नई दिल्ली: केन्द्र ने करीब 50 साल पुराने एक कानून में संशोधन करने के लिए तीसरी बार एक अध्यादेश जारी किया है। इस अध्यादेश में युद्ध के बाद पाकिस्तान एवं चीन चले गये लोगों की संपत्तियों पर उत्तराधिकार के दावों या उनके स्थानांतरण को रोकने के लिए प्रावधान किये गये हैं। शत्रु संपत्ति से किसी ऐसी संपत्ति का उल्लेख किया जाता है जो किसी शत्रु, किसी शत्रु विषयक या शत्रु फर्म की ओर से प्रबंधित होती या रखी जाती है। सरकार ने इन संपत्तियों को भारत के लिए शत्रु संपत्ति संरक्षक के तहत रखा है जो केन्द्र सरकार के तहत गठित एक कार्यालय है। भारत पाकिस्तान युद्ध 1965 के बाद शत्रु संपत्ति कानून 1968 का गठन किया गया जो इस प्रकार की संपत्ति का नियमन करता है तथा इसमें संरक्षक की शक्तियों का ब्यौरा है। एक सरकारी सूचना के अनुसार राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने ‘शत्रु संपत्ति (संशोधन एवं विधिमान्यीकरण) तृतीय अध्यादेश 2016’ को मंजूरी दे दी है। इसे मंगलवार को अधिसूचित किया गया है।
पहला अध्यादेश एक जनवरी को जारी किया गया था तथा दूसरा दो अप्रैल को जारी किया गया, जिसकी अवधि गत रविवार को समाप्त हो गयी।