नई दिल्ली: जानबूझकर बैंकों का कर्ज नहीं चुकाने वालों (विलफुल डिफाल्टरों) के खिलाफ अनेक कड़े कदम उठाते हुए बाजार नियामक सेबी ने आज उन्हें आम लोगों से धन जुटाने व सूचीबद्ध कंपनियों का नियंत्रण संभालने से प्रतिबंधित कर दिया। इसके साथ ही ऐसे लोग किसी सूचीबद्ध कंपनी के बोर्ड में कोई पद भी नहीं ले सकेंगे। सेबी के इस कदम से इन दिनों विवाद में घिरे व्यापारी विजय माल्या अनेक पदों के लिए अपात्र हो जाएंगे। भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (सेबी) के निदेशक मंडल की आज यहां हुई बैठक में उक्त फैसले किए गए। बैठक को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी संबोधित किया। इसके तहत सेबी ने जानबूझ कर बैंकों का कर्ज नहीं चुकाने वालों को म्युच्युअल फंड या ब्रोकरेज फर्म जैसी बाजार इकाइयां बनाने या उनसे सम्बद्ध होने से भी प्रतिबंधित कर दिया है। यह पाबंदी ऐसे व्यक्तिों व कंपनियों के साथ साथ ऐसी कंपनियों के प्रवर्तक व निदेशकों पर भी लागू होगी। इसी तरह सेबी सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा ऐसे कर्ज की जानकारी सार्वजनिक करना अनिवार्य बनाने पर भी विचार कर रहा है। बैठक के बाद सेबी के चेयरमैन यू के सिन्हा ने बाजार में निगरानी बढाने के कदमों तथा वित्तीय घपलों पर लगाम लगाने के कदमों की घोषणा की।
इसके तहत सूचीबद्ध कंपनियों को आडिटर द्वारा चिन्हित की गई कमियों के संभावित प्रभावों को भी सार्वजनिक करना अनिवार्य किया गया है। जेटल ने सेबी से बाजार निगरानी को लेकर बिल्कुल सतर्क रहने को कहा और बाजार में निवेशक आधार बढाने तथा जिंस व्युत्पन्न खंड का विकास करने को कहा। उल्लेखनीय है कि सेबी चेयरमैन पद पर सिन्हा के कार्य विस्तार के बाद निदेशक मंडल की यह पहली बठक थी। सिन्हा ने कहा कि सेबी की स्टार्टअप, आरईआईटीएस, ढांचागत निवेश ट्रस्ट व निकाय बांड बाजारों के लिए संस्थागत व्यापार प्लेटफार्म को प्रोत्साहित कने की योजना है। उन्होंने भरोसा जताया कि अनेक स्टार्टअप शीघ्र ही सूचीबद्ध होंगे। सेबी जिंस बाजार को विस्तारित करने के लिए भी कदम उठाएगा और अगले वित्त वर्ष में बैंकों व विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों सहित नये भागीदारों को इसमें भाग लेने की अनुमति देगा। इसी के साथ सेबी इस खंड में गड़बड़ियों पर लगाम लगाने के लिए कदम उठा रहा है। जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों को धन जुटाने से प्रतिबंध करने संबंधी सेबी के उक्त कदम यूबी ग्रुप के चेयरमैन विजय माल्या को लेकर जारी विवाद के मद्देनजर महत्वपूर्ण है। माल्या देश छोड़कर चले गए हैं और उन पर विभिन्न बैंकों को 9000 करोड़ रुपये से भी अधिक का कर्ज बकाया है। सिन्हा ने संवाददाताओं केा बताया कि जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों पर उक्त प्रतिबंधित अधिसूचित होने के तुरंत बाद अस्तित्व में आ जाएंगे। ये नियम सभी सूचीबद्ध फर्मों, उनके प्रवर्तकों व निदेशकों पर लागू होंगे। उन्होंने कहा,‘ अगर रिजर्व बैंक या किसी अन्य के आदेश से कोई विलफुल डिफाइल्टर सिद्ध होता जाता है तो ऐसे व्यक्ति या कंपनी को बाजार में खुदरा इकाइयों से धन जुटाने की अनुमति देना बहुत जोखिमपूर्ण है।’ उन्होंने कहा,‘ उन्हें बाजार से धन जुटाने की अनुमति नहीं होगी। उन्हें किसी सूचीबद्ध कंपनी में कोई बदल ग्रहण करने से भी रोका जाएगा।’’ साथ ही नियमों के तहत यह भी घोषित किया जा सकता है कि संबंधित व्यक्ति कारोबार चालने के लिए ‘उचित और उपयुक्त व्यक्ति नहीं है।’ सिन्हा ने कहा कि जानबूझ कर ऋण नहीं चुकाने वालों पर रोक लगाने संबंधी नये नियम अधिसूचित होने के बाद अस्तित्व में आ जाएंगे। सिन्हा ने कहा,‘ अधिसूचना के बाद, (इस तरह के) सभी व्यक्ति किसी भी सूचीबद्ध कंपनी में किसी तरह का पद नहीं ले सकेंगे।’ इसी तरह कंपनियों के विलय एवं अधिग्रहण में उनके संचालन पर नियंत्रण में परिवर्तन की परिभाषा को स्पष्ट करने के लिए बाजार नियामक सेबी ने सूचीबद्ध कंपनी पर ‘नियंत्रण’ को ठीक से परिभाषित करने के उद्देश्य से सार्वजनिक सलाह मशविरा करने का फैसला किया है। नियामक ने 25 प्रतिशत मताधिकार की न्यूनतम सीमा को नियंत्रणकारी माने जाने का प्रस्ताव किया है भले ही इससे किसी को कंपनी के संचालन पर वास्तव में नियंत्रण करने अथवा गैर स्वतंत्र निदेशकों में बहुमत की नियुक्ति करने का अधिकार मिलता हो या नहीं। सेबी बोर्ड की बैठक को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने सेबी से बाजार निगरानी पर सतर्क रहने तथा निवेशक आधार बढाने और जिंस व्युत्पन खंड को गहरा बनाने के लिए कदम उठाने को कहा। सेबी बोर्ड ने 2016-17 के लिए नियामक के बजट को मंजूरी दी थी तथा इस अवधि के लिए कार्य योजना पर भी चर्चा की। इस बीच सेबी ने बीएसई की सूचीबद्धता को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।