुताबिक, मुसलमान महिलाओं को भी संविधान में अधिकार मिले हैं, अगर कोई कानून समानता और न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है तो उस पर रोक लगनी चाहिए। ठीक उसी तरह जैसे दूसरे समुदायों में होता है। पत्र में यह भी लिखा गया है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ को पूरी तरह से बदलने में समय लगेगा, लेकिन तब तक ‘ट्रिपल तलाक’ पर प्रतिबंध लगाने से लाखों मुस्लिम महिलाओं को राहत मिलेगी। कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इस कदम का विरोध किया है क्योंकि वे ‘तलाक’को अल्लाह के कानून का हिस्सा मानते हैं।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी इसका विरोध करने की घोषणा की है।