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संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

नई दिल्ली: रीयल एस्टेट बिल सेक्टर के उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा करने और इस क्षेत्र के विनियमन वाले एक महत्वपूर्ण विधेयक को मंगलवार को संसद ने अपनी मंजूरी दे दी। राज्यसभा से पिछले हफ्ते पारित हो चुके इस विधेयक को मंगलवार को लोकसभा ने भी चर्चा के बाद अपनी मंजूरी दे दी। केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने इस विधेयक को समय की जरूरत बताया और कहा कि इससे बिल्डर और उपभोक्ता दोनों के हितों का संरक्षण होगा। 'भू-संपदा (विनियमन और विकास) विधेयक, 2016' पर लोकसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए नायडू ने कहा कि यह विधेयक सभी हितधारकों और संसद की समितियों में पर्याप्त अध्ययन के बाद लाया गया है। उन्होंने कहा कि यह उपभोक्ता को 'किंग' बनाने वाला विधेयक है। कानून बनने के बाद बिल्डर और ग्राहक दोनों ही इसके दायरे में आएंगे। नायडू ने कहा कि विधेयक पारित होने के बाद एक नियामक प्राधिकरण बनाया जाएगा, जिसमें बिल्डर को किसी भी परियोजना की शुरुआत से पहले उसमें पंजीकरण कराना होगा और उसकी जमीन खरीदने से लेकर अन्य सभी मंजूरी संबंधित दस्तावेज आदि का ब्योरा जमा करना होगा। यह जानकारी उपभोक्ताओं के लिए सार्वजनिक होगी और वे अपनी पसंद की परियोजना चुन सकते हैं।

नई दिल्ली: आर्थिक संवृद्धि को रफ्तार देते हुए इसे सामाजिक तौर पर समावेशी बनाए जाने को नीति-निर्माताओं के सामने मौजूद एक बड़ी चुनौती करार देते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को आने वाले एक दशक में 11.5 करोड़ गैर-कृषि रोजगार पैदा करने की जरूरत है। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार की ओर से 'स्टार्ट अप इंडिया' कार्यक्रम की शुरुआत संकेत देती है कि भारत समाज और देश के व्यापक हित के लिए अपने युवाओं की प्रतिभा और रचनात्मकता का लाभ लेने के लिए प्रतिबद्ध है। शनिवार को राष्ट्रपति भवन में 'ग्लोबल राउंड टेबल ऑन इन्क्लूसिव इनोवेशंस' के दौरान एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रणब मुखर्जी ने कहा कि देश को एक ऐसे मॉडल की जरूरत है, जो ऐसे 35-40 करोड़ लोगों को मुख्यधारा में लाए जो अभी हाशिये पर हैं। रविवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में राष्ट्रपति के हवाले से कहा गया, 'भारतीय अर्थव्यवस्था को आने वाले एक दशक में 11.5 करोड़ गैर-कृषि नौकरियों की जरूरत है, ताकि वह अपने कार्यबल को रोजगार दे सके और जनांकिकीय लाभांश का फायदा उठा सके।'

नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली को उम्मीद है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक के लिए ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक के अलावा दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता विधेयक संसद के बजट सत्र के 20 अप्रैल से शुरू होने वाले दूसरे भाग में पारित हो जाएगा। जीएसटी विधेयक लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है। लेकिन यह राज्यसभा में अटका हुआ है जहां सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के पास बहुमत नहीं है। राज्यसभा में पारित होने के बाद इस विधेयक को 29 में से आधे राज्यों के अनुमोदन की जरूरत होगी। इसके बाद एक अक्तूबर से जीएसटी लागू किया जा सकता है। जेटली ने एडवांसिंग एशिया सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘संसद के मौजूदा सत्र में दो पहले एक ऐतिहासिक विधेयक पारित हो गया है। मुझे उम्मीद है कि अन्य दो विधेयक बजट सत्र के दूसरे हिस्से में पारित हो जाएंगे। संसद ने पिछले सप्ताह आधार विधेयक को पारित किया है।

जयपुर: केन्द्रीय कोयला राज्य मंत्री पीयूष गोयल ने उत्पाद शुल्क को वापस लेने की मांग को लेकर हड़ताल पर चल रहे सर्राफा कारोबारियों को कहा है कि सरकार से दबाव से कोई फैसला नहीं करवा सकते। बातचीत से समस्या का समाधान सम्भव है। गोयल ने यहां जेम एडं ज्वैलरी एक्पोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) द्वारा इंडिया जेम एंड ज्वैलरी के 42वें पुरस्कार समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए कहा, ‘हम हड़ताल से नहीं डरते। कोई हड़ताल करके सोचे कि सरकार से काम हो सकेगा तो मुश्किल है।’ उन्होंने कहा कि सर्राफा व्यापारियों की हड़ताल का बिना जिक्र करते हुए कहा कि कोयला खदान में भी श्रमिकों ने हड़ताल की थी लेकिन उसका समाधान बातचीत से निकल आया। केन्द्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि कुछ कारोबारियों के गलत काम से पूरा कारोबार बदनाम होता है इससे बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक प्रतिशत उत्पाद षुल्क को खत्म करना किसी समस्या का हल नहीं है। गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, वित्तमंत्री अरूण जेटली और उनकी पूरी टीम व्यवस्था को सुधारने के लिये गंभीर है। और इसके लिये प्रशासनिक सुधार के प्रयास किये जा रहें है।

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