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दोहा: अपने 5 देशों की यात्रा के दूसरे चरण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कतर की राजधानी दोहा में रविवार शाम भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित किया। रविवार को ही भारत और कतर के बीच 7 समझौतों पर हस्‍ताक्षर किए गए हैं जिसमें निवेश और पर्यटन को बढ़ावा देने के समझौते भी शामिल हैं। भारत में भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ने का संकल्प लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उन्होंने ‘कई लोगों को मिठाई’ से वंचित करके समस्याओं का सामना किया है और सरकारी योजनाओं में लीकेज तथा चोरी रोककर सालाना 36000 करोड़ रुपये बचाये हैं। कतर की अपनी दो दिनी यात्रा के अंत में भारतवंशी समुदाय को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमने केवल सतह (भ्रष्टाचार पर) साफ की है और गहराई से सफाई अभी बाकी है।’’ भारतीय मूल के लोगों की लगातार तालियों की गड़गड़ाहट के बीच प्रधानमंत्री ने कहा कि वित्तीय पारदर्शिता, अनुशासन और कार्यक्षमता सुनिश्चित करने के प्रयासों के अच्छे परिणाम मिलने शुरू हो गये हैं। उन्होंने कहा, ‘‘भ्रष्टाचार ने हमारे देश को खोखला कर दिया है, जो दीमक की तरह इसे खा रहा है।’’ पिछली कांग्रेसी सरकारों पर परोक्ष हमले में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आज पूरी दुनिया में भारत की छवि सुधरी है और देश को सम्मान के साथ देखा जा रहा है। सभी भारत की ओर आकषिर्त हो रहे हैं। जब दूसरे देशों के लोग भारतीयों से मिलते हैं तो आप अंतर देखते होंगे।’’

दोहा: भारत और कतर ने वित्तीय खुफिया जानकारी के आदान प्रदान, धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने तथा गैस संपन्न खाड़ी देश से बुनियादी ढांचे में विदेशी निवेश आकर्षित करने सहित 7 समझौतों पर हस्ताक्षर किये। कौशल विकास और शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन और खेल के क्षेत्रों में सहयोग और निवेश अन्य समझौते हैं जिन पर भारतीय और कतर अधिकारियों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी की मौजूदगी में हस्ताक्षर किये। बहु क्षेत्रीय साझेदारी और भारत-कतर संबंधों को मजबूत करने के लिए मोदी और शेख तमीम के बीच आधिकारिक वार्ता हुई और इसके बाद समझौतों और सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर हुए। प्रधानमंत्री की यात्रा के दूसरे दिन ये हस्ताक्षर हुए। राष्ट्रीय निवेश और बुनियादी ढांचा कोष में निवेश को लेकर कतर निवेश प्राधिकरण और विदेश मंत्रालय के बीच एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुआ। यह गैस बहुल खाड़ी देश से विदेशी निवेश को बढ़ावा देगा। वित्तीय खुफिया इकाई भारत (एफआईयू-इंडिया) और कतर वित्तीय सूचना इकाई (क्यूएफआईयू) के बीच हुए एक एमओयू पर हस्ताक्षर से धन के प्रवाह का पता लगाने और कतर से भारत में निवेश में मदद मिलेगी। इससे अधिकारियों को धन शोधन, आतंकवाद वित्त पोषण और अन्य आर्थिक अपराधों का पता लगाने में भी मदद मिलेगी। सीमा शुल्क मामलों में सहयोग और पारस्परिक मदद को लेकर भी एक समझौते पर हस्ताक्षर हुआ।

वॉशिंगटन: भारत इस सप्ताह मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) में प्रवेश कर सकता है। इस कदम से अमेरिका से ड्रोन विमान खरीदने तथा अपने उच्च प्रौद्योगिकी वाले मिसाइल का मित्र देशों को निर्यात करने के उसके प्रयासों को बल मिलेगा। घटनाक्रम पर नजर रख रहे सूत्रों ने बताया कि इस संबंध में घोषणा यथाशीघ्र और शायद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के आमंत्रण पर होने जा रही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान किए जाने की उम्मीद है। यह बड़ी सफलता भारत को उसकी इस घोषणा के बाद मिली कि बैलिस्टिक मिसाइल प्रसार के खिलाफ वह ‘द हेग आचार संहिता’ को अपना रहा है। इस आचार संहिता को प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) का पूरक समझा जाता है। भारत ने इसकी सदस्यता के लिए पिछले साल आवेदन किया था, लेकिन एमटीसीआर के कुछ सदस्य देशों ने इसका कड़ा विरोध किया जहां निर्णय आम सहमति पर आधारित होता है। ओबामा प्रशासन ने एमटीसीआर में भारत की सदस्यता और तीन अन्य निर्यात नियंत्रण व्यवस्था ऑस्ट्रेलिया समूह, परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह और वासेनार अरेंजमेंट की सदस्यता का जोरदार समर्थन किया है।

नई दिल्ली: वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने आज (रविवार) कहा कि 'राहुल गांधी वस्तुत: कांग्रेस अध्यक्ष हैं, लेकिन उन्हें वास्तविक अध्यक्ष बनना चाहिए' और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर बनने का इंतजार किए बगैर पार्टी को सियासी जंग के लिए तैयार करना चाहिए। रमेश ने यह भी कहा कि वक्त का तकाजा है कि बदलते भारत के हिसाब से कांग्रेस भी बदले क्योंकि 'हमारी संचार रणनीति बहुत प्रभावी नहीं है' और लगातार चुनावी हार की पृष्ठभूमि में हमें समाज के विभिन्न हिस्सों तक 'आक्रामक पहुंच बनाने की जरूरत है।' उन्होंने 'कांग्रेस-मुक्त भारत' के मोदी के लगातार आह्वानों की तरफ वस्तुत: इशारा करते हुए कहा कि चुनौतियां बहुत ही भारी हैं, लेकिन मायूसी के लिए कोई जगह नहीं है। जो कांग्रेस को खारिज कर रहे हैं वे वक्त से पहले मर्सिया पढ़ रहे हैं। राहुल गांधी को नेतृत्व सौंपने की जोरदार वकालत करते हुए रमेश ने कहा कि 'उहापोह में रहने से कोई फायदा नहीं होता।' अभी कांग्रेस जिन चुनौतियों का सामना कर रही है, यह उस समय जैसी ही हैं जब मार्च 1988 में सोनिया गांधी ने पार्टी की कमान संभाली थी। रमेश ने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष के पास 'पार्टी के सांगठनिक पुनर्गठन के लिए ढेर सारे विचार हैं और मुझे उम्मीद है कि वह बहुत जल्द (पार्टी अध्यक्ष की) यह जगह पा लेंगे।

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