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नई दिल्ली: आर्थिक संवृद्धि को रफ्तार देते हुए इसे सामाजिक तौर पर समावेशी बनाए जाने को नीति-निर्माताओं के सामने मौजूद एक बड़ी चुनौती करार देते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को आने वाले एक दशक में 11.5 करोड़ गैर-कृषि रोजगार पैदा करने की जरूरत है। राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार की ओर से 'स्टार्ट अप इंडिया' कार्यक्रम की शुरुआत संकेत देती है कि भारत समाज और देश के व्यापक हित के लिए अपने युवाओं की प्रतिभा और रचनात्मकता का लाभ लेने के लिए प्रतिबद्ध है। शनिवार को राष्ट्रपति भवन में 'ग्लोबल राउंड टेबल ऑन इन्क्लूसिव इनोवेशंस' के दौरान एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रणब मुखर्जी ने कहा कि देश को एक ऐसे मॉडल की जरूरत है, जो ऐसे 35-40 करोड़ लोगों को मुख्यधारा में लाए जो अभी हाशिये पर हैं। रविवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में राष्ट्रपति के हवाले से कहा गया, 'भारतीय अर्थव्यवस्था को आने वाले एक दशक में 11.5 करोड़ गैर-कृषि नौकरियों की जरूरत है, ताकि वह अपने कार्यबल को रोजगार दे सके और जनांकिकीय लाभांश का फायदा उठा सके।'

राष्ट्रपति ने कहा, 'इस संदर्भ में स्वरोजगार को युवाओं के लिए एक करियर विकल्प के तौर पर प्रोत्साहित करना और बढ़ावा देना बेहद अहम होगा।' प्रणब ने कहा कि हमारी सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के तहत नवोन्मेष और उद्यमिता की संस्कृति को संस्थागत रूप प्रदान करने की जरूरत है। नवोन्मेष और उद्यमिता को समावेशी होना चाहिए और विविध उद्यमों, जैसे- नई प्रौद्योगिकी कंपनियों, आगामी विनिर्माण कारोबार और ग्रामीण नवोन्मेषी कंपनियों पर ध्यान देने की जरूरत है। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में नीति-निर्माताओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक संवृद्धि को रफ्तार देते हुए इसे सामाजिक तौर पर समावेशी बनाए जाने की है।

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