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संविधान ने देश में बदलाव लाने में उल्लेखनीय मदद की: सीजेआई खन्ना

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) संबंधी सूचनाएं देश की खुफिया एजेंसियों आईबी और रॉ के साथ साझा करेगा। इसका मकसद देश में कालाधन आने से रोकना है। आर्थिक अपराधों पर अंकुश के लिए राजस्व सचिव की अगुवाई वाले एक सरकारी समूह की हालिया बैठक में इस बारे में फैसला किया गया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट सचिवालय ने कर पनाहगाह देशों की कंपनियों द्वारा देश में निवेश पर चिंता जताई थी। रिसर्च एवं एनालिसिस विंग (रॉ) कैबिनेट सचिवालय के प्रशासनिक नियंत्रण में ही काम करती है। इस तरह की कंपनियों के वित्तपोषण के स्रोत पर निगाह रखने के लिए कैबिनेट सचिवालय ने सुझाव दिया था कि वित्त मंत्रालय के तहत केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो (सीईआईबी) इस तरह की इकाइयों तथा निवेश का डाटाबेस रखे। बाद में इस सुझाव को खारिज कर दिया गया।

गुड़गांव: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यों से निवेश आकर्षित करने के लिए नीतिगत सुधारों को आगे बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने सोमवार को कहा कि निवेशक नीतिगत निर्णय के मामले में अक्षमता को पसंद नहीं करते और वे उस जगह जाना पसंद करते हैं जहां व्यापारिक और राजनीतिक परिवेश अनुकूल होता है। उन्होंने कहा, ‘ भारत में सहकारी संघवाद के अलावा अब एक प्रतिस्पर्धी संघवाद की स्थिति बन गई है। भविष्य प्रतिस्पर्धी संघवाद का होगा क्योंकि यह केंद्र-राज्य संबंध का मामला नहीं है बल्कि निवेश आकर्षित करने को लेकर राज्यों के बीच आपसी प्रतिस्पर्धा का विषय है।’ यहां ‘हैपनिंग हरियाणा’ वैश्विक निवेशक सम्मेलन में देश विदेश से जुटे निवेशकों को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि भारत में अब इस तरह के निवेशक सम्मेलन आयोजित करने वाले राज्यों की संख्या उत्तरोत्तर बढ़ रही है।

नई दिल्ली: बाजार नियामक सेबी की जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों (विलफुल डिफॉल्टारों) और उनकी कंपनियों के लिए पूंजी बाजारों से धन जुटाना कठिन बनाने की योजना है। सेबी फंसे कर्ज यानी गैर-निष्पादित आस्तियों के खिलाफ सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक की लड़ाई में सहयोग देने के लिए यह कदम उठा रहा है। सेबी की आगामी बैठक में इस आशय के प्रस्तावित कदम पर विचार होने की संभावना है। इस कदम का उद्देश्य यही है कि इस तरह के कर्जदारों के लिए प्रतिभूति बाजार से और धन जुटाना मुश्किल बनाया जाए, साथ ही छोट निवेशकों के हितों की रक्षा की जाए। उल्लेखनीय है कि मौजूदा कर्ज का भुगतान नहीं करने पर बैंक कई इकाइयों को 'विलफुल डिफॉल्टर' घोषित कर देते हैं और उन्हें कर्ज देना रोक देते हैं।

नई दिल्ली: ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) ने यूबी ग्रुप प्रवर्तक विजय माल्या के खिलाफ फैसला सुनाते हुए उन्हें 515 करोड़ रुपये निकालने पर रोक लगा दी है। उल्लेखनीय है कि विजय माल्या ने यूनाइटेड स्प्रिट्स के चेयरमैन पद से हटने के लिए डियाजियो के साथ पिछले दिनों समझौता किया था। इसके तहत उन्हें 7.5 करोड़ डॉलर की राशि मिलनी है और एसबीआई चाहता है कि इस धन पर कर्जदारों के पहले अधिकार को सुनिश्चित किया जाए। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने कर्ज नहीं चुकाने के लिए माल्या के खिलाफ डीआरटी का दरवाजा खटखटाया था। एसबीआई की अगुवाई वाले बैंकों के समूह ने किंगफिशर एयरलाइंस को 7000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज दे रखा है। माल्या की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रहीं हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनके और अन्य के खिलाफ मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज किया है। यह मामला आईडीबीआई बैंक से लिए गए 900 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज कथित तौर पर नहीं चुकाने के मामले से जुड़ा है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाल में ही मनी लांड्रिंग रोधी कानून (पीएमएलए) के तहत आरोप तय किए हैं।

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