ताज़ा खबरें
संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

नई दिल्ली: जानबूझकर बैंकों का कर्ज नहीं चुकाने वालों (विलफुल डिफाल्टरों) के खिलाफ अनेक कड़े कदम उठाते हुए बाजार नियामक सेबी ने आज उन्हें आम लोगों से धन जुटाने व सूचीबद्ध कंपनियों का नियंत्रण संभालने से प्रतिबंधित कर दिया। इसके साथ ही ऐसे लोग किसी सूचीबद्ध कंपनी के बोर्ड में कोई पद भी नहीं ले सकेंगे। सेबी के इस कदम से इन दिनों विवाद में घिरे व्यापारी विजय माल्या अनेक पदों के लिए अपात्र हो जाएंगे। भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) के निदेशक मंडल की आज यहां हुई बैठक में उक्त फैसले किए गए। बैठक को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी संबोधित किया। इसके तहत सेबी ने जानबूझ कर बैंकों का कर्ज नहीं चुकाने वालों को म्युच्युअल फंड या ब्रोकरेज फर्म जैसी बाजार इकाइयां बनाने या उनसे सम्बद्ध होने से भी प्रतिबंधित कर दिया है। यह पाबंदी ऐसे व्यक्तिों व कंपनियों के साथ साथ ऐसी कंपनियों के प्रवर्तक व निदेशकों पर भी लागू होगी। इसी तरह सेबी सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा ऐसे कर्ज की जानकारी सार्वजनिक करना अनिवार्य बनाने पर भी विचार कर रहा है। बैठक के बाद सेबी के चेयरमैन यू के सिन्हा ने बाजार में निगरानी बढाने के कदमों तथा वित्तीय घपलों पर लगाम लगाने के कदमों की घोषणा की।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में कोटा संबंधी और सुधार किये जाने की वकालत की ताकि वह वैश्विक आर्थिक वास्तविकताओं को प्रदर्शित कर सके, साथ ही बहुस्तरीय निकाय के कामकाज में भारत और अन्य उभरती हुई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की भूमिका को बढ़ाये। मोदी ने कहा कि 2010 में आईएमएफ में कोटा संशोधन के बारे में बनी सहमति लम्बे समय से लंबित थी और यह अंतत: प्रभाव में आ गई है लेकिन इसके बाद भी आईएमएफ कोटा वैश्विक आर्थिक वास्तविकताओं को प्रदर्शित नहीं करता है। ‘आगे बढ़ता एशिया’ विषय पर आईएमएफ और भारत द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कोटा में बदलाव कुछ देशों की ‘ताकत’ को बढ़ाने से जुड़ा विषय नहीं है। यह निष्पक्षता और वैधता का विषय है। यह मानना कि कोटा का स्वरूप बदला जा सकता है, यह प्रणाली में निष्पक्षता के लिए जरूरी है।’

नई दिल्ली: आरकॉम, वोडाफोन और भारती एयरटेल सहित निजी क्षेत्र की छह दूरसंचार कंपनियों द्वारा 2006-07 से 2009-10 के दौरान अपनी आय को कम दिखाने से सरकार को 12,488.93 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है। कैग की निजी दूरसंचार सेवाप्रदाताओं की राजस्व भागीदारी पर संसद में पेश इस रिपोर्ट में कहा गया है कि छह निजी दूरसंचार कंपनियों के रिकॉर्ड की जांच के दौरान पता चला है कि इसमें समायोजित सकल राजस्व को 46,045.75 करोड़ रुपये कम करके दिखाया गया है। इससे सरकार को 2006 से 2010 के दौरान 12,488.93 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ। एक अलग निष्कर्ष में कैग ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द किए गए दूरसंचार लाइसेंसों के मामले में कंपनियों द्वारा एकबारगी प्रवेश शुल्क को 2012-13 में भुगतान किए गए स्पेक्ट्रम शुल्क से समायोजित करने से भी सरकार को 5,476.3 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ईमानदार करदाताओं को कभी भी परेशान नहीं किया जाना चाहिए। भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के 167 परिवीक्षाधीन (प्रोबेशनर्स) अधिकारियों के साथ बातचीत करते हुए मोदी ने उनसे काम के वक्त भरोसे का भाव रखने और मानवीय दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में कानून को मानने वाले लोगों की संख्या बहुत अधिक है और वे लोग देशहित में कानून का पालन करना चाहते हैं। एक सरकारी बयान में कहा गया है, उन्होंने कहा कि सरकार की राजस्व नीति को लागू करने के दौरान अपने कर्तव्य निर्वहन के क्रम में भी ईमानदार करदाता परेशान नहीं किया जाना चाहिए। इन अधिकारियों के सिलसिलेवार ढंग से किए गए सवालों का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अधिकारियों को यह निश्चित रूप से महसूस करना चाहिए कि प्रत्येक नागरिक उसके परिवार का सदस्य है। यदि यह भाव रहेगा तो अधिकारी थके हुए नहीं महसूस करेंगे।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख